मित्रता/दोस्ती पर ४ श्रेष्ठ कहानियाँ | Friendship Story In Hindi

Friends, हम ‘Friendship Story In Hindi With Moral’  में दोस्ती पर कहानियाँ (Dosti Ki Kahani) शेयर कर रहे हैं. दोस्ती जीवन का सबसे कीमती उपहार है. वह है, जिसके जीवन में सच्चे दोस्त के रूप में यह ख़ूबसूरत रिश्ता है. सुख-दुःख, हँसी-ठिठोली, अकेलेपन, मुसीबत, ज़रूरत के समय सच्चा दोस्त ही है, जो आपके साथ खड़ा होता है. रिश्ते की ये मजबूत डोरी कभी टूटने न दें. इसे हमेशा सहेजकर रखे. पढ़िये Dosti Story In Hindi :

 Friendship Story In Hindi

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Story On Friendship In Hindi # 1 : दो सैनिक दोस्त 

Friend Emotional Story In Hindi : दो बचपन के दोस्तों का सपना बड़े होकर सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना था. दोनों ने अपना यह सपना पूरा किया और सेना में भर्ती हो गये.

बहुत जल्द उन्हें देश सेवा का अवसर भी प्राप्त हो गया. जंग छिड़ गई और उन्हें जंग में भेज दिया गया. वहाँ जाकर दोनों ने बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया.

जंग के दौरान एक दोस्त बुरी तरह घायल हो गया. जब दूसरे दोस्त को यह बात पता चली, तो वह अपने घायल दोस्त को बचाने भागा. तब उसके कैप्टन ने उसे रोकते हुए कहा, “अब वहाँ जाने का कोई मतलब नहीं. तुम जब तक वहाँ पहुँचोगे, तुम्हारा दोस्त मर चुका होगा.”

लेकिन वह नहीं माना और अपने घायल दोस्त को लेने चला गया. जब वह वापस आया, तो उसके कंधे पर उसका दोस्त था. लेकिन वह मर चुका था. यह देख कैप्टन बोला, “मैंने तुमसे कहा था ना कि वहाँ जाने का कोई मतलब नहीं. तुम अपने दोस्त को सही-सलामत नहीं ला पाए. तुम्हारा जाना बेकार रहा.”

सैनिक ने उत्तर दिया, “नहीं सर, मेरा वहाँ उसे लेने जाना बेकार नहीं रहा. जब मैं उसके पास पहुँचा, तो मेरी आँखों में देख मुस्कुराते हुए उसने कहा था – दोस्त मुझे यकीन था, तुम ज़रूर आओगे. ये उसके अंतिम शब्द थे. मैं उसे बचा तो नहीं पाया. लेकिन उसका मुझ पर और मेरी दोस्ती पर जो यकीन था, उसे बचा लिया.”

सीख – सच्चे दोस्त अंतिम समय तक अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ते.


Dosti Story In Hindi # 2 : दोस्ती और भरोसा

रात घिर आई थी. परदेश की यात्रा पर निकले दो दोस्त सोहन और मोहन एक जंगल से गुजर रहे थे. जंगल में अक्सर जंगली जानवरों का भय रहता है. सोहन को भय था कि कहीं किसी जंगली जानवर से उनका सामना न हो जाए.

वह मोहन से बोला, “मित्र! इस जंगल में अवश्य जंगली जानवर होंगे. यदि किसी जानवर ने हम पर हमला कर दिया, तो हम क्या करेंगे?”

सोहन बोला, “मित्र डरो नहीं. मैं तुम्हारे साथ हूँ. कोई भी ख़तरा आ जाये, मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा. हम दोनों साथ मिलकर हर मुश्किल का सामना कर लेंगे.”

इसी तरह बातें करते हुए वे आगे बढ़ते जा रहे थे कि अचानक एक भालू उनके सामने आ गया. दोनों दोस्त डर गए. भालू उनकी ओर बढ़ने लगा. सोहन दर के मारे तुरंत एक पेड़ पर चढ़ गया. उसे सोचा कि मोहन भी पेड़ पर चढ़ जायेगा. लेकिन मोहन को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था. वह असहाय सा नीचे ही खड़ा रहा.

भालू उसके नज़दीक आने लगा. मोहन डर के मारे पसीने-पसीने होने लगा. लेकिन डरते हुए भी वह किसी तरह भालू से बचने का उपाय सोचने लगा. सोचते-सोचते एक उपाय उसके दिमाग में आ गया. वह जमीन पर गिर पड़ा और अपनी सांस रोककर एक मृत व्यक्ति की तरह लेटा रहा.

