व्यापारी का धन शेख चिल्ली की कहानी (Vyapari Ka Dhan Sheikh Chilli Ki Kahani)
शेख चिल्ली भारतीय लोककथाओं के एक मज़ेदार और दिलचस्प पात्र हैं, जो अपनी मासूमियत, भोलेपन और कभी-कभी चतुराई भरे कामों के लिए जाने जाते हैं। उनकी कहानियाँ न केवल हँसी-मज़ाक से भरपूर होती हैं, बल्कि उनमें गहरी सीख भी छिपी होती है। आज हम आपको शेख चिल्ली की सूझबूझ से भरी एक कहानी सुनाते हैं, जो बताती है कि सच्चाई और समझदारी के साथ काम करना हमेशा लाभदायक होता है।
Vyapari Ka Dhan Sheikh Chilli Ki Kahani
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शेख चिल्ली एक छोटे से गाँव में रहते थे। वह बहुत ही सीधे और ईमानदार इंसान थे, लेकिन उनकी सोच और हरकतें लोगों को अक्सर हँसी में डाल देती थीं। एक बार गाँव में एक अमीर व्यापारी आया, जिसे अपने व्यापार के लिए नौकर की तलाश थी। उसने शेख चिल्ली को देखा और पूछा,
“क्या तुम मेरे यहाँ काम करना चाहोगे? काम मेहनत का है, लेकिन मेहनताना अच्छा मिलेगा।”
शेख चिल्ली को काम की जरूरत थी, तो उन्होंने तुरंत हामी भर दी। व्यापारी ने उन्हें अगले दिन अपने साथ चलने के लिए कहा।
अगली सुबह, शेख चिल्ली व्यापारी के साथ शहर जाने के लिए तैयार हो गए। व्यापारी ने अपने साथ एक बड़ी थैली ली, जिसमें ढेर सारे सोने-चाँदी के सिक्के थे। चलते-चलते व्यापारी ने शेख चिल्ली से कहा,
“देखो, इस थैली की बहुत ज्यादा देखभाल करना। इसमें मेरा सारा धन है। अगर यह खो गई, तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा।”
शेख चिल्ली ने बड़े उत्साह से कहा, “चिंता मत कीजिए, यह थैली मेरे पास पूरी तरह सुरक्षित रहेगी।”
रास्ते में जंगल आया। व्यापारी को एक पेड़ के नीचे आराम करने की सूझी। उसने शेख चिल्ली से कहा, “मैं थोड़ी देर सो लेता हूँ। तुम इस थैली की रखवाली करो।”
शेख चिल्ली ने थैली को कसकर पकड़ा और इधर-उधर देखने लगे। तभी उन्हें दूर से कुछ आवाजें सुनाई दीं। जब वह ध्यान से सुनने लगे, तो उन्होंने देखा कि कुछ डाकू जंगल में घूम रहे थे।
डाकुओं ने शेख चिल्ली और व्यापारी को देखा और समझ लिया कि उनके पास कुछ कीमती सामान है। वे व्यापारी के पास आए और बोले, “यह थैली हमें दे दो, वरना तुम्हें नुकसान उठाना पड़ेगा।”
व्यापारी डर गया और गिड़गिड़ाने लगा। उसने शेख चिल्ली की ओर देखा और कहा, “शेख चिल्ली, हमें इनसे बचाओ।”
शेख चिल्ली ने जल्दी से अपनी चतुराई से काम लेने की सोची। उन्होंने डाकुओं से कहा, “आप लोग इस थैली को चाह रहे हैं, लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं है जो आपके काम का हो। अगर आपको यकीन नहीं है, तो मैं इसे आपके सामने खोलकर दिखा सकता हूँ।”
डाकू चौंक गए। उन्होंने सोचा कि शायद यह एक चाल है। लेकिन शेख चिल्ली ने बड़ी मासूमियत से थैली खोल दी। उन्होंने चतुराई से सोने-चाँदी के सिक्कों को मिट्टी के नीचे छिपा दिया था और थैली में केवल कुछ बेकार कागज और पत्थर रख दिए थे।
जब डाकुओं ने थैली में कुछ भी कीमती नहीं पाया, तो वे गुस्से में बोले, “यह तो बेकार है। हमने सोचा था कि इसमें बहुत धन होगा।”
शेख चिल्ली ने हँसते हुए कहा, “मैंने आपसे पहले ही कहा था कि इसमें कुछ नहीं है। अब आप इसे ले जाएँ या यहाँ छोड़ दें, यह आपकी मर्जी।”
डाकू थैली फेंककर चले गए। व्यापारी ने शेख चिल्ली की इस सूझबूझ को देखकर उनकी खूब प्रशंसा की।
जब शेख चिल्ली और व्यापारी गाँव लौटे, तो व्यापारी ने सबको इस घटना के बारे में बताया। लोग शेख चिल्ली की सूझबूझ और ईमानदारी की तारीफ करने लगे।
सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि संकट के समय सूझबूझ और समझदारी से काम लेने पर बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान किया जा सकता है। साथ ही, ईमानदारी और सतर्कता जीवन में सफलता और सम्मान दिलाती हैं।
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