दो बंदर की कहानी | Do Bandar Ki Kahani

दो बंदर की कहानी (Do Bandar Ki Kahani) Two Monkeys Story In Hindi With Moral इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये कहानी दो भिन्न स्वभाव के बंदरों की है। एक आलसी है, दूसरा मेहनती। कैसे मेहनती बंदर दूसरे बंदर की आलस से दूर करता है। पढ़िए 

Do Bandar Ki Kahani

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Do Bandar Ki Kahani

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एक घने जंगल में दो बंदर रहते थे, जिनका नाम बंटी और बबली था। बंटी चतुर और होशियार था, जबकि बबली कुछ आलसी और आरामपसंद था। दोनों बचपन के दोस्त थे और हमेशा साथ रहते थे।

बंटी और बबली का एक खास शौक था—वे जंगल के सबसे बड़े पेड़ पर चढ़कर सबसे ऊंची डाल पर बैठते और नीचे का नज़ारा देखते। उन्हें पेड़ के फल खाना बहुत पसंद था। एक दिन, बंटी ने एक दूर के पेड़ पर ढेर सारे पके हुए फल देखे। उसने बबली से कहा, “चलो, बबली! उस पेड़ पर बहुत सारे फल हैं। हम वहां जाकर पेट भर सकते हैं।”

बबली ने आलसी भाव में कहा, “अरे बंटी, यहां भी तो फल हैं। क्यों इतनी मेहनत करें?”

बंटी ने जवाब दिया, “लेकिन वहां के फल बड़े और ज्यादा मीठे हैं। चलो, थोड़ा मेहनत करेंगे तो अच्छा खाना मिलेगा।”

आखिरकार, बंटी की बात मानकर बबली तैयार हो गया। दोनों बंदर उस पेड़ की ओर चल पड़े। रास्ता कठिन और लंबा था, लेकिन बंटी ने हिम्मत नहीं हारी। बबली थोड़ी-थोड़ी दूरी पर रुककर आराम करने लगता, लेकिन बंटी उसे हिम्मत दिलाता और साथ लेकर चलता रहा।

कुछ घंटे की मेहनत के बाद, वे आखिरकार उस पेड़ के पास पहुंच गए। वहां फल इतने बड़े और मीठे थे कि दोनों के मुंह में पानी आ गया। बंटी फौरन पेड़ पर चढ़ने लगा और बबली भी उसके पीछे-पीछे चढ़ा। दोनों ने मिलकर खूब सारे फल तोड़े और खाने लगे। 

बबली थोड़े ही फलों से संतुष्ट होकर पेड़ की नीचे की डाल पर ही आराम करने लगा। बंटी ने उसे ऊपर की डाल पर चलने का आग्रह किया, जहाँ फल और भी ज्यादा थे। बबली ने कहा, “मुझे यहाँ ही ठीक लग रहा है। ऊपर जाने में और मेहनत लगेगी।”

तभी, अचानक, जंगल में कुछ शिकारियों का समूह आ गया। उन्होंने बंदरों को देखते ही उनके ऊपर जाल फेंकने की कोशिश की। बंटी जल्दी से ऊपर की डाल पर कूद गया, जबकि बबली, जो आराम कर रहा था, नीचे फँस गया। 

बंटी ने जोर से चिल्लाया, “बबली, जल्दी ऊपर आओ!” लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। शिकारी बबली को पकड़ने में कामयाब हो गए और उसे जाल में बांधकर ले जाने लगे। बंटी ने तेजी से ऊपर चढ़कर पास की डाल से एक बड़ी टहनी तोड़ी और शिकारियों की ओर फेंकी। 

टहनी की चपेट में आकर शिकारी घबरा गए, उनका ध्यान भटक गया। इस बीच बंटी ने नीचे आकर बबली को जाल से मुक्त कराया और दोनों वहां से भाग निकले।

सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के बाद बबली ने बंटी से कहा, “बंटी, मैं समझ गया कि मेहनत का महत्व क्या है। अगर मैंने तुम्हारी बात मानी होती और ऊपर की डाल पर गया होता, तो शायद यह परेशानी नहीं होती।”

बंटी ने मुस्कराते हुए कहा, “हाँ बबली, मेहनत और सतर्कता हमें कई मुसीबतों से बचा सकती है।”

उस दिन से, बबली ने मेहनत और सतर्कता का महत्व समझ लिया और बंटी के साथ हर काम में जुटने लगा। दोनों दोस्त मिलकर हर मुश्किल को पार करते और जंगल में सबसे खुश रहते।

सीख

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत और सतर्कता न केवल हमें सफलता दिलाते हैं, बल्कि हमें मुसीबतों से भी बचाते हैं।

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