Domino’s Pizza के संस्थापक टॉम मोनाघन की सफलता की कहानी | Dominos Pizza Success Story In Hindi

इस पोस्ट में हम टॉम मोनाघन मालिक संस्थापक डोमिनोज पिज़्ज़ा की जीवनी सफलता की कहानी (Tom Monaghan Owner Dominos Pizza Success Story Biography In Hindi) शेयर कर रहे हैं।

Tom Monaghan Owner Dominos Pizza Success Story In Hindi

Domino’s Pizza क्या है? | What Is Domino’s Pizza Known For?

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Domino’s Pizza Inc. एक अमरीकन पिज़्ज़ा रेस्टोरेंट चैन है, जिसका मुख्यालय Ann Arbor, Michigan, U.S. में है. यह McDonald’s के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रेस्टोरेंट चैन है.

Domino’s Pizza का मालिक कौन है? | Who is the owner of Domino’s Pizza 

इसके संस्थापक टॉम मोनाघन (Tom Monaghan) हैं, जिन्होंने 1960 में 900 डॉलर में एक छोटे से पिज़्ज़ा स्टोर को खरीद कर इसकी शुरुआत की थी. कई मुश्किलों का सामना करते हुए अपनी मेहनत, इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता से उन्होंने आज Domino’s को इस मुकाम पर पहुँचाया है.

एक समय ऐसा भी था, जब टॉम मोनाघन दिवालियेपन के कगार पर पहुँच गए थे, लेकिन अपने धैर्य, संयम और काम के प्रति ईमानदारी से न केवल वे उस विपत्ति से बाहर निकले, बल्कि 30 minute gauranteed pizza की दूरदर्शी सोच से सफ़लता के शिखर पर पहुँच गए.

आइये जानते है Tom Monaghan Owner Domino’s Pizza Success Story In Hindi  :

Tom Monaghan Owner Dominos Pizza Short Biography In Hindi 

Table of Contents

Name Thomas Stephen Monaghan
Date of Birth 25 March 1937
Place of Birth  Ann Arbor, Michigan
Nationality  American
Occupation  Founder Of Domino’s Pizza Inc.

जन्म और प्रारंभिक जीवन | Tom Monaghan Birth And Early Life 

Thomas Stephen ‘Tom’ Monaghan थॉमस स्टीफेन ‘टॉम’ मोनाघन का जन्म 25 मार्च 1937 में अमरीका के मिशिगन प्रान्त के एन आर्बर शहर में हुआ था. वे फ्रांसिस व एना मोनाघन की पहली संतान थे. उनके एक छोटे भाई जेम्स मोनाघन है.

टॉम के पिता एक ट्रक ड्राईवर थे. सीमित आमदनी में उनका परिवार जैसे-तैसे अपना गुजारा कर रहा था कि क्रिसमस की एक संध्या उनके पिता चल बसे. उस समय टॉम की उम्र महज़ 4 वर्ष की थी. परिवार पर आये आर्थिक संकट के कारण उनकी माता उन्हें और उनके भाई को मिशिगन स्थित अनाथालय “सेंट जोसफ होम” में छोड़कर नर्सिंग कोर्स करने चली गई.

अनाथालय का जीवन 

लिवोनिया की फेलोसियन सिस्टर्स द्वारा संचालित “सेंट जोसफ होम” में मोनाघन छः वर्ष रहे. वे सिस्टर मैरी बेरारडा के बेहद करीब थे और उन्हें अपनी गुरू तथा परामर्शदाता मानते थे. उनके सानिध्य में उनके मन में कैथोलिक धर्म के प्रति आस्था और चर्च के प्रति प्रेम जागृत हुआ.

माँ के साथ बिगड़ते संबंध

मोनाघन छटवीं कक्षा में थे, जब उनकी माँ उन्हें और उनके छोटे भाई को वापस अपने पास ले आई. वो नर्सिंग पूर्ण कर ट्रांसवर्स सिटी के एक अस्पताल में नर्स की नौकरी करने लगी थी.

परिवार की आर्थिक सहायता के उद्देश्य से मोनाघन सब्जियाँ उगाकर बेचने लगे. अतिरिक्त आमदनी के लिए वे मछली पकड़कर बेचने और मिलिकेन डिपार्टमेंटल स्टोर्स के सामने ट्रांसवर्स सिटी रिकॉर्ड ईगल पत्रिका बेचने का कार्य भी करने लगे..

माँ से उनके संबंध कभी अच्छे नहीं रहे और दोनों में हमेशा झगड़े होते रहे. अंततः तंग आकर उनकी माँ ने उन्हें फिर से अनाथालय भेज दिया.

