फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम “घर में भीड़” मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी (The Crowded House Story In Hindi Mulla Nasruddin) शेयर कर रहे हैं. ये कहानी एक ऐसे आदमी की है, जो अपने छोटे से घर से बड़ा परेशान था। एक दिन वह मुल्ला नसरुद्दीन से इस संबंध में सलाह लेने गया। मुल्ला ने उसे क्या सलाह दी? क्या उसकी समस्या सुलझ पाई? जानने के लिए पढ़िए Mulla Nasruddin Ki Kahani :
The Crowded House Story In Hindi
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एक दिन एक आदमी मुल्ला नसरुद्दीन के पास आया और बोला, “मुल्ला! मैं बहुत परेशान हूँ। मैं तुम्हारे पास सलाह लेने आया हूँ।”
“बताओ! तुम्हें क्या परेशानी है!” मुल्ला नसरुद्दीन ने पूछा।
“मेरी परेशानी मेरा घर है। मैं एक बहुत ही छोटे से घर में अपनी बीवी और तीन बच्चों के साथ रहता हूँ। घर में इतनी कम जगह है कि वहाँ रहना मुश्किल है। लेकिन इतने पैसे मेरे पास नहीं है कि बड़ा घर ले सकूं। अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं!” आदमी ने अपनी परेशानी बताई।
उसकी परेशानी सुनकर मुल्ला नसरुद्दीन ने पूछा, “क्या तुम्हारे घर पर मुर्गियाँ है?”
“हाँ है!”
“तो आज से तुम उन्हें अपने घर के बाहर नहीं, अंदर रखना।” मुल्ला नसरुद्दीन शांत भाव से बोला।
आदमी हैरान था, मगर उसने सोचा कि जैसा मुल्ला कह रहा है, वैसा ही करके देखता हूँ। उस शाम घर पहुँचकर उसने सारी मुर्गियाँ दड़बे में से निकाली और घर के अंदर रख लीं।
मुर्गियों के घर के अंदर आ जाने से उस छोटी जगह में उनका गुज़ारा और मुश्किल हो गया। एक-दो दिन किसी तरह बिताकर वह फिर मुल्ला नसरुद्दीन के पास पहुँचा और बोला –
“मुल्ला! तुमने जैसा कहा, वैसा मैंने किया। मुर्गियाँ घर में डाल लीं। लेकिन मुर्गियों के घर में आने के बाद तो और भी हाल बुरा है। बताओ अब मैं क्या करूं?”
मुल्ला ने फिर बड़ी शांति से पूछा, “तुम्हारे घर में बकरियाँ हैं?”
“हाँ है!”
“तुम बकरियों को अब घर के अंदर ले जाओ।”
आदमी हैरान होकर मुल्ला को देखने लगा।
“जैसा कह रहा हूँ, वैसा करो।” मुल्ला बोला।
आदमी घर लौट आया और जैसा मुल्ला ने कहा था, वैसा ही किया। सारी बकरियाँ घर के अंदर डाल ली। अब घर में और जगह न बची थी। सब के सब बहुत परेशान थे। कुछ दिन उसी तरह रहने के बाद आदमी फिर मुल्ला के पास पहुँचा और थोड़ा गुस्से में बोला –
“मेरा घर भर गया है। मुर्गे और बकरियों की कारण घर में रहना मुश्किल हो गया है। पांव रखने को जगह ना बची है।”
उसकी बात पर ध्यान दिए बगैर मुल्ला ने पूछा, “तुम्हारे घर गधा है?”
“तो क्या उसे भी घर में डाल लूं?” आदमी थोड़ा गुस्से और थोड़ा हैरानी में बोला।
“हाँ!” मुल्ला ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
आदमी घर चला गया और गधे को घर में डाल दिया। मुर्गियों, गधे और बकरियों के साथ किसी तरह उसने और उसके परिवार ने कुछ दिन गुज़ारे। सब बहुत परेशान थे। जब रहा न गया, तो आदमी फिर मुल्ला के पास पहुँचा और बोला –
“ये ऐसी सलाह दी है तुमने? जीना मुश्किल कर दिया है। मैं ही गधा था, जो तुम्हारे पास सलाह मांगने आया था।”
“क्या घर में बिल्कुल जगह नहीं?” मुल्ला ने पूछा।
“मैंने तुमको पहले ही बताया था कि मेरा घर बहुत छोटा है और हम इंसानों के रहने के लिए भी वहाँ जगह नहीं।”
“ठीक है तो ऐसा करो कि उन मुर्गियों, बकरियों और गधे को घर से बाहर निकाल दो।”
आदमी ने घर लौटकर मुर्गियों, बकरियों और गधे को घर से बाहर निकाल दिया। उसके कुछ दिन बाद वह फिर मुल्ला के पास आया और उसका शुक्रिया अदा करने लगा।
“मुल्ला! तुमने सच में कमाल की सलाह दी थी। अब सच में मैं और मेरा परिवार उस छोटे से घर में बहुत खुश हैं। उन जानवरों को घर से बाहर निकालने के बाद हमें घर काफ़ी जगह लगने लगी है, जहाँ हम आराम से रह रहे हैं, बिना किसी शिकायत के। अब हमने सीख लिया है कि जो पास है, उसका कैसे सही तरीके से प्रबंध करें और उसके साथ कैसे ख़ुश रहें। शुक्रिया!”
सीख (Moral of the story)
जो स्रोत हमारे पास हैं, हमें उसका सही प्रबंधन सीखना चाहिए।
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