पंचतंत्र की संपूर्ण कहानियाँ | Complete Panchatantra Stories In Hindi




पंचतंत्र की कहानियाँ

Complete Panchatantra Stories In Hindi

Complete Panchatantra Stories In Hindi

भूमिका

पंचतंत्र पंडित विष्णुशर्मा द्वारा रचित ग्रन्थ/कथा-संग्रह है, जिसे संस्कृत नीति-कथाओं में प्रथम स्थान प्राप्त है. इसकी रचना तिथि तीसरी शताब्दी के आस-पास मानी जाती है. यद्यपि यह बात दावे के साथ नहीं कही जा सकती, क्योंकि इसका मूल संस्कृत संस्करण उपलब्ध नहीं है.  

इसके विभिन्न अनुवाद इस कथा-संग्रह को आमजन के लिए सुलभ बनाते हैं. अब तक विश्व की लगभग 50 भाषाओँ में इसका अनुवाद किया जा चुका है. इसके 200 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं. पहलवी भाषा में उपलब्ध अनुवाद ‘करकटदमनक’ इसका प्राचीनतम अनुवाद माना जाता है.  

विश्व साहित्य में पंचतंत्र को उच्च स्थान प्राप्त है. जर्मन साहित्य के अतिरिक्त ग्रीक साहित्य की ईसप की कहानियों तथा अरब साहित्य की ‘अरेबियन नाइट्स’ की कहानियों का मूल पंचतंत्र ही है.  

पंचतंत्र की कहानियाँ पाँच तंत्रों में विभाजित है और बड़े ही सरल और रोचक ढंग से प्रस्तुत की गई है. कहानियों में मानव पात्रों के साथ ही पशु-पक्षियों के पात्र भी चित्रित किये गए हैं. सभी कहानियाँ मनो-विज्ञान, व्यावहारिकता और राजकाज के सिद्धांतों को प्रस्तुत कर लोक-व्यवहार की सीख देती है और नेतृत्व क्षमता का विकास करती है.

दक्षिण भारत के एक जनपद में महिलारोप्य नामक नगर था, जहाँ अमरशक्ति नाम के राजा का शासन था. वह बड़ा ही वीर, पराक्रमी और दयालु होने के साथ-साथ नीतिज्ञ, विद्वान और समस्त कलाओं में पारंगत था.

किंतु उसके तीन पुत्र बहुत्शक्ति, उग्रशक्ति तथा अनंतशक्ति अज्ञानी, अविवेकी और अहंकारी थे. राजा अपने पुत्रों को लेकर सदा चिंतित रहा करता था. एक दिन मंत्रणा करते हुए वो अपने मंत्रियों से बोला, “ऐसे अज्ञानी और अहंकारी पुत्रों से निःसंतान होना भला है. ऐसे पुत्र जीवन भर की पीड़ा और अपमान का कारण बनते हैं. आप ऐसा कुछ कीजिये कि मेरे पुत्र ज्ञानवान हो जायें.”

विचार-विमर्श के उपरांत मंत्री सुमति ने सुझाया कि राजकुमारों को संक्षेप में शास्त्रों का ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए, अन्यथा ज्ञान प्राप्ति में इनका संपूर्ण जीवन व्यतीत हो जायेगा. राजकुमारों के अध्यापन कार्य के लिए उन्होंने पंडित विष्णुशर्मा का नाम प्रस्तावित किया.

राजा ने पंडित विष्णुशर्मा को दरबार में आमंत्रित किया और कहा, “आर्य, मेरे अज्ञानी पुत्रों को अपने ज्ञान के सागर की कुछ बूंदें प्रदान कीजिये, ताकि वे व्यावहारिक और राजकीय ज्ञान में निपुण हो सके. मैं प्रतिफल में आपको सौ गाँव प्रदान करूंगा.”

