और नदी शांत हो गई कश्मीर की लोक कथा

और नदी शांत हो गई कश्मीर की लोक कथा (And the River Became Calm Kashmir Folk Tale In Hindi) Aur Nadi Shant Ho Gai Kashmir Ki Lok Katha 

और नदी शांत हो गई (And the River Became Calm) कश्मीर की एक प्रसिद्ध लोक कथा है, जो समझदारी, धैर्य, और सामुदायिक सहयोग की महत्ता को दर्शाती है। यह कथा इस प्रकार है:

Aur Nadi Shant Ho Gai Kashmir Ki Lok Katha

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Aur Nadi Shant Ho Gai Kashmir Ki Lok Katha

बहुत समय पहले कश्मीर की एक खूबसूरत घाटी में एक छोटी सी बस्ती थी। इस बस्ती के पास से एक नदी बहती थी, जो अपनी तेज धारा और गर्जना के लिए जानी जाती थी। नदी की धारा इतनी तेज थी कि बस्ती के लोग हमेशा डरते रहते थे कि कहीं बाढ़ न आ जाए और उनकी फसलें और घर नष्ट न हो जाएं।

एक दिन बस्ती के मुखिया ने सभी गाँववालों को बुलाया और कहा, “हमें इस नदी की तेज धारा को नियंत्रित करना होगा, नहीं तो यह हमारे जीवन के लिए खतरा बन जाएगी।”

गाँववालों ने बहुत सोचा, लेकिन उन्हें कोई उपाय नहीं सूझा। अंत में एक बूढ़े व्यक्ति ने कहा, “हमें नदी की आत्मा से मदद माँगनी चाहिए।”

गाँव के लोग बूढ़े व्यक्ति की बात मानकर नदी की आत्मा से प्रार्थना करने लगे। कई दिन और रातें बीत गईं, लेकिन नदी की धारा शांत नहीं हुई। एक दिन एक साधु गाँव में आया और उसने गाँववालों की परेशानी सुनी। साधु ने कहा, “मैं इस नदी की आत्मा से बात करूंगा, लेकिन इसके लिए हमें धैर्य और विश्वास रखना होगा।”

साधु नदी के किनारे बैठ गया और ध्यानमग्न हो गया। उसने कई दिनों तक ध्यान किया और अंत में नदी की आत्मा उसके सामने प्रकट हुई। नदी की आत्मा ने कहा, “तुम लोग मुझसे क्या चाहते हो?” 

साधु ने नदी की आत्मा से निवेदन किया, “हे नदी की आत्मा, कृपया अपनी धारा को शांत करें, ताकि गाँव के लोग सुरक्षित रहें।”

नदी की आत्मा ने कहा, “मैं अपनी धारा को तभी शांत करूंगी, जब गाँव के लोग एक साथ मिलकर एक विशेष पुल का निर्माण करेंगे। यह पुल उनकी एकता और समझदारी का प्रतीक होगा।” 

साधु ने गाँववालों को नदी की आत्मा की बात बताई। गाँव के लोग एक साथ मिलकर पुल बनाने में जुट गए।

गाँव के सभी लोग, बच्चे, बूढ़े, महिलाएं और पुरुष सभी ने मिलकर पुल बनाने का काम शुरू किया। उन्होंने कठिन मेहनत और परिश्रम से पुल का निर्माण किया। पुल बनकर तैयार हो गया और नदी की आत्मा ने अपना वादा निभाया। नदी की धारा धीरे-धीरे शांत हो गई और गाँव के लोगों की परेशानी दूर हो गई।

इस घटना के बाद गाँव में खुशहाली आ गई। गाँव के लोग साधु और नदी की आत्मा का आभार मानते हुए अपने जीवन में एकता और समझदारी की महत्ता को समझ गए। वे जान गए कि सामूहिक प्रयास और सहयोग से किसी भी कठिनाई का समाधान किया जा सकता है।

सीख

इस कहानी का संदेश है कि धैर्य, विश्वास और सामूहिक प्रयास से किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। गाँव के लोगों ने अपनी एकता और परिश्रम से नदी की धारा को शांत किया और अपने जीवन को सुरक्षित बनाया। यह कथा हमें सिखाती है कि समस्या कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर हम एक साथ मिलकर प्रयास करें, तो उसे हल किया जा सकता है।

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