अर्जुन और चिड़िया की आंख की कहानी महाभारत | Arjun And Bird’s Eye Story In Hindi Mahabharata

अर्जुन और चिड़िया की आंख की कहानी महाभारत कथा  Arjun Aur Chidiya Ki Ankh Ki Kahani Mahabharata, Story Of Mahabharata Arjun And The Bird’s eye, Arjun And The Bird’s Eye Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। यह एक प्रेरक कहानी है, जो सफलता प्राप्ति के लिए जीवन की सबसे बड़ी सीख देती है।

Arjun Aur Chidiya Ki Ankh Ki Kahani

Arjun Aur Chidiya Ki Ankh Ki Kahani

>

उन दिनों पांचों पांडव और समस्त कौरव गुरु द्रोण से धनुर्विद्या की शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। गुरु द्रोण ने एक दिन उनकी परीक्षा लेने का विचार किया और इसी उद्देश्य से उन्हें लेकर जंगल की ओर प्रस्थान कर गए।

काफी दूर चलने के बाद वे जंगल में एक स्थान पर पहुंचकर ठहर गए। वहां एक ऊंचा और विशाल पेड़ था। गुरु द्रोण ने पांचों पांडव और कौरव से कहा कि आज उन सबकी धनुर्विद्या की परीक्षा है। वे देखना चाहते हैं कि अब तक उन्होंने जो कुछ उन्हें सिखाया, उसमें वे कितने निपुण हुए।

पांडव और कौरव तैयार हो गए। गुरु द्रोण ने पेड़ पर एक नकली चिड़िया लटका दी और सभी राजकुमारों से बोले, “तुम्हें पेड़ पर लटकी चिड़िया की आंख पर निशाना साधना है। सभी तैयार हैं?”

पढ़ें : एकलव्य की कहानी महाभारत

पांडव और कौरव राजकुमारों ने हामी भरी। गुरु द्रोण ने सबसे पहले युद्धिष्ठिर को निशाना साधने बुलाया। धनुष बाण हाथ में लिए अर्जुन आगे आए।

गुरु द्रोण ने पूछा, “क्या तुम तैयार हो?”

 युद्धिष्ठिर ने हां में सिर हिलाया। तब गुरु द्रोण ने पेड़ की ओर संकेत कर पूछा, “बताओ, तुम्हें उस पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है?”

“गुरुदेव मुझे तो एक बड़ा पेड़ दिखाई दे रहा है, जिसकी कई शाखाएं फैली हुई है। शाखाओं पर हरे हरे पत्ते हैं। पेड़ पर चिड़ियाओं ने घोंसला बनाया हुआ हैं। आपने एक डाली पर एक नकली चिड़िया लटकाई हुई है।” युधिष्ठिर ने पूरा वर्णन कर दिया।

गुरु द्रोण ने कहा, “युद्धिष्ठिर तुम अभी इस परीक्षा के लिए तैयार नहीं हो। पीछे जाकर खड़े हो जाओ।”

युद्धिष्ठिर चला गया। गुरु द्रोण ने भीम को आगे बुलाया और वही प्रश्न दोहराया, “बताओ भीम, तुम्हें इस पेड़ पर क्या दिखाई दे रहा है!”

भीम ने दो कदम आगे जाकर वर्णन किया, “मुझे तो ये धरती आकाश, घना जंगल, मेरे सारे भाई, गुरुदेव आप और ये घना पेड़, इसकी पत्तियां और इस पर लटकी चिड़िया दिखाई दे रही है।”

गुरु द्रोण ने कहा, “भीम, अभी तुम इस परीक्षा के लिए पूरी तरफ तैयार नहीं हो। पीछे जाकर खड़े हो जाओ।”

भीम पीछे जाकर खड़ा हो गया। उसके बाद गुरु द्रोण ने एक एक करके नकुल और सहदेव तथा दुर्योधन सहित सभी कौरव राजकुमारों को बुलाया और वही प्रश्न पूछा। सबने वही उत्तर दिया कि उन्हें पेड़, शाखाएं, पत्ते और चिड़िया दिखाई दे रही है। गुरु द्रोण ने सबसे यही कहा कि वे अभी इस परीक्षा के लिए तैयार नहीं हैं और उन्हें निशाना लगाने नहीं दिया।

अंत में अर्जुन सामने आया। गुरु द्रोण ने वही प्रश्न दोहराया, “बताओ अर्जुन! तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है?”

अर्जुन ने बाण चढ़ाकर उत्तर दिया, “मुझे बस चिड़िया की आंख दिखाई दे रही है।”

गुरु द्रोण ने कहा, “निशाना साधो।”

अर्जुन ने निशाना लगाया और बाण ने चिड़िया की आंख को बेध दिया।

गुरु द्रोण के सभी राजकुमारों को समझाया कि जब आप किसी लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं, तो पूरा ध्यान लक्ष्य होना चाहिए। लक्ष्य के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं देना चाहिए। यही किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने का मूल मंत्र है। एक साथ कई कार्यों में उलझे रहोगे, तो कभी लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाओगे। इसलिए अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ लक्ष्य पर लगाओ।

सीख (Arjuna And Bird’s Eye In Hindi Moral)

सफलता प्राप्ति के लिया पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए।

आशा है, आपको “Arjun Aur Chidiya Ki Aankh Kahani” पसंद आई होगी। ऐसी ही Mahabharat Ki Kahaniya पढ़ने के लिए हमें subscribe करना न भूलें।

ध्रुव तारा की कहानी

श्रवण कुमार की कहानी

आरुणि की कहानी

उपमन्यु की कहानी

Leave a Comment