प्रीस्ट बनने के लिए ‘सेंट जोसफ सेमिनरी’ में दाखिला और वहाँ से निष्कासन

अनाथालय में रहते हुए उन्होंने ट्रांसवर्स सिटी के ‘सेंट फ्रांसिस स्कूल’ से अपनी पढ़ाई जारी रखी. किंतु उनका लगाव धर्म और चर्च के प्रति अधिक था. इस कारण वे प्रीस्ट बनने के बारे में विचार करने लगे.

अनाथालय के प्रीस्ट के समक्ष यह इच्छा ज़ाहिर करने पर उन्होंने उनका दाखिला मिशिगन के ग्रांड रैपिड्स में स्थित ‘सेंट जोसफ सेमिनरी’ में करवा दिया.

लेकिन वे सेमिनरी के कड़े अनुशासन में स्वयं को ढाल नहीं सके और कुछ समय के बाद अनुशासन हीनता का दोषी पाए जाने पर सेमिनरी से निष्काषित कर दिए गए. इसके साथ ही उनके प्रीस्ट बनने के सपने पर विराम लग गया.

टॉम मोनाघन का स्कूली जीवन 

सेमिनरी से निकाले जाने के बाद उनकी माँ उन्हें अपने पास पुनः वापस ले आई, लेकिन संबंधों में सुधार न होने के कारण वे अधिक समय तक माँ के पास नहीं टिक सके.

उनकी माँ ने उन्हें किशोर निरोधगृह में डाल दिया. जहाँ से उनके एक अंकल और आंटी ने उन्हें बाहर निकाला और एन आर्बर के सेंट थॉमस स्कूल में दाखिला करवा दिया. पढ़ाई में मोनाघन प्रारंभ से ही कमजोर थे. इस स्कूल में वे ४४ छात्रों की कक्षा में अंतिम स्थान पर आये.

टॉम मोनाघन की कॉलेज की शिक्षा

स्कूली शिक्षा पूर्ण कर उन्होंने मिशगन के बिग रैपिड्स के ‘फेरिस स्टेट कॉलेज’ के आर्किटेक्चर ट्रेड स्कूल में दाखिला ले लिया. वे मिशिगन यूनिवर्सिटी में स्थानांतरण चाहते थे, किंतु पर्याप्त पैसे न होना उनके समक्ष एक बाधा थी.

नौसेना में तीन साल काम कर अपनी पढ़ाई के लिए २००० डॉलर की बचत कर वे वापस लौटे. जिसे उन्होंने एक ऑइल कंपनी के ‘जल्दी अमीर बनिए’ स्कीम के झांसे में आकर गंवा दिया. पुनः छोटे-मोटे काम करके पैसों की व्यवस्था कर उन्होंने यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया. पर वे वहाँ मात्र तीन सप्ताह ही गुजार पाये.

Domino’s Pizza का इतिहास | History Of Domino’s Pizza 

1960 में मोनाघन के छोटे भाई जेम्स को पता चला कि मिशिगन के यपसिलान्ती शहर के डोमोनिक डीवात्री नामक एक व्यक्ति अपना पिज़्ज़ा स्टोर बेचना चाहता है. दोनों भाइयों ने 900 डॉलर में वह पिज़्ज़ा स्टोर खरीदा और पिज़्ज़ा व्यवसाय प्रारंभ किया.

फैक्ट्री के दो बेरोजगार कर्मचारियों को पिज़्ज़ा डिलीवरी के लिए रखा गया. जेम्स उस समय पोस्ट ऑफिस की नौकरी कर रहे थे. नौकरी के कारण उनके लिए व्यवसाय को पूर्ण समय देना मुश्किल होने लगा. इसलिए 8 माह बाद ही जेम्स अपना आधा व्यवसाय मोनाघन को बेचकर पोस्ट ऑफिस की नौकरी में लौट गए.

मोनाघन ने व्यवसाय जारी रखा. धीरे-धीरे उन्हें उस कार्य में आनंद आने लगा था और उन्होंने आजीवन वह कार्य करने का मन बना लिया.

नए भागीदार के रूप में जिम गिल्मौर को उन्होंने व्यवसाय में शामिल किया. प्रारंभिक सफलता उन्हें शीघ्र ही प्राप्त हो गई. एक वर्ष भीतर ही उन्होंने यपसिलान्ती में अपना दूसरा पिज़्ज़ा स्टोर खोल लिया और उसके एक वर्ष के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिशिगन में तीसरा स्टोर ‘Pizza King’ खोल लिया.