भालू नज़दीक आया. मोहन के चारों ओर घूमकर वह उसे सूंघने लगा. पेड़ पर चढ़ा सोहन यह सब देख रहा था. उसने देखा कि भालू मोहन के कान में कुछ फुसफुसा रहा है. कान में फुसफुसाने के बाद भालू चला गया.

भालू के जाते ही सोहन पेड़ से उतर गया. मोहन भी तब तक उठ खड़ा हुआ. सोहन ने मोहन से पूछा, “मित्र! जब तुम जमीन पर पड़े थे, तो मैंने देखा कि भालू तुम्हारे कान में कुछ फुसफुसा रहा है. क्या वो कुछ कह रहा था?”

“हाँ, भालू ने मुझसे कहा कि कभी भी ऐसे दोस्त पर विश्वास मत करना, तो तुम्हें विपत्ति में अकेला छोड़कर भाग जाये.”

सीख – जो दोस्त संकट में छोड़कर भाग जाये, वह भरोसे के काबिल नहीं.


Friendship Story In Hindi # 3 : दोस्त की कुर्बानी 

एक राज्य में श्याम नामक युवक रहा करता था. एक बार उसने राजा के किसी आदेश की अवहेलना कर दी. अपने आदेश की अवहेलना राजा को कतई गंवारा नहीं थी. जो भी उसके आदेश की अवहेलना करता, दंड का पात्र बनता. श्याम को भी सैनिक बंदी बनाकर राजा के समक्ष ले गये. भरे दरबार में राजा ने उसे मृत्युदंड सुनाया.  

अपने मृत्युदंड पर श्याम बोला, “महाराज! आपके द्वारा दिया गया मृत्युदंड शिरोधार्य है. किंतु मृत्यु पूर्व मेरा आपसे एक निवेदन हैं और वह यह है कि मुझे कुछ समय प्रदान किया जाये. ताकि अंतिम बार मैं अपने परिवार से मिल सकूं.”

राजा ने एक सिरे से उसका यह निवेदन अस्वीकार कर दिया, “तुम पर कैसे विश्वास किया जा सकता है? यहाँ से जाने के उपरांत तुम वापस नहीं लौटे तो? तुम्हारा यह निवेदन स्वीकार योग्य नहीं है.”

राजा के ये कहते ही राजदरबार में उपस्थित प्रजा में से एक युवक सामने आया और बोला, “महाराज! मेरा आपसे निवेदन है कि श्याम को उसके परिवार से मिलने जाने दिया जाये. उसके वापस आते तक मुझे बंदी बनाकर रख लिया जाये. यदि वह वापस न आये, तो उसके स्थान पर मृत्युदंड दे दिया जाये.”

युवक की बात सुनकर राजा आश्चर्यचकित रह गया. पहली बार ऐसा कोई व्यक्ति उसके सामने था, जो किसी अन्य के लिए अपने प्राण देने तत्पर था. राजा ने पूछा, “कौन हो युवक और इसका स्थान क्यों लेना चाहते हो?”

“महाराज, मेरा नाम कन्हैया है. मैं श्याम का मित्र हूँ. मुझे पूरा विश्वास है कि अपने परिवार से मिलकर ये अवश्य वापस आयेगा.” युवक बोला.

राजा ने सैनिकों को कन्हैया को बंदी बना लेने का आदेश दिया और श्याम को परिवार से मिलने जाने की अनुमति प्रदान कर दी. श्याम को ६ घंटे का समय दिया गया, जिसमें उसे अपने परिवार से मिलकर वापस आना था.

श्याम घोड़े पर सवार होकर अपने परिवार से मिलने पहुँचा और सबसे मिलकर तुरंत वापसी की राह पकड़ ली. वह समय व्यर्थ नहीं करना चाहता था. समय पर राजा के समक्ष न पहुँचने पर उसके मित्र के प्राण संकट में पड़ सकते थे. तीव्र गति से घोड़ा दौड़ाते हुए वह राजमहल की ओर चला आ रहा था कि एक स्थान पर वह घोड़े से गिर पड़ा और चोटिल हो गया.