पंडित विष्णुशर्मा ने सौ गाँव लेना स्वीकार नहीं किया, किंतु राजकुमारों को ज्ञान प्रदान करन स्वीकार कर लिया. उन्होंने कहा, “मैं ज्ञान का विक्रय नहीं करता राजन. इसलिए मैं बिना किसी स्वार्थ के आपके पुत्रों को ज्ञान प्रदान करुंगा. मैं प्रण लेता हूँ कि छः माह के भीतर यदि मैं आपके अभी पुत्रों को नीति ज्ञान से पारंगत न कर दूं, तो ईश्वर मुझे ज्ञान-शून्य कर दे.”

राजा ने तीनों राजकुमारों को पंडित विष्णुशर्मा की शरण में भेज दिया. तीनों राजकुमारों को नीति शिक्षा प्रदान करने पंडित विष्णुशर्मा ने पंचतंत्र नामक ग्रंथ की रचना की और छः माह में ही उन्होंने तीनों राजकुमारों को ज्ञान में पारंगत कर दिया.

पंचतंत्र में पाँच तंत्र है :

  • मित्रभेद (मित्रों में अलगाव और मनमुटाव) – इस तंत्र/भाग में मित्रों के मध्य अलगाव या शत्रुता उत्पन्न किये जाने का वर्णन है.
  • मित्रसंप्राप्ति (मित्रप्राप्ति और मित्रलाभ) – इस तंत्र/भाग में यह वर्णन किया गया है कि मित्र प्राप्ति से कितना सुख और हर्ष प्राप्त होता है. यह तंत्र शिक्षा देता है कि जीवन में उपयोगी मित्र बनाने चाहिए.
  • ककोलूकियम (कौवे और उल्लुओं की कथा) – इस तंत्र/भाग में युद्ध और संधि का वर्णन कौवे और उल्लू की कथा द्वारा किया गया है. इस तंत्र में बताया गया है कि कैसे युद्ध में विजय प्राप्त करने अर्थात् अपनी स्वार्थ-सिद्धि के लिए अपने शत्रु से संधि/मित्रता कर लेनी चाहिए और बाद में अवसर पाकर उससे छल कर उसे नष्ट कर देना चाहिए. कथा सार है कि अपने शत्रु की उपेक्षा करने वाला व्यक्ति उस शत्रु द्वारा ही नष्ट हो जाता है.
  • लब्धप्रणाश (अभीष्ट वस्तु का हाथ से निकल जाना) – इस तंत्र/भाग में हाथ आई अभीष्ट वस्तु के हाथ से निकल जाने की व्यथा का वर्णन किया गया है. इस भाग में यह शिक्षा प्रदान की गई है कि बुद्धिमान कैसे अपने बुद्धिबल से सब कुछ हासिल कर लेता और बुद्धिहीन अपनी मूर्खता के कारण सब कुछ पाकर भी खो देता है.
  • अपरीक्षितकारकम (बिना विचारे कार्य न करें) – इस तंत्र/भाग में बिना विचारे और परखे कार्य न करने की सीख प्रदान की गई है, क्योंकि बिना विचार के किसी का अंधानुकरण करने से कभी कार्य सिद्ध नहीं होता.

Complete Pachatantra Story In Hindi List


मित्रभेद (मित्रों में अलगाव और मनमुटाव)


