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काम और जीवन : शिक्षाप्रद कहानी | Work Life Balance Motivational Story In Hindi

Work Life Balance Motivational Story In Hindi
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फ्रेंड्स इस पोस्ट में हम काम और जीवन शिक्षाप्रद कहानी (Work Life Balance Motivational Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ‘Find Balance In Life Hindi Motivational Story’ काम और जीवन के मध्य संतुलन के महत्व को बतलाती है. पढ़िए Story About Balance In Life In Hindi

Work Life Balance Motivational Story In Hindi

Work Life Balance Motivational Story In Hindi

Work Life Balance Motivational Story In Hindi

एक व्यक्ति अपनी जीविका चलाने के लिए ब्रेड बेचने का काम करता था. वह दिन-रात मेहनत करता, ताकि अपनी पत्नि और दो बच्चों की गुजर-बसर ठीक से कर सके. दिन-भर काम करने के बाद वह शाम को एक्स्ट्रा क्लासेज भी जाया करता, ताकि एक बेहतर जॉब हासिल कर सके.

रविवार को छोड़कर शायद ही ऐसा कोई दिन होता, जब वह अपने परिवार के साथ बैठकर भोजन कर पाता था. जब भी उसकी पत्नि या बच्चे इस बात की शिकायत करते कि वह उनके साथ पर्याप्त समय व्यतीत नहीं करता है, तो वह कहता कि उनके साथ समय बिताने के लिए वह भी तरसता है. लेकिन ये सब वह उन सबके लिए ही कर रहा है.

उसकी मेहनत का फल भी उसे मिला और वह दिन आ गया जब उसे एक कंपनी में सीनियर सुपरवाइजर की जॉब मिल गई. हर महीने मिलने वाली अच्छी सैलरी से वह अपने परिवार के लिए अच्छे कपड़े, अच्छा खाना और अन्य सुविधायें मुहैया करवाने लगा. वह वन-बेड-रूम फ्लैट से टू-बेड-रूम फ्लैट में शिफ्ट हो गया.

जीवन पहले से अधिक आसान हो गया था. लेकिन इसके बावजूद वह अपनी पत्नि और बच्चों से सप्ताह के अधिकांश दिन अधिक मिल नहीं पाता था क्योंकि अब वह कंपनी में प्रमोशन पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था. इस संबंध में पत्नि और बच्चों की शिकायत पर वह उनसे यही कहता कि वह ये सब उनके लिए ही तो कर रहा है.

कुछ वर्षों बाद उसका प्रमोशन हो गया. अब घर के कामों में अपनी पत्नि की सहायता के लिए उसने नौकर रख लिए.  उसे छोटा लगने लगा और उसने फोर-बेड-रूम फ्लैट खरीद लिया. लेकिन अब भी उसके पास परिवार के लिए समय नहीं था, वह आगे की प्रमोशन के लिए मेहनत करने में लग गया था. अब तो कई-कई बार वह रविवार के दिन भी व्यस्त रहता. परिवार को जवाब देने के लिए अब भी उसके पास यही था कि वह ये सब उनके लिए ही तो कर रहा है.

कुछ वर्षों बाद उसका दूसरा प्रमोशन हो गया. अब उसने एक बड़ा सा बंगला खरीद लिया, कई नौकर-चाकर रख लिए. अब वह संतुष्ट था. उसने तय किया कि अब उसे और प्रमोशन नहीं चाहिए, वह अपने परिवार के साथ अधिक से अधिक वक़्त गुजारना चाहता है. उसके इस निर्णय से उसके पत्नि और बच्चे बहुत खुश हुए. उस रात वह व्यक्ति बहुत की शांति की नींद सोया.

अगली सुबह जब पत्नी उसे जगाने गई, तो वह उठा ही नहीं. वह हमेशा के लिए सो चुका था.

सीख  (Moral Of The Story) 

काम और जीवन के मध्य संतुलन का होना अति-आवश्यक है. हम अपने और अपने परिवार के सुखमय और आनंदमय जीवन की चाह में काम करते हैं, मेहनत करते हैं, जो आवश्यक भी है. लेकिन हमें इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि कहीं कार्य में अतिसंलिप्तता की वजह से हमारा परिवार हमसे दूर तो नहीं होता जा रहा, कहीं आगे बढ़ने की होड़ में हमारा परिवार और जीवन तो पीछे नहीं छूटता जा रहा, कहीं हम जीवन जीना और उसका आनंद लेना तो नहीं भूल गए हैं. ऐसा ना हो कि जब हम अपने खुद के जीवन के लिए समय निकाले, तब तक जीवन ही हाथ से निकल जाये.


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