चार सवालों की कहानी | Char Sawalon Ki Kahani

चार सवालों की कहानी (Char Sawalon Ki Kahani) Four Questions Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये राजा विक्रमादित्य के आत्मज्ञान प्राप्ति की कहानी है।

Char Sawalon Ki Kahani

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Char Sawalon Ki Kahani

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एक घने जंगल में, जहाँ सदैव शांति का वास था, एक बूढ़े ऋषि तपस्या में लीन थे। उनका नाम वशिष्ठ था। उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। उनकी बुद्धि और ज्ञान का लोहा हर कोई मानता था। 

एक दिन, राजा विक्रमादित्य, जो अपनी वीरता और बुद्धि के लिए प्रसिद्ध थे, जंगल में शिकार खेलते हुए ऋषि वशिष्ठ के आश्रम में पहुंच गए। राजा विक्रमादित्य ने ऋषि को प्रणाम किया और उनसे पूछा, “महाराज, जीवन का सच्चा अर्थ क्या है? सफलता कैसे प्राप्त होती है?”

ऋषि मुस्कुराए और बोले, “राजन, जीवन के चार प्रश्न हैं जिनका उत्तर ढूंढने से तुम्हें सच्चा ज्ञान और सफलता प्राप्त होगी। ये प्रश्न हैं:

1. तू कौन है?

2. तू यहाँ क्यों आया है?

3. तू क्या कर सकता है?

4. तू मृत्यु के बाद क्या ले जाएगा?

राजा विक्रमादित्य इन प्रश्नों को सुनकर थोड़े भ्रमित हुए। उन्होंने सोचा, “ये तो बहुत ही सरल प्रश्न हैं। इनका उत्तर तो हर कोई जानता है।” 

लेकिन ऋषि ने कहा, “राजन, इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढना इतना आसान नहीं है। तुम्हें इन प्रश्नों पर गहराई से विचार करना होगा। तुम्हें अपने अंदर झांकना होगा।”

राजा विक्रमादित्य ने ऋषि को धन्यवाद दिया और उनसे विदा ली। वे जंगल में घूमने लगे और इन प्रश्नों पर विचार करने लगे। 

उन्होंने कई दिनों तक जंगल में भटकते हुए इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढने का प्रयास किया। उन्होंने विभिन्न ऋषियों, संतों और विद्वानों से भी इन प्रश्नों के बारे में पूछा। 

धीरे-धीरे, उन्हें इन प्रश्नों का उत्तर मिलने लगा।** उन्होंने महसूस किया कि:

वे एक आत्मा हैं, जो ईश्वर का अंश है। वे अमर हैं और उनका शरीर नश्वर है।

वे पृथ्वी पर कर्म करने और सीखने के लिए आए हैं। उन्हें अपने जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए और दूसरों की मदद करनी चाहिए।

वे प्रेम, करुणा और सेवा के माध्यम से दूसरों की मदद कर सकते हैं। वे अपनी क्षमताओं का उपयोग दुनिया को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं।

मृत्यु के बाद, वे अपने कर्मों का फल प्राप्त करेंगे। यदि उन्होंने अच्छे कर्म किए हैं, तो उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होगी। यदि उन्होंने बुरे कर्म किए हैं, तो उन्हें नरक भोगना होगा।

इस ज्ञान से राजा विक्रमादित्य का जीवन पूरी तरह बदल गया।उन्होंने अपनी शक्ति और धन का उपयोग दूसरों की भलाई के लिए करना शुरू कर दिया। वे एक न्यायप्रिय और दयालु राजा बन गए। 

उन्होंने अपने राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विकास किया। उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों की मदद की। उन्होंने अपराध और अन्याय को मिटाने का प्रयास किया। 

राजा विक्रमादित्य की प्रजा उनसे बहुत प्रेम करती थी। वे उन्हें एक आदर्श राजा मानते थे। 

राजा विक्रमादित्य का शासनकाल एक स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है। उनके राज्य में शांति और समृद्धि थी। 

राजा विक्रमादित्य की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन का सच्चा अर्थ आत्म-ज्ञान और सेवा में निहित है। जब हम इन चार प्रश्नों का उत्तर ढूंढ लेते हैं, तो हम सच्ची खुशी और सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

सीख

हमें सदैव आत्म-चिंतन करते रहना चाहिए।

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