अधिकांश काम मोनाघन स्वयं किया करते थे. इसलिए उन्होंने जिम गिल्मौर को एक पिज़्ज़ा स्टोर देकर भागीदारी से मुक्त कर दिया और व्यवसाय का पूर्ण स्वामित्व अपने हाथ में ले लिया.

पूर्ण स्वामित्व की अपनी पिज़्ज़ा कंपनी का नाम उन्होंने Domino’s रखा और company का लोगो भी तैयार करवाया. लोगो में तीन सफ़ेद डॉट दिखाए गए थे, जो उस समय के Domino’s के तीन स्टोर्स को दर्शाते थे. कंपनी का यह लोगो स्थाई रहा.

Domino’s Pizza Home Delivery की शुरुआत

मोनाघन सबसे बढ़िया व स्वादिष्ट पिज़्ज़ा लोगों को उपलब्ध करवाना चाहते थे. गुणवत्ता उनकी पहली प्राथमिकता थी, जिसे बनाये रखने के लिए उन्होंने पूरी तरह से पिज़्ज़ा पर ही ध्यान केंद्रित कर लिया और अपने मेन्यू में से अन्य सभी आइटम हटा दिए.

उस समय अमरीकी समाज की जीवनशैली परिवर्तन के दौर से गुजर रही थी. मोनाघन ने तुरंत भांप लिया कि ऐसे परिवार जिसमें पति-पत्नि दोनों काम करते है और जिनके पास बाहर जाकर खाने के समय की कमी है, उनके लिए पिज़्ज़ा की घर पहुँच सेवा ‘Home Delivery’ लाभकारी होगी.

उन्होंने एक ऐसा इंसुलेटेड पिज़्ज़ा बॉक्स तैयार करवाया, जिसमें न केवल पिज़्ज़ा लंबे समय तक गर्म रह सके, बल्कि वह कई पिज़्ज़ा बॉक्स का वजन भी सह सके और पिज़्ज़ा की होम डिलीवरी की शुरुआत कर दी. उनकी यह होम डिलीवरी स्कीम काम कर गई और उनका पिज़्ज़ा का व्यवसाय चल निकला.

टॉम मोनाघन के सामने आई चुनौतियां | Tom Monaghan Owner Domino’s Pizza Challenges

टॉम मोनाघन बचपन से ही संघर्षपूर्ण जीवन जी रहे थे। व्यवसाय में भी उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा :

दिवालियापन और बैंक का Domino’s पर कब्ज़ा

अप्रैल १९६७ में मोनाघन ने Domino’s की फ्रेंचाईज़ी प्रारंभ की और १९६९ तक विभिन्न स्थानों पर १२ पिज़्ज़ा स्टोर खोल लिये. प्रति सप्ताह एक पिज़्ज़ा स्टोर की गति से वे पिज़्ज़ा स्टोर खोलते जा रहे थे. जिसे संभालना उनके बस के बाहर होने लगा. उसी समय यपसिलांति स्थित उनके मुख्य पिज़्ज़ा स्टोर में आग लग गई. जिसके बाद हुए घाटे से टॉम मोनाघन दिवालियेपन के कगार पर पहुँच गए.

वे १.५ मिलियन डॉलर के क़र्ज़ में डूब चुके थे और उन पर १५० लेनदारों का मुक़दमा थे. अपने क़र्ज़ की वसूली के लिए बैंक ने Domino’s पर कब्ज़ा कर लिया और मोनाघन के स्थान पर ‘मूल फ्रेंचाईज़र’ बन गया. अब सारी फ्रेंचाईजी की रॉयल्टी राशि बैंक को जाने लगी.

अपनी ही कंपनी में नौकरी करना 

बैंक Domino’s को बेच देना चाहते थे. लेकिन कोई खरीददार इसे खरीदने को तैयार नहीं था. इधर अच्छे मैनेजर के अभाव में बैंक के लिए Domino’s को चलाना मुश्किल हो रहा था.

ऐसे में टॉम मोनाघन बैंक के सामने खुद को नौकरी पर रखने का प्रस्ताव रखा. जिसे स्वीकार कर बैंक ने उन्हें २०० डॉलर प्रति सप्ताह के वेतन पर नौकरी पर रख लिया. अपने ही द्वारा प्रारंभ की गई कंपनी में मोनाघन नौकरी करने लगे. लेकिन उनका लक्ष्य कंपनी को फिर से प्राप्त करना था, जिसके लिए वे दिन-रात मेहनत करने लगे.

Domino’s Pizza पर पुनः स्वामित्व 

१९७१ में बैंक वालों ने यह मान लिया कि domino’s का डूबना तय है. उन्होंने एक स्टोर के बदले मोनाघन को domino’s के सारे शेयर लौटा दिए. इन तरह मोनाघन को अपनी कंपनी फिर से प्राप्त हो गई.

