एयरपोर्ट का सफाईकर्मी आज है ₹2 मिलियन का मालिक | Enterprise Monkey CEO Aamir Qutub Success Story In Hindi

Enterprise Monkey CEO Aamir Qutub Success Story In Hindi, Enterprise Monkey Success Story In Hindi 

आमिर कुतुब भारतीय मूल के बिजनेसमैन हैं, जो ऑस्ट्रेलिया के जिलाउंग शहर में एंटरप्राइज मंकी (Enterprise Monkey) नाम की कंपनी चलाते हैं। आज उनकी कंपनी 4 देशों में फैली हुई है और उनकी कंपनी का टर्न ओवर लगभग ₹10 करोड़ रूपए है। लेकिन ये राह आमिर के लिए आसान नहीं रही। उन्होंने एयरपोर्ट पर साफ सफाई का काम किया, अखबार बेचे और अपने देश से दूर विदेश में कई चुनौतियों का सामना किया, तब जाकर वे सफलता की सीढ़ी चढ़ पाए।

अपनी मेहनत और लगन के बल पर आमिर ने जो सफलता प्राप्त की, आइए जानते हैं उसकी कहानी (Enterprise Monkey CEO Aamir Qutub Success Story In Hindi) :

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Aamir Qutub Success Story In Hindi

Aamir Qutub Success Story In Hindi

आमिर कुतुब का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा 

आमिर कुतुब का जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर के एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता सरकारी कर्मचारी थी और मां गृहणी। उनका बचपन अलीगढ़ में ही बीता और वहीं उन्होंने अपना स्कूली जीवन प्रारंभ किया। अलीगढ़ के ही स्कूल से उन्होंने 12 वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। 

उनके पिता की इच्छा थी कि वे डॉक्टर या इंजीनियर बनें। इंजीनियर बनने के लिए उन्होंने 12 वीं उत्तीर्ण करने के बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बीटेक में दाखिला ले लिया, जहां उनकी ब्रांच मैकेनिकल इंजीनियरिंग थी। 

बीटेक सेकंड ईयर में उनका कोडिंग की तरफ रुझान हुआ और वे कोडिंग सीखने लगे। उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर स्टूडेंट्स के लिए एक सोशल नेटवर्किंग एप भी बनाई, जिसमें एक ही सप्ताह में दस हजार स्टूडेंट्स जुड़े।

होंडा कंपनी में जॉब

वर्ष 2011 में इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वे जॉब करने के लिए दिल्ली चले गए, जहां होंडा कंपनी में वे प्रोडक्शन इंजीनियर की जॉब करने लगे। लेकिन जॉब में उनका मन नहीं लग रहा था। उन्हें समय सीमा में बंधी नौकरी रास नहीं आ रही थी। होंडा कंपनी में उस समय डिजिटलीकरण नहीं हुआ था। आमिर ने ऑटोमेशन और डिजिटलीकरण का सुझाव दिया। उनके सुझावों को माना गया और यह जिम्मेदारी उन्हें ही सौंप दी गई। उन्होंने पूरी मेहनत से कंपनी के डिजिटलीकरण प्रोजेक्ट पर काम किया, जिसे कंपनी के कई स्टोर्स पर लागू भी किया गया। लेकिन आमिर को इसका कोई अन्य लाभ नहीं मिला। उनकी प्रोफाइल जस की तस रही। आखिर उन्होंने जॉब छोड़कर खुद का काम करने का फैसला किया।

 फ्रीलांसिंग वर्क

उन्होंने जॉब छोड़ी और फ्रीलांसिंग का कार्य करने लगे। वे सॉफ्टवेयर में निपुण थे। उन्होंने वेबसाइट डिजाइन का काम शुरू किया। इस दौरान उन्होंने स्टूडेंट्स के लिए एक सोशल नेटवर्किंग साइट का निर्माण भी किया। 

वेबसाइट डिजाइनिंग के लिए उन्हें विदेशों के भी क्लाइंट भी मिलने लगे, जिसमें से कई क्लाइंट अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के भी थे। उनके ऑस्ट्रेलिया के एक क्लाइंट ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया आकर अपनी किस्मत आजमाने का सुझाव दिया। आमिर ने ऑस्ट्रेलिया जाने का मन बना लिया, ताकि वहां वे अपने करियर में बेहतरीन अवसर की तलाश कर सकें। 

ऑस्ट्रेलिया में एयरपीर्ट में बने सफाई कर्मी

आमिर स्टूडेंट वीज़ा पर ऑस्ट्रेलिया चले गए और वहां Deakin University Victoria में मास्टर ऑफ बिजनस मैनेजमेंट (MBA) में दाखिला ले लिया। पहले साल उन्हें स्कॉलरशिप मिली। घर से भी पैसा मिल जाया करता था। लेकिन सेकंड सेनेस्टर के बाद फीस देना और खर्चा चलाना उनके लिए मुश्किल होने लगा। तब उन्होंने जॉब करने का फैसला किया और विभिन्न कंपनीज में अप्लाई करने लगे। लेकिन तकरीबन 300 कंपनीज में जॉब के लिए अप्लाई करने के बावजूद उन्हें काम नहीं मिला। आमिर की इंग्लिश बहुत अच्छी नहीं थी और जॉब के लिए एक्सपीरियंस मांगा जाता था, जो उनके पास था नहीं। मजबूर होकर उन्हें एयरपोर्ट में सफाई कर्मी के तौर पर काम करना पड़ा।