बंदर और लकड़ी का खूंटा : पंचतंत्र की कहानी 

सियार और ढोल : पंचतंत्र

व्यापारी का उदय और पतन : पंचतंत्र की कहानी 

मूर्ख साधु औत ठग : पंचतंत्र की कहानी  

लड़ती भेंड़े और सियार : पंचतंत्र की कहानी 

कौवा और साँप : पंचतंत्र की कहानी 

बगुला भगत : पंचतंत्र की कहानी 

चतुर ख़रगोश और शेर : पंचतंत्र की कहानी 

खटमल औत बेचारी जूं : पंचतंत्र की कहानी 

नीला सियार : पंचतंत्र की कहानी 

शेर, ऊँट, सियार और कौवा : पंचतंत्र की कहानी 

टिटहरी का जोड़ा और समुद्र का अभिमान : पंचतंत्र की कहानी 

मूर्ख बातूनी कछुवा : पंचतंत्र की कहानी

तीन मछलियाँ : पंचतंत्र की कहानी 

गौरैया और हाथी : पंचतंत्र की कहानी 

सिंह और सियार : पंचतंत्र की कहानी 

चिड़िया और बंदर : पंचतंत्र की कहानी  

गौरैया और बंदर : पंचतंत्र की कहानी 

मित्र दोह का फ़ल : पंचतंत्र की कहानी 

मूर्ख बगुला और नेवला : पंचतंत्र की कहानी 

जैसा को तैसा : पंचतंत्र की कहानी  

मूर्ख मित्र : पंचतंत्र की कहानी


मित्रसंप्राप्ति (मित्रप्राप्ति और मित्रलाभ)


साधु और चूहा : पंचतंत्र की कहानी 

गजराज और मूषकराज : पंचतंत्र की कहानी 

ब्राह्मणी और तिल के बीज : पंचतंत्र की कहानी

व्यापारी का पुत्र : पंचतंत्र की कहानी 

अभागा बुनकर : पंचतंत्र की कहानी


संधि-विग्रह/ककोलूकियम (कौवे और उल्लुओं की कथा)


कौवे और उल्लू की बैर कथा : पंचतंत्र की कहानी

खरगोश, तीतर और धूर्त बिल्ली : पंचतंत्र की कहानी

कबूतर का जोड़ा और शिकारी : पंचतंत्र की कहानी  

बूढा आदमी, युवा पत्नी और चोर : पंचतंत्र की कहानी  

हाथी और चतुर खरगोश : पंचतंत्र की कहानी

ब्राह्मण, बकरा और तीन ठग : पंचतंत्र की कहानी

ब्राह्मण और सर्प : पंचतंत्र की कहानी  

ब्राह्मण, चोर और दानव : पंचतंत्र की कहानी

दो साँपों की कथा : पंचतंत्र की कहानी  

चुहिया का स्वयंवर : पंचतंत्र की कहानी  

सुनहरे गोबर की कथा :  पंचतंत्र  की कहानी

बोलने वाली गुफा : पंचतंत्र की कहानी  

सांप की सवारी करने वाले मेंढकों की कथा : पंचतंत्र की कहानी 


लब्धप्रणाश (अभीष्ट वस्तु का हाथ से निकल जाना)


बंदर और मगरमच्छ : पंचतंत्र की कहानी 

लालची नागदेव और मेंढकों का राजा : पंचतंत्र की कहानी 

शेर, गीदड़ और मूर्ख गधा : पंचतंत्र की कहानी

कुम्हार की कहानी : पंचतंत्र की कहानी 

गीदड़ गीदड़ ही रहता है : पंचतंत्र की कहानी

शेर की खाल में गधा : पंचतंत्र की कहानी

घमंड का सिर नीचा/अविवेक का मूल्य : पंचतंत्र की कहानी  

सियार का रणनीति : पंचतंत्र की कहानी 

कुत्ता जो विदेश चला गया : पंचतंत्र की कहानी  

स्त्री का विश्वास : पंचतंत्र की कहानी 

स्त्री भक्त राजा : पंचतंत्र की कहानी 


अपरीक्षितकारकम (बिना विचारे कार्य न करें)


नक़ल उतारने वाला नाई : पंचतंत्र की कहानी

ब्राह्मण का सपना : पंचतंत्र की कहानी

ब्राह्मणी और नेवला : पंचतंत्र की कहानी

मस्तक पर चक्र : पंचतंत्र की कहानी

चार ब्राह्मण और शेर : पंचतंत्र की कहानी  

चार पढ़े लिखे मूर्ख : पंचतंत्र की कहानी  

दो मछलियाँ और मेंढक : पंचतंत्र की कहानी

संगीतमय गधा : पंचतंत्र की कहानी

दो सिर वाला जुलाहा : पंचतंत्र की कहानी 

वानरराज का बदला : पंचतंत्र की कहानी

भय का भूत : पंचतंत्र की कहानी

दो सिर वाला पक्षी : पंचतंत्र की कहानी