गोरा खरगोश : केरल की लोक कथा | Gora Khargosh Folk Tale Of Kerala In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम केरल की लोक कथा “गोरा खरगोश” (Gora Khargosh Kerala Ki Lok Katha) शेयर कर रहे है. यह कहानी एक सफ़ेद रंग के खरगोश की है, जो भ्रमण के लिए केरल जाना चाहता था. लेकिन गहरा अथाह समुद्र पर करना उसके बस की बात नहीं थी. उसने कैसे सूझबूझ से समुद्र पार किया और अपनी कामना पूर्ण की, जानने के लिए पढ़िये पूरी कहानी : 

Gora Khargosh Kerala Ki Lok Katha

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Gora Khargosh Kerala Ki Lok Katha
Gora Khargosh Kerala Ki Lok Katha

समुद्र किनारे एक सफेद रंग का खरगोश रहता था। इसके उजले सफेद रंग के कारण सब उसे ‘गोरा खरगोश’ बुलाते थे। उसे भ्रमण का बहुत शौक था।

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एक दिन एक चिड़िया दूर प्रदेश भ्रमण कर लौटी, तो उसने पूछा, “चिड़िया रानी! बताओ तो ज़रा कि तुम कौन से प्रदेश से आ रही हो?”

चिड़िया बोली, “मैं समुद्र पार केरल प्रदेश गई थी। वो बहुत ही सुंदर प्रदेश है। वहाँ बहुत हरियाली है। वहाँ की राजकुमारी बहुत ही रूपवती है। तुम भी वहाँ भ्रमण पर जाना।”

गोरा खरगोश बोला, “हाँ चिड़िया रानी। मैं ज़रूर जाऊंगा।”

उस दिन से गोरा खरगोश केरल जाने का विचार करने लगा। वह वहाँ की राजकुमारी को देखना चाहता था और उससे मिलना चाहता था।

केरल जाने के लिए समुद्र पार करना था, जो उस छोटे से खरगोश के बस की बात नहीं थी। वह अपने मित्र मगरमच्छ के पास गया और बोला, “मित्र! समुद्र में तैरकर तुम तो कई देशों की यात्रा कर सकते हो। क्या कभी तुम्हारा केरल प्रदेश जाना हुआ? सुना है, वहाँ की राजकुमारी बहुत सुंदर है।”

“हाँ मित्र! मैं एक बार केरल गया था और वहाँ की राजकुमारी के मुझे दर्शन हुए थे। वो परम सुंदरी है।”

“क्या तुम मुझे केरल ले जा सकते हो मित्र। मैं राजकुमारी को देखना चाहता हूँ।” खरगोश ने पूछा।

“नहीं नहीं! मैं तुम्हें इतनी दूर नहीं ले जा सकता। तुम्हारे माता पिता क्रोधित हो जायेंगे। फिर इतनी दूर की यात्रा में कहीं तुम्हें कुछ हो गया तो?”

मगरमच्छ के इंकार करने पर गोरा खरगोश उदास हो गया। वह किसी भी तरह केरल जाना चाहता था। वह उपाय सोचने लगा। शीघ्र ही उसे एक उपाय सूझ गया।

अगले दिन वह फिर मगरमच्छ के पास गया और बोला, “मित्र! हम खरगोशों का परिवार बहुत बड़ा है। जानते हो हमारे परिवार में आठ सौ खरगोश हैं। तुम्हारे परिवार में कितने मगरमच्छ हैं?”

