इस पोस्ट में जेब्रा और जिराफ की कहानी (Zebra Aur Giraffe Ki Kahani) The Zebra And The Giraffe Story In Hindi शेयर कर रहे हैं। इस हम कहानी के माध्यम से हम समझेंगे कि किस तरह से समझदारी और सहनशीलता जीवन में महत्वपूर्ण होती है।
Zebra Aur Giraffe Ki Kahani
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एक हरा भरा जंगल था, जहाँ कई जानवर आपस में मिल-जुलकर रहते थे। इस जंगल में दो खास दोस्त थे – जेब्रा और जिराफ। जेब्रा, अपने सफेद और काले धारियों वाले अनूठे रूप के कारण जाना जाता था, जबकि जिराफ अपनी लंबी गर्दन और ऊँचाई के कारण सबका ध्यान आकर्षित करता था। हालाँकि दोनों अच्छे दोस्त थे, पर कभी-कभी उनमें अपनी-अपनी खूबियों को लेकर बहस हो जाती थी।
एक दिन जेब्रा और जिराफ साथ में जंगल घूमने निकले। चलते-चलते वे एक बड़े पेड़ के नीचे आराम करने लगे। बातचीत के दौरान, जेब्रा ने मजाक में कहा, “जिराफ, तुम्हारी गर्दन इतनी लंबी है कि लगता है जैसे आसमान से पत्तियाँ तोड़ने के लिए बनी हो।”
जिराफ ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “और तुम्हारी धारियाँ ऐसी लगती हैं, जैसे किसी ने पेंट ब्रश से तुम्हें रंग दिया हो।”
यह सुनकर जेब्रा थोड़ा नाराज़ हो गया और बोला, “मेरी धारियाँ मुझे शिकारी से छिपने में मदद करती हैं। मैं तो इतनी तेज़ दौड़ सकता हूँ कि कोई मेरा पीछा भी नहीं कर सकता।”
जिराफ ने कहा, “और मेरी लंबी गर्दन मुझे दूर-दूर तक देखने और खतरे को पहले भांपने में मदद करती है। तुम्हारी दौड़ना तब बेकार हो जाता है, जब कोई शिकारी तुम्हें चारों ओर से घेर ले।”
दोनों के बीच बहस बढ़ने लगी। गुस्से में आकर दोनों अलग-अलग दिशा में चले गए।
जेब्रा जंगल के खुले इलाके में चला गया, जहाँ वह तेज़ गति से दौड़ते हुए अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहा था। उसे लगा कि जिराफ को यह साबित करना होगा कि दौड़ने की ताकत सबसे बड़ी होती है।
दूसरी ओर, जिराफ ने ऊँचे पेड़ों के बीच अपना रास्ता बना लिया, जहाँ उसे लगता था कि उसकी लंबी गर्दन ही उसे बचा सकती है। वह दूर-दूर तक देखता और खतरे को पहचानने की कोशिश करता।
लेकिन तभी जंगल के राजा शेर ने इन दोनों पर नजर डाल ली। शेर ने पहले जेब्रा को अकेले देखा और उसका पीछा करना शुरू कर दिया। जेब्रा बहुत तेज़ दौड़ रहा था, लेकिन उसे रास्ता नहीं सूझ रहा था क्योंकि वह जंगल के ऐसे हिस्से में आ गया था जहाँ घने पेड़ और काँटे थे।
दूसरी ओर, जिराफ ने शेर को दूर से देख लिया। वह समझ गया कि शेर जेब्रा का पीछा कर रहा है। लेकिन जिराफ भी खतरे में था, क्योंकि शेर के साथी उसका रास्ता घेरने लगे थे। अब दोनों अलग-अलग मुसीबत में फँस चुके थे।
जब जेब्रा को समझ नहीं आया कि वह काँटों और पेड़ों के बीच से कैसे निकले, तो उसने सोचा, “काश! जिराफ यहाँ होता। उसकी लंबी गर्दन से मुझे सही दिशा पता चल जाती।”
उधर, जिराफ भी सोचने लगा, “अगर जेब्रा यहाँ होता, तो अपनी तेज़ गति से मुझे शेर के घेरे से बाहर निकाल सकता था।”
दोनों को अपनी गलती का एहसास हुआ। तभी जिराफ ने ऊँचाई से देखा कि जेब्रा काँटों में फँसा हुआ है। उसने तेज़ आवाज में कहा, “दोस्त, मैं यहाँ हूँ! मेरी बात सुनो। मैं तुम्हें रास्ता दिखाऊँगा।”
जिराफ ने अपनी ऊँचाई का फायदा उठाते हुए देखा कि काँटों के पीछे एक सुरक्षित रास्ता था। उसने जेब्रा को निर्देश दिया, “दाएँ मुड़ो, फिर सीधे भागो।” जेब्रा ने जिराफ की बात मानी और तेज़ी से उस रास्ते पर दौड़ पड़ा। वह शेर से बच निकला।
अब बारी थी जिराफ की। जैसे ही शेर के साथी जिराफ की तरफ बढ़े, जेब्रा ने अपनी तेज़ गति का इस्तेमाल करते हुए उन्हें चकमा दिया और जिराफ को बचाने के लिए दौड़ पड़ा। उसने शेरों का ध्यान अपनी ओर खींचा और जिराफ को सुरक्षित रास्ते से बाहर निकलने का मौका दिया।
दोनों दोस्त आखिरकार मिल गए और सुरक्षित स्थान पर पहुँच गए। उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया और अपनी-अपनी गलतियों के लिए माफी माँगी।
जंगल में लौटने के बाद, जेब्रा और जिराफ ने सभी जानवरों को अपनी कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे एकता और समझदारी से वे दोनों शेर से बच पाए। अब दोनों ने ठान लिया कि वे कभी भी अपनी खूबियों का घमंड नहीं करेंगे और हमेशा एक-दूसरे की मदद करेंगे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हर किसी की अपनी खासियत होती है। अपनी ताकत पर घमंड करने के बजाय हमें दूसरों की खूबियों की सराहना करनी चाहिए। एकता और सहयोग से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।
अलग-अलग होकर हम कमजोर हो सकते हैं, लेकिन साथ मिलकर हम अजेय बन सकते हैं।
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