फाईकर्मी के जॉब में उन्हें 20 डॉलर प्रतिघंटा की दर से पेमेंट मिलती थी। लेकिन इस काम के कारण उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही थी, क्योंकि उनका पूरा दिन इस काम में निकल जाता। इसलिए उन्होंने ये काम छोड़कर अखबार डालने का काम शुरू कर दिया। यह काम सुबह 3 बजे से 7 बजे तक होता था, जिसमें उन्हें पढ़ने का समय मिल जाया करता था। जब उनके घरवालों को ये पता चला, तो उन्होंने उन्हें भारत लौटने को कहा, लेकिन आमिर नहीं माने। 

गीलॉन्ग कंपनी के जनरल मैनेजर बने

कॉलेज के आखिरी सेमेस्टर में उन्हें एक टेक्नोलॉजी कंपनी में इंटर्नशिप करने का अवसर मिला। जहां उन्होंने एक बिजनेस मॉडल रिपोर्ट तैयार की। उसके बाद उन्होंने इंटर्नशिप के लिए आईसीटी गीलॉन्ग कंपनी ज्वाइन की। वहां इंटर्नशिप के दौरान ही कंपनी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें ऑपरेशन मैनेजर बना दिया। उन्हें 5000 AUD सैलरी मिलने लगी।

डेढ़ साल में वे उस कंपनी के अंतरिम मैनेजर (Interim General Manager) बन गए। जब 2 साल बाद उन्होंने जॉब छोड़ी, तब वे कंपनी के जनरल मैनेजर के पद तक पहुंच चुके थे। उस दौरान उन्होंने कंपनी के राजस्व में 300% की बढ़ोत्तरी की। लेकिन बिजनेस करने के इरादे के कारण उन्होंने वह जॉब छोड़ दी।

एंटरप्राइज मंकी कंपनी की स्थापना

एक दिन आमिर कुतुब ट्रेन में सफर कर थे। उस सफर में उनकी मुलाकात एक बिजनेसमैन से हुई। उनसे बातचीत के दौरान आमिर के दिमाग में एक बिजनेस आइडिया आया। वह udea था, एक ऐसा एप्लिकेशन बनाने का, जो कंपनियों को बिजनेस के काम में सहायता प्रदान कर सके और उनके समय की बचत भी करे।

वर्ष 2014 में 2000 डॉलर के निवेश के साथ आमिर ने एंटरप्राइज मंकी (Enterprise Monkey) नाम की कंपनी की स्थापना की।

एंटरप्राइज मंकी कंपनी बिजनेस प्रोसेस को ऑटोमेट और ऑप्टिमाइज करती है, ताकि बिजनेस का काम सरलता से, सही तरीके और जल्दी हो सके। उससे बिजनेस कंपनी के मूल्यवान समय की बचत होती है और साथ ही आर्थिक बचत भी होती है। 

इसके अलावा एंटरप्राइज मंकी कंपनी मार्केटिंग और ऑनलाइन ब्रांडिंग के द्वारा प्रमोट करती है और उनका बिजनेस बढ़ाने में सहायता करती है। फलस्वरूप बिजनेस की आय में भी बढ़ोत्तरी होती है।

प्रारंभ में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उनकी कंपनी का टर्न ओवर बढ़ रहा था, पर मुनाफा नहीं। उनके पास 17 कर्मचारी काम कर रहे थे और उनकी सैलरी देने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन्होंने निजी ऋणदाताओं से 1,00,000 AUD का कर्ज़ लिया, ताकि अपने कर्मचारियों को सैलेरी दे सकें।

इस दौरान उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बिजनेस मॉडल का अध्ययन कर अपनी गलतियां ढूंढने लगी। इस दौरान वे उन्होंने अपने दोस्तों, क्लाइंट आदि की प्रतिक्रिया ली। तब वे समझ पाए कि बहुत अधिक छोटे क्लाइंट्स के बीच वे फंस गए हैं। उन्होंने अपने बिजनेस की गलतियों को सुधारा और कमियां दूर की। तीन महीनों में ही वे उस स्थिति में पहुंच गए कि उन्होंने अपना पूरा लोन चुका दिया।

कुछ ही सालों में एंटरप्राइज मंकी कंपनी अच्छी तरह स्थापित ही गई। आज कंपनी के पास तकरीबन 100 परमानेंट एंप्लॉई हैं और कॉन्ट्रैक्ट आधार पर तकरीबन 300 कर्मचारी कंपनी में काम करते हैं। कंपनी का विस्तार ऑस्ट्रेलिया सहित 4 देशों में है।

इसके आलावा आज ऑस्ट्रेलिया के आठ अन्य स्टार्ट-अप के वे निवेशक और सह-संस्थापक हैं, जिनका संयुक्त मूल्यांकन AUD 30 मिलियन है।

आमिर कुतुब की नेट वर्थ 

एंटरप्राइज मंकी कंपनी का टर्नओवर तकरीबन 10 करोड़ है और कंपनी के सीईओ आमिर कुतुब का नेटवर्थ 2 मिलियन डॉलर है।

उन्हें ऑस्ट्रेलियन यंग बिजनेस लीडर ऑफ द ईयर सहित कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उन्होंने अलीगढ़ में आमिर कुतुब फाउंडेशन की स्थापना की है, ताकि लोगों को बिजनेस के प्रति प्रोत्साहित कर सकें और उन्हें बढ़ावा दे सकें।

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