जिराफ और हाथी की कहानी | Elephant And Giraffe Story In Hindi

जिराफ और हाथी की कहानी (Hathi Aur Giraffe Ki Kahani) Elephant And Giraffe Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। यह एक घमंडी जिराफ़ की कहानी है, जिसे सबक दिखाकर हाथी उसका घमंड तोड़ता है। 

Hathi Aur Giraffe Ki Kahani

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Hathi Aur Giraffe Ki Kahani

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घना जंगल था, जहाँ तरह-तरह के जानवर रहते थे। इस जंगल में एक लंबा और सुंदर जिराफ रहता था, जिसका नाम जिराफू था। जिराफू अपनी ऊँचाई और सुंदर गर्दन के लिए मशहूर था। वह अपने लंबे पैरों और सुंदर धब्बों की वजह से जंगल में सबसे अलग दिखता था। लेकिन जिराफू अपने रूप और ऊँचाई को लेकर बहुत घमंडी भी था।

दूसरी ओर जंगल में एक विशाल हाथी भी रहता था, जिसका नाम हाथीराम था। हाथीराम अपनी ताकत और बुद्धिमत्ता के लिए जाना जाता था। वह विशाल और मजबूत था, लेकिन दिल से बहुत ही दयालु और मित्रवत था। हाथीराम जंगल के सभी जानवरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता था।

जिराफू को अपनी ऊँचाई पर बहुत गर्व था। वह हमेशा छोटे जानवरों का मजाक उड़ाता और कहता, “देखो, मैं कितना लंबा और सुंदर हूँ। तुम सब मेरे जैसे क्यों नहीं हो सकते?” छोटे जानवर उसकी बातों से बहुत दुखी हो जाते, लेकिन वे कुछ कह नहीं पाते।

एक दिन जब जिराफू जंगल के सबसे ऊँचे पेड़ से पत्तियाँ खा रहा था, उसने देखा कि हाथीराम नीचे खड़ा है और एक बड़े पत्थर को रास्ते से हटा रहा है। हाथीराम की ताकत देखकर जिराफू ने सोचा, “यह हाथी तो बहुत मजबूत है, लेकिन कितना मोटा और बेडौल है।”

जिराफू ने हाथीराम से कहा, “अरे हाथीराम, तुम्हारी ताकत तो बहुत है, लेकिन तुम्हारी शक्ल और आकार देखो। काश तुम मेरी तरह सुंदर और लंबा होते।”

हाथीराम ने मुस्कुराते हुए कहा, “जिराफू, हर किसी की अपनी विशेषताएँ होती हैं। मुझे मेरी ताकत पर गर्व है और तुम्हें तुम्हारी ऊँचाई पर। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।”

जिराफू ने हाथीराम की बातों को गंभीरता से नहीं लिया और अपनी ऊँचाई का घमंड करते हुए कहा, “देखो, मैं इस पेड़ की सबसे ऊँची पत्तियाँ खा सकता हूँ। तुम्हें तो इस पेड़ की नीची पत्तियाँ ही खानी पड़ेंगी।”

हाथीराम ने शांतिपूर्वक जवाब दिया, “जिराफू, ऊँचाई और ताकत का घमंड करना ठीक नहीं है। हमें एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए।”

कुछ दिनों बाद जंगल में भयंकर तूफान आया। तूफान के कारण जंगल में भारी तबाही मची। कई पेड़ गिर गए और जानवरों के रहने के स्थान बर्बाद हो गए। जिराफू भी तूफान से बच नहीं पाया और एक बड़े पेड़ की शाखा उसके ऊपर गिर गई, जिससे वह फँस गया।

जिराफू ने मदद के लिए पुकारा, “कोई है? मुझे बचाओ!” उसकी आवाज सुनकर हाथीराम तुरंत वहाँ पहुँचा। उसने देखा कि जिराफू शाखा के नीचे फँसा हुआ है और बहुत ही परेशान है।

हाथीराम ने बिना समय गँवाए, अपनी पूरी ताकत लगाकर उस शाखा को हटाया और जिराफू को बाहर निकाला। जिराफू ने राहत की साँस ली और हाथीराम से कहा, “धन्यवाद, हाथीराम। तुमने मेरी जान बचाई।”

जिराफू को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने शर्मिंदा होकर कहा, “मुझे माफ कर दो, हाथीराम। मैं अपने घमंड में भूल गया था कि असली ताकत और सुंदरता दिल की होती है। तुमने आज मुझे सिखाया कि एक सच्चे मित्र की क्या महत्ता होती है।”

हाथीराम ने मुस्कुराते हुए कहा, “कोई बात नहीं, जिराफू। हमें हमेशा एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। यही सच्ची मित्रता है।”

इस घटना के बाद, जिराफू और हाथीराम की दोस्ती और भी गहरी हो गई। जिराफू ने अपने घमंड को त्याग दिया और सभी जानवरों का सम्मान करने लगा। अब वह अपनी ऊँचाई का उपयोग अपने दोस्तों की मदद के लिए करता और सभी जानवरों के साथ मिलकर रहता।

नैतिक शिक्षा

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी प्रकार का घमंड हमें सही रास्ते से भटका सकता है। असली सुंदरता और ताकत हमारे दिल में होती है। सच्ची मित्रता और सम्मान ही हमें एक बेहतर जीवन की ओर ले जाते हैं।

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