फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी “चक्के वाला चूल्हा” (Chakke Waka Chulha Mulla Nasruddin Ki Kahani) शेयर कर रहे हैं. इस कहानी में मुल्ला नसरुद्दीन अपने घर के आंगन में चूल्हा बनाता है. उस चूल्हे के बारे में वह अपने दोस्तों से राय लेता है. हर बार दोस्त उसे अलग-अलग राय देते है और मुल्ला उसके अनुसार तोड़-तोड़कर चूल्हा बनाता जाता है. आखिर में वह चक्के वाला चूल्हा बनाता है. उस चूल्हे को बनाने के बाद क्या होता है? जानने के लिए पढ़िए ये कहानी :
Chakke Waka Chulha Mulla Nasruddin
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एक बार मुल्ला नसरुद्दीन की बीवी ने उससे कहा, “सुनो जी, आंगन में एक चूल्हा बना दो. अंदर बड़ी गर्मी लगती है. यहाँ बाहर आराम से खाना बना लिया करूंगी.”
मुल्ला बेगम का हुक्म बजाने तैयार था. झटपट सारा सामान इकठ्ठा कर चूल्हा बनाने में जुट गया और बड़ी मेहनत से एक चूल्हा तैयार कर लिया.
चूल्हा देख वह बहुत ख़ुश हुआ और तारीफ़ सुनने की चाह में अपने दोस्तों को बुला लिया. दोस्त आये, चूल्हा देखा और तारीफ़ करने लगे, “वाह, मुल्ला तुम्हारा जवाब नहीं. क्या चूल्हा बनाया है माशा अल्लाह. शानदार.”
मुल्ला दिल ही दिल में ख़ुशी से उछल पड़ा. लेकिन उसकी ख़ुशी एक पल के लिए थी. अगले ही पल चूल्हे को गौर से देखते हुए उसके एक दोस्त ने कहा, “मुल्ला, चूल्हे का मुँह उत्तर की तरफ़ है. तुम्हें नहीं लगता कि उस दिशा से हवा चलने पर चूल्हे की सारी आग उड़ जायेगी.”
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मुल्ला को दोस्त की बात सही लगी. उसने वह चूल्हा तोड़ दिया और दूसरा चूल्हा बनाया. वह चूहा पहले चूल्हे से भी अधिक अच्छा बन पड़ा था. उसका मुँह दक्षिण दिशा की ओर था.
उसने फ़िर से अपनी दोस्तों को बुलाकर चूल्हा दिखाया और उनकी राय का इंतज़ार करने लगा. सभी दोस्त चूल्हे की तारीफ़ों के पुल बांधने लगे, “वाह मुल्ला कमाल कर दिया तुमने. इतना शानदार चूल्हा हमने पहले कभी नहीं देखा.”
लेकिन एक दोस्त ख़ामोश था. मुल्ला बोला, “मित्र, तुम भी कुछ कहो. यूं खामोश क्यों हो?”
“चूल्हा तो कमाल का है मुल्ला. लेकिन इसका मुँह दक्षिण दिशा की ओर है. उल्टी दिशा से हवा चलने पर तुम क्या करोगे? आग बाहर निकलेगी और तुम्हारे लिए खाना बनाना मुसीबत बन जायेगा.”
मुल्ला को बात पते की लगी. इसलिए उसने वह चूल्हा तोड़कर पूर्व दिशा की ओर मुँह करके एक नया चूल्हा बनाया. दोस्त चूल्हा देखने फ़िर आये. इस बार फ़िर एक दोस्त ने उसे कहा, “मुल्ला कुछ माह पूर्व दिशा से भी हवा चलती है. उन दिनों तुम परेशान रहोगे.”
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मुल्ला ने फ़िर अपना चूल्हा तोड़ दिया. अबकी बार उसने अपना पूरा दिमाग लगाते हुए चक्के वाला चूल्हा बनाया, ताकि उसे किसी भी दिशा में घुमाया जा सके. वह अपने चूल्हे से बहुत ख़ुश था.
उसके दोस्तों ने जब चूल्हा देखा, तो मुल्ला के तारीफ़ों के पुल बांधने लगे, “क्या दिमाग पाया है मुल्ला. अब तो तुम्हें किसी किस्म की कोई परेशानी नहीं होगी. इसे तो तुम अपने मन मुताबिक कहीं भी रख सकते हो. कहीं भी ले जा सकते हो. वाकई कमाल कर दिया तुमने.”
मुल्ला गर्व से फूल गया. दोस्त जब जाने लगे, तो एक दोस्त बोला, “मुल्ला एक गुज़ारिश है. उम्मीद है तुम टालोगे नहीं.”
“बताओ” मुल्ला बोला.
“क्या मैं आज तुम्हारा चूल्हा अपने घर ले जा सकता हूँ. कल सुबह वापस कर दूंगा.” दोस्त बोला.
मुल्ला से इंकार करते नहीं बना. इसलिए उसने हामी भर दी. दोस्त वह चक्के वाला चूल्हा अपने घर ले गया. रात को उसने उसी चूल्हे पर खाना बनाया और अगले दिन मुल्ला को वापस कर दिया.
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मुल्ला ने चूल्हा आंगन में रख दिया और बीवी को खाना बनाने का बोलकर काम पर चला गया. दोपहर में जब वो खाना खाने वापस आया, तो देखा कि उसके बीवी आँगन में एक चारपाई पर सिर पकड़कर बैठी है.
मुल्ला ने पूछा, “क्या हुआ? खाना बना लिया क्या?”
“ख़ाक खाना बनाया है.” मुल्ला की बीवी गुस्से से चिल्लाई, “तुमने चूल्हा क्या बनाया आफ़त हो गई.”
“गोल-मोल बातें मत करो. सही-सही बोलो क्या हुआ?” मुल्ला ने पूछा.
“चक्के वाला चूल्हा बनाकर बड़े इतरा रहे थे ना तुम, अब भुगतो. सब्जी लेने बाज़ार गई थी. उस बीच कोई चोर तुम्हारा चक्के वाला चूल्हा लेकर चला गया.”
यह सुनकर मुल्ला भी सिर पकड़कर बैठ गया.
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