राजा की तीन सीखें : जीवन का सीख देने वाली कहानी | Short Story About Life Lessons In Hindi

Story About Life Lessons In Hindi
Story About Life Lessons In Hindi

Story About Life Lessons In Hindi : बहुत समय एक राज्य में एक प्रतापी राजा हुआ करता था. उसके तीन पुत्र थे. अपने पुत्रों को सुयोग्य बनाने के लिए उसने उनकी शिक्षा-दीक्षा की सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था की और उन्हें हर विधा में पारंगत बनाया. वह चाहता था कि उसके पुत्र इस लायक बनें कि भविष्य में राज्य की बागडोर सुचारू रूप से संभाल सकें.

जब वह वृद्ध हो चला, तो एक दिन उसने अपने सभी पुत्रों को अपने पास बुलवाया. उसने अपने पुत्रों से कहा, “पुत्र! हमारे राज्य में नाशपाती का एक भी वृक्ष नहीं है. मेरी इच्छा है कि तुम लोग इस वृक्ष की खोज में जाओ और मुझे वापस आकर बताओ कि वह कैसा होता है? किंतु तुम सब अलग-अलग और चार-चार माह के अंतराल के इस खोज में जाओगे और सब साथ में आकर ही मुझे मेरे प्रश्न का उत्तर देना.”

“जो आज्ञा पिताश्री.”  तीनों पुत्र एक स्वर में बोले.

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ज्येष्ठ पुत्र सबसे पहले गया. उसके उपरांत मंझला. कनिष्ठ पुत्र अंत में गया. जब सभी पिता के कहे वृक्ष की खोज कर वापस लौट आये, तब एक साथ राजा के पास पहुँचे.

राजा उनसे बोले, “पुत्र! बारी-बारी से बताओ कि वह वृक्ष कैसा होता है?”

ज्येष्ठ पुत्र बोला, “पिताश्री, वह वृक्ष अजीब हैं. उसमें न कोई पत्तियाँ हैं न ही फल. वह तो एक सूखा वृक्ष है.”

“नहीं..नहीं…वह वृक्ष तो हरा-भरा वृक्ष है. कदाचित उस पर फल नहीं लगते थे. यह एक बड़ी कमी है उस वृक्ष में.” मंझला पुत्र बोला.

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इतने में कनिष्ठ पुत्र बोल पड़ा, “पिताश्री प्रतीत होता है कि दोनों भ्राता किसी अन्य वृक्ष को देखकर आ गए हैं. नाशपाती का वृक्ष तो हरा-भरा और फलों से लदा होता है. मैं अपनी आँखों से देखकर आ रहा हूँ.”

तीनों पुत्र अपनी-अपनी बात पर अड़ गए और विवाद करने लगे.

उनके विवाद को शांत करने राजा बोला, “पुत्रों, विवाद मत करो. जो तुमने अपनी आँखों से देखा है, उसे ही सत्य मानो. तुमने जो देखा है, वास्तव में वही सत्य है. तुम तीनों नाशपाती का ही वृक्ष देखकर आये हो और जो वर्णन तुम कर रहे हो, वह उसी वृक्ष का है. तुम्हारे वर्णन में अंतर इसलिए है कि तुमने वह वृक्ष अलग-अलग मौसम में देखा है.”

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राजा की बात सुनकर तीनों पुत्र एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे. राजा आगे कहने लगा, “पुत्रों मैंने जानबूझकर तुम तीनों को अलग-अलग मौसम में भेजा था. ऐसा मैंने तुम्हें जीवन की एक गहरी सीख देने के लिए किया था. अब मैं तुम्हें जो कहने जा रहा हूँ, उसे ध्यान से सुनो और सदा स्मरण रखो.”

इसके बाद राजा ने अपने पुत्रों को तीन बातें बताई :

  • किसी भी चीज़ के क्षणिक अवलोकन से उसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं होती. किसी भी वस्तु, व्यक्ति और विषय के बारे में सही, सटीक और पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए उसका लंबे समय तक अवलोकन और परख आवश्यक है. इसलिए किसी के भी बारे में तत्काल राय मत बनाओ.
  • मौसम सदा एक सा नहीं रहता. मौसम का प्रभाव जैसे नाशपाती के वृक्ष पर पड़ा था और वह कभी सूखा, कभी हरा-भरा दिखाई पड़ा. उसी प्रकार जीवन के उतार-चढ़ाव के कारण मनुष्य के जीवन में सुख-दुःख, सफ़लता-असफ़लता का दौर आता है. ऐसे दौर में हिम्मत मत हारो. धैर्य से उनका सामना करो. मौसम की तरह बुरा समय भी चला जायेगा और सुख का समय अवश्य आएगा.
  • किसी भी विषय में दूसरे का मत अच्छी तरह जाने बिना अनावश्यक विवाद में मत पड़ो. दूसरे का पक्ष भी सुनो और उसके विचारों और दृष्टिकोण को जानो. इससे तुम्हरा ज्ञान वर्धन होगा और दृष्टिकोण व्यापक होगा. जब भी विवाद की स्थित निर्मित हो, किसी ज्ञानी और बुद्धिमान व्यक्ति से परामर्श लेकर अपना विवाद सुलझा लो.

राजा की सीख तीनों पुत्रों ने गांठ बांध ली और प्रण किया कि जीवन में सदा इन बातों पर अनुसरण करेंगे.

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