कंपनी की हालत खस्ता थी. दिवालियेपन की दरख्वास्त देने के बजाय मोनाघन ने फिर से अपनी कंपनी स्थापित करने का निर्णय लिया. उन्होंने पांच स्टोर अपने पास रखे, बाकी अपने प्रतिद्वंदी ड्रेटाईट के Dino’s को बेच दिया. जिससे उन क्षेत्र में Dino’s सबसे बड़ा पिज़्ज़ा चैन बन गया.

पांच स्टोर के साथ मोनाघन के फिर से शुरुआत की. धीरे-धीरे उन्होंने बैंक का कर्ज उतारा और फिर कुछ संभालने के बाद कंपनी का विस्तार प्रारंभ किया. इस बार उन्होंने पहले वाली गलती न दोहराते हुए विस्तार की गति धीमी रखी और पूर्ण सर्वे के बाद ही उपयुक्त स्थान पर पिज़्ज़ा चैन का विस्तार किया.

30 मिनट में गारंटीड पिज़्ज़ा की स्कीम | 30 मिनिट Guaranteed Pizza Scheme 

पिज़्ज़ा व्यवसाय  में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मोनाघन ने होम डिलीवरी की सुविधा पर अधिक ध्यान केन्द्रित किया और 1973 में एन नई स्कीम लागू की – 30 मिनट में गारंटीड पिज़्ज़ा.

इस स्कीम में 30 मिनट में पिज़्ज़ा डिलीवरी न कर पाने की स्थिति में एक पिज़्ज़ा फ्री में दिया जाता था. इस स्कीम की सफलता को दृष्टिगत रखते हुए डिलीवरी मैन को बोनस प्रदान कर प्रोत्साहित किया. यह स्कीम काम कर गई और domino’s ने फिर से अपने ग्राहकों पर पकड़ बना ली. इस तरह 30 मिनट में पिज़्ज़ा गारंटी स्कीम के दम पर domino’s ने मार्केट में अपना सिक्का जमा लिया.

Domino’s Pizza की प्रगति और सफलता| Achievements & Success Of Domino’s Pizza 

  • 1973 तक उनके 13 स्टेट में 76 स्टोर संचालित थे. 1978 में यह संख्या बढ़कर 200 स्टोर तक पहुँच गई. 1981 में 582 तथा 1984 तक 952 स्टोर तक यह संख्या पहुँच गई.
  • प्रतिवर्ष 50% की दर से लाभ अर्जित करते हुए Pizza Hut ‘पिज़्ज़ा हट’ के बाद यह विश्व की सबसे बड़ी पिज्ज़ा चैन कंपनी बन गई

1983 में मोनाघन इतने धनवान हो चुके थे कि उन्होंने अपने बचपन का सपना पूरा करते हुए अपनी पसंदीदा बेसबॉल टीम Detroit Tiger ‘ड्रेटाइट टाइगर’ 53 मिलियन डॉलर में खरीद ली. उनकी टीम ने 1984 में विश्व सीरीज पर कब्ज़ा जमाया.

1989 में उन्होंने Domino’s की प्रेसीडेंसी पूर्व वाईस प्रेसिडेंट पी. डेविड ब्लॉक को सौंप दी और स्वयं कंपनी के सी.ई. ओ. बने रहे. 1992 में उन्होंने अपनी बेसबॉल टीम भी अपने एक प्रतिद्वंदी एलीच को बेच दी और अपना अधिकांश समय चर्च संबंधी गतिविधियों में लगाने लगे.

इस तरह एक कम पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपनी मेहनत, इच्छा शक्ति और दूरदृष्टि के बलबूते एक छोटे से पिज़्ज़ा स्टोर को विश्व की दूसरी बड़ी पिज़्ज़ा चैन बनाने में सफल हुआ.

Domino’s Pizza के विश्व में कितने आउटलेट्स हैं | Domino’s Pizza Outlets Worldwide 

आज कंपनी के विश्व के 90 देशों में 19500 आउटलेट्स है, जिनमें से 6994 आउटलेट्स अकेले अमेरिका में हैं।

Domino’s Pizza के भारत में कितने आउटलेट्स हैं | Domino’s Pizza Outlets In India 

वर्ष 2021 तक Domino’s के भारत में 1400 आउटलेट्स हैं।

Domino’s Pizza की नेटवर्थ कितनी है | Domino’s Pizza Net Worth 

Domino’s Net Worth 2022 $12.577 Billion डॉलर था. इस प्रकार कंपनी लगातार सफ़लता के शिखर पर चढ़ती जा रही है.

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