मगरमच्छ सोच में पड़ गया। फिर बोला, “मित्र! परिवार तो मेरा भी बहुत बड़ा है। लेकिन मैंने कभी गिनकर नहीं देखा कि हमारी संख्या कितनी है।”

यह सुनकर खरगोश चालाकी दिखाते हुए बोला, “इसमें कौन सी बड़ी बात है! कल तुम अपने पूरे परिवार को मेरे पास ले आओ। मैं उनकी गिनती कर दूंगा। “

मगरमच्छ हामी भरकर चला गया। अगले दिन वह अपने पूरे परिवार के साथ खरगोश के पास आया और बोला, “मित्र! अब हम सब यहाँ है। तुम गिनना शुरू करो।”

खरगोश बोला, “अवश्य मित्र! किंतु पहले तुम सब एक पंक्ति बना लो, ताकि गिनना आसान हो जाये।”

मगरमच्छों ने एक पंक्ति बना ली। उनकी संख्या इतनी अधिक थी कि वे समुद्र के दूसरी छोर तक पहुँच गये। खरगोश ने गिनती शुरू की। वह हर मगरमच्छ के ऊपर कूदता और गिनता जाता, “एक दो तीन चार…”

इस तरह कूदते और गिनते हुए वह समुद्र के दूसरी ओर केरल प्रदेश पहुँच गया। वहाँ कदम रखते ही वह बोला, “मित्रों! मैं अब जब केरल पहुँच ही गया हूँ, तो कुछ दिन भ्रमण कर और राजकुमारी को देखकर ही लौटूंगा। तुम मेरे माता पिता को बता देना।”

ये कहकर वह कूदकर केरल प्रदेश में प्रवेश कर गया। वह इधर-उधर घूम रहा था, तब उसकी दृष्टि चार राजकुमारों पर पड़ी। वे सब राजकुमारी के स्वयंवर में जा रहे थे। उनकी बातें सुनकर खरगोश ने यह अंदाज़ लगा लिया कि उनके साथ जाकर वह राजकुमारी को देख सकता है।

वह राजकुमारों को रोककर बोला, “प्रणाम राजकुमार! मैं गोरा खरगोश हूँ। समुद्र पार से राजकुमारी के दर्शन के लिए आया हूँ। क्या आप मुझे अपने साथ ले चलेंगे?”

वे चारों राजकुमार बड़े धूर्त थे। उनमें से एक बोला, “इस अवस्था में तो हम तुम्हें नहीं ले जा सकते। पहले तुम्हें समुद्र में स्नान करना होगा, फिर धूल में लोटना होगा। उसके बाद ही तुम राजकुमारी से मिलने के योग्य बन पाओगे।”

खरगोश झटपट समुद्र में नहाकर आया और मिट्टी में लोटने लगा। मिट्टी में लोटने के कारण उसका उजला शरीर काला हो गया। उसने समुद्र के जल में अपनी परछाई देखी, तो दु:खी हो गया। चारों राजकुमार उस पर हँसते हुए उसे वहीं छोड़कर आगे बढ़ गये।

उदास खरगोश वहीं बैठ गया। तभी वहाँ से पाँचवा राजकुमार गुज़रा, जो पहले के चारों राजकुमारों का सबसे छोटा भाई था। खरगोश को देखकर वह वहीं रुक गया और उसकी उदासी का कारण पूछा।

खरगोश ने सारी बात बता दी। तब राजकुमार ने उसे समुद्र के जल में अच्छे से नहलाया। खरगोश फिर से गोरा हो गया। राजकुमार उसे अपने साथ लेकर राजकुमारी से मिलने के लिए आगे बढ़ा।

दोनों जब राजकुमारी के महल पहुँचे, तो राजकुमारी बाग में अपनी सखियों के साथ बैठी हुई थी। खरगोश राजकुमारी के पास गया। वह उसे देखकर बहुत खुश था। राजकुमारी ने भी गोरे खरगोश को अपनी गोद में उठा लिया और उससे खेलने लगी। खरगोश ने अपने साथ घटी पूरी घटना का वर्णन राजकुमारी से किया और बताया कि सभी राजकुमारों में सबसे छोटा राजकुमार सबसे अधिक दयालु है।

अगले दिन स्वयंवर में राजकुमारी ने सबसे छोटे राजकुमार को अपना वर चुना। राजकुमार और राजकुमारी खुशी-खुशी रहने लगे। गोरा खरगोश भी उनके साथ रहने लगा।

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