कौवा चला हंस की चाल कहानी | Kauwa Chala Hans Ki Chaal Kahani

कौवा चला हंस की चाल कहानी, Kauwa Chala Hans Ki Chaal Kahani, Crow And Swan Story In Hindi, Kauwa Aur Hans Ki Kahani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है।

Kauwa Chala Hans Ki Chaal Kahani

Kauwa Chala Hans Ki Chaal Kahani

>

एक जंगल में एक कौवा रहता था। उसे अपने ऊपर बड़ा घमंड था। उसे लगता था कि पूरे जंगल में सबसे ज्यादा काबिल वही है। वह सब कुछ कