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तीन चोरों की कहानी | Three Thieves Story In Hindi With Moral

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Three Thieves Story In Hindi

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Three Thieves Story In Hindi

बहुत समय पहले की बात है। एक छोटे से गांव में तीन चोर रहते थे। उनका नाम था रामू, श्यामू, और गंगू। वे अपने शातिर दिमाग और चालाकी के लिए जाने जाते थे। गांव के लोग उनसे बहुत परेशान थे, लेकिन कोई भी उन्हें पकड़ नहीं पाता था।

एक दिन इन तीनों चोरों ने एक बड़ा काम करने का प्लान बनाया। उन्होंने सुना कि गांव के पास के जंगल में एक साधु रहता है, जिसके पास बहुत सारा धन और कीमती सामान है। साधु अपनी तपस्या और साधना में लीन रहता था और धन की सुरक्षा के लिए बिल्कुल चिंता नहीं करता था।

रामू ने कहा, “हम अगर साधु के पास से यह सारा धन चुरा लें, तो हमारी जिंदगी बदल जाएगी। हमें कभी भी काम करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।”

श्यामू ने सहमति में सिर हिलाया और बोला, “हाँ, यह सही मौका है। साधु अकेला रहता है और उसे पता भी नहीं चलेगा कि उसका धन किसने चुराया।”

गंगू ने भी हामी भरते हुए कहा, “ठीक है, हम कल रात को ही यह काम करेंगे।”

अगली रात तीनों चोर जंगल की ओर चल पड़े। वे धीरे-धीरे और सावधानी से साधु के आश्रम के पास पहुंचे। साधु ध्यान में मग्न था, इसलिए उसे चोरों की आहट बिल्कुल सुनाई नहीं दी। तीनों ने मिलकर साधु के कमरे का ताला तोड़ा और वहां रखे सारे धन और कीमती सामान को एक बड़े थैले में भर लिया।

जब वे वापस जाने लगे, तो साधु ने अपनी आंखें खोलीं और मुस्कुराते हुए बोला, “अरे, तुम्हें यह धन चाहिए था? तुम इसे ले जा सकते हो।”

तीनों चोर आश्चर्यचकित हो गए और रामू ने कहा, “तुम्हें डर नहीं लग रहा कि हम तुम्हारा सारा धन चुरा रहे हैं?”

साधु ने हंसते हुए जवाब दिया, “मेरा धन यहां नहीं, मेरे अंदर है। तुम भले ही यह सोना-चांदी ले जाओ, लेकिन सच्ची संपत्ति वह है, जो कभी खत्म नहीं होती – ज्ञान, शांति, और सच्चा प्रेम।”

चोरों को साधु की बात समझ में नहीं आई, लेकिन उन्होंने सोचा कि जल्दी से वहां से निकल जाना चाहिए। वे अपने थैले को उठाकर तेजी से गांव की ओर चल पड़े।

रास्ते में तीनों चोरों ने सोचा कि क्यों न इस धन को आपस में बांट लिया जाए। रामू ने कहा, “हम इस धन को तीन हिस्सों में बांट लेते हैं। इससे हम सभी आराम से जिंदगी बिता सकते हैं।”

श्यामू और गंगू ने सहमति दी, लेकिन अंदर ही अंदर, दोनों के मन में लालच घर कर गया था। श्यामू ने गंगू से कहा, “अगर हम रामू को मार दें, तो धन का आधा हिस्सा हमारा हो जाएगा।”

गंगू ने सोचा, “श्यामू सही कह रहा है।” उसने श्यामू के साथ मिलकर योजना बनाई कि वे रामू को कैसे मारेंगे। दूसरी ओर, रामू के मन में भी लालच आ गया था। उसने सोचा कि अगर वह श्यामू और गंगू को मार डाले, तो सारा धन उसका हो जाएगा।

तीनों चोर अपनी-अपनी चालाकी और लालच में फंसे हुए थे। जब वे गांव के पास पहुंचे, तो रामू ने कहा, “मैं कुछ खाना लाने जा रहा हूँ। तुम लोग यहीं रुको।” श्यामू और गंगू ने सिर हिलाया और रामू को जाते देखा।

रामू ने सोचा कि वह खाने में जहर मिला देगा, जिससे श्यामू और गंगू मर जाएंगे और सारा धन उसका हो जाएगा। उसने बाजार से खाना खरीदा और उसमें जहर मिला दिया। उधर, श्यामू और गंगू ने रामू को मारने की योजना बनाई। जब रामू खाना लेकर वापस आया, तो उन्होंने उसे मार डाला और सोचा कि अब वे सुरक्षित हैं।

श्यामू और गंगू ने खुशी-खुशी खाना खाया, लेकिन उन्हें पता नहीं था कि रामू ने उसमें जहर मिला दिया है। थोड़ी देर बाद, दोनों की तबीयत खराब होने लगी और वे वहीं मर गए।

इस प्रकार, तीनों चोर अपनी लालच और चालाकी के कारण अपनी जान गंवा बैठे। साधु की बात सच साबित हुई – असली संपत्ति धन नहीं, बल्कि ज्ञान, शांति, और सच्चा प्रेम है। तीनों चोरों की कहानी गांव में एक महत्वपूर्ण सीख बन गई। लोग समझ गए कि लालच और धोखा अंततः विनाश का ही कारण बनते हैं। साधु की बातें गांव में फैल गईं और लोग उसकी शिक्षाओं को मानने लगे, जिससे गांव में शांति और संतुलन वापस आ गया।

सीख

यह कहानी हमें सिखाती है कि लालच और धोखे का अंत हमेशा बुरा ही होता है। सच्ची संपत्ति वह है जो हमारे भीतर होती है – ज्ञान, शांति, और सच्चा प्रेम। हमें हमेशा अपने कर्मों में ईमानदारी और सच्चाई का पालन करना चाहिए।

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