इधर निर्धारित ६ घंटे पूरे हो गए. श्याम राजमहल नहीं पहुँच पाया. इस स्थिति में कन्हैया को मृत्युदंड के लिए तैयार किया जाने लगा. अपने अंतिम समय में कन्हैया ने श्याम का स्मरण किया और आँखें बंद कर ली. वह प्रसन्न था कि वह अपने मित्र के काम आ सका.

किंतु अंतिम क्षण में श्याम राजमहल पहुँच गया. वह राजा से बोला, “देरी के लिए क्षमा महाराज. मैं घोड़े से गिरने के कारण चोटिल हो गया था. अब मैं वापस आ चुका हूँ. कृपया मेरे मित्र कन्हैया को छोड़ दीजिये.”

श्याम का कथन सुनकर कन्हैया ऊँचे स्वर में बोला, “मित्र! तुम चले जाओ.”

श्याम बोला, “नहीं मित्र! मेरा दंड तुम कैसे भोग सकते हो? और मैं तुम ऐसा करने कैसे दे सकता हूँ? मेरा दंड है, मैं ही भोगूंगा. तुमने मेरे लिए जो किया उसके लिए मैं तुम्हारी आभारी हूँ.”

राजा श्याम और कन्हैया की मित्रता देख बहुत प्रसन्न हुआ और बोला, “ऐसी मित्रता मैंने आज तक नहीं देखी है. मैं तुम दोनों से बहुत प्रसन्न हूँ और घोषणा करता हूँ कि तुम दोनों में से किसी को भी मृत्युदंड नहीं दिया जायेगा. मैं तुम दोनों स्वतंत्र करता हूँ.”

सीख – सच्चा दोस्त वह होता है, जो हर घड़ी आप पर विश्वास करता है और आपके साथ खड़ा रहता है.


True Friendship Story In Hindi # 4 : दोस्ती और पैसा

एक गाँव में रमन और राघव नाम के दो दोस्त रहा करते थे. रमन धनी परिवार का था और राघव गरीब. हैसियत में अंतर होने के बावजूद दोनों पक्के दोस्त थे. एक साथ स्कूल जाते, खेलते, खाते-पीते, बातें करते. उनका अधिकांश समय एक-दूसरे के साथ ही गुजरता.

समय बीता और दोनों बड़े हो गए. रमन ने अपना पारिवारिक व्यवसाय संभाल लिया और राघव ने एक छोटी सी नौकरी तलाश ली. जिम्मेदारियों का बोझ सिर पर आने के बाद दोनों के लिए एक-दूसरे के साथ पहले जैसा समय गुज़ार पाना संभव नहीं था. जब मौका मिलता, तो ज़रूर उनकी मुलाकातें होती.

एक दिन रमन को पता चला कि राघव बीमार है. वह उसे देखने उसके घर चला आया. हाल-चाल पूछने के बाद रमन वहाँ अधिक देर रुका नहीं. उसने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और उसे राघव के हाथ में थमाकर वापस चला गया.

राघव को रमन के इस व्यवहार पर बहुत दुःख हुआ. लेकिन वह कुछ बोला नहीं. ठीक होने के बाद उसने कड़ी मेहनत की और पैसों का प्रबंध कर रमन के पैसे लौटा दिए.

कुछ ही दिन बीते ही थे कि रमन बीमार पड़ गया है. जब राघव को रमन के बारे में मालूम चला, तो वह अपना काम छोड़ भागा-भागा रमन  के पास गया और तब तक उसके साथ रहा, जब तक वह ठीक नहीं हो गया.

राघव का यह व्यवहार रमन को उसकी गलती का अहसास करा गया. वह ग्लानि से भर उठा. एक दिन वह राघव के घर गया और उससे अपने किये की माफ़ी मांगते हुए बोला, “दोस्त! जब तुम बीमार पड़े थे, तो मैं तुम्हें पैसे देकर चला आया था. लेकिन जब मैं बीमार पड़ा, तो तुम मेरे साथ रहे. मेरा हर तरह से ख्याल रखा. मुझे अपने किये पर बहुत शर्मिंदगी है. मुझे माफ़ कर दो.”

राघव ने रमन को गले से लगा लिया और बोला, “कोई बात नहीं दोस्त. मैं ख़ुश हूँ कि तुम्हें ये अहसास हो गया कि दोस्ती में पैसा मायने नहीं रखता, बल्कि एक-दूसरे के प्रति प्रेम और एक-दूसरे की परवाह मायने रखती है.”

सीख – पैसों से तोलकर दोस्ती को शर्मिंदा न करें. दोस्ती का आधार प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की परवाह है.


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