दो गरीब दोस्तों की कहानी (Two Poor Friends Story In Hindi With Moral) Do Garib Doston Ki Kahani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये कहानी दो विपरीत जीवन आदर्शों पर चलने वाले दोस्तों की है। पढ़ें पूरी कहानी :
Two Poor Friends Story In Hindi
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रामू और श्यामू दो गरीब दोस्त थे, जो एक छोटे से गाँव में रहते थे। दोनों का बचपन एक साथ बीता था, पर उनके चरित्र और नैतिकता में बहुत बड़ा अंतर था। रामू ईमानदार और सच्चाई के रास्ते पर चलने वाला व्यक्ति था, जबकि श्यामू की आदतें बेईमानी की ओर झुकी हुई थीं।
रामू का जीवन सादगी से भरा था। वह अपने परिवार के लिए दिन-रात मेहनत करता था और जो कुछ भी कमाता था, उसे ईमानदारी से अर्जित करता था। उसका मानना था कि सच्चाई और मेहनत ही सफलता की कुंजी हैं। उसके पास भले ही धन-धान्य की कमी हो, लेकिन उसके दिल में सुकून और संतोष था। गाँव में सभी लोग उसकी इज़्ज़त करते थे और उसे एक आदर्श व्यक्ति मानते थे।
दूसरी ओर, श्यामू जल्दी अमीर बनने की चाह में बेईमानी के रास्ते पर चल पड़ा था। वह हर संभव तरीका अपनाता था, ताकि बिना मेहनत के पैसा कमा सके। झूठ, चोरी, और धोखाधड़ी उसके जीवन का हिस्सा बन चुके थे। शुरुआत में श्यामू को उसकी चालाकी और बेईमानी से कुछ धन भी मिल गया, लेकिन इससे उसकी प्रतिष्ठा में गिरावट आई। गाँव के लोग अब उसे नापसंद करने लगे थे और उसके साथ किसी भी प्रकार का संबंध नहीं रखना चाहते थे।
एक दिन गाँव में एक महत्वपूर्ण अवसर आया – एक बड़े मेला का आयोजन हुआ, जिसमें सभी गाँव वालों ने भाग लिया।
गाँव के मेले में हर कोई उत्साहित था और विभिन्न दुकानों पर भीड़ उमड़ रही थी। श्यामू ने अपनी दुकान सजाई थी, जिसमें उसने सस्ते और नकली सामान बेचे। उसके पास नकली गहने, प्लास्टिक के बर्तन, और सस्ते खिलौने थे, जिन्हें उसने असली और उच्च गुणवत्ता का बताकर ऊँची कीमतों पर बेचा। उसके गहने दिखने में चमकदार और आकर्षक थे, लेकिन वे टिकाऊ नहीं थे। वहीं रामू ने अपनी ईमानदारी से तैयार किए हुए हस्तशिल्प वस्त्र बेचे।
मेले के पहले ही दिन, कुछ लोगों ने श्यामू से गहने खरीदे। एक महिला ने उसकी दुकान से एक सुंदर सोने जैसा दिखने वाला हार खरीदा। उसने घर जाकर उसे पहना और अगले ही दिन गांव के एक सामाजिक समारोह में पहनकर गई। लेकिन समारोह के बीच में ही एक जौहरी ने हार को परख लिया और उसकी असलियत बता दी कि हार के नकली है।
एक किसान ने श्यामू से कुछ बर्तन खरीदे थे। उसने घर जाकर उन बर्तनों का उपयोग किया, लेकिन कुछ ही दिनों में वे बर्तन टूटने लगे। किसान को बहुत गुस्सा आया और उसने बर्तनों को लेकर वापस मेले में आकर श्यामू से शिकायत की।
मेले में ही कई और ग्राहकों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए, जिसमें उन्होंने श्यामू के बेचे गए सामानों की खराब गुणवत्ता और नकली होने की बात कही। धीरे-धीरे यह बात पूरे मेले में फैल गई और लोगों का गुस्सा बढ़ने लगा।
गांव के मुखिया को जब यह सब पता चला, तो उन्होंने श्यामू को बुलाया और उसे सबके सामने जवाब देने के लिए कहा। श्यामू ने पहले तो अपनी गलती मानने से इंकार किया, लेकिन जब लोगों ने सबूतों के साथ उसके नकली सामानों की पोल खोली, तो उसके पास सच स्वीकारने के सिवा कोई चारा नहीं बचा।
इस तरह श्यामू की बेईमानी का भांडा फूटा और उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हो गई। वहीं ने रामू गुणवत्ता पूर्ण सामान बेचकर खूब प्रतिष्ठा कमाई।
इस घटना के बाद रामू की ईमानदारी और मेहनत ने उसे गाँव में और भी प्रतिष्ठित बना दिया। श्यामू ने भी अपनी गलतियों से सीख ली और बेईमानी का रास्ता छोड़कर सच्चाई और मेहनत की राह पर चलने का संकल्प लिया।
सीख
सच्चाई और ईमानदारी से ही जीवन में वास्तविक सफलता और सम्मान प्राप्त होता है। बेईमानी और धोखाधड़ी का रास्ता चाहे कितना भी आकर्षक क्यों न लगे, अंत में वह हमें केवल अपमान और पछतावा ही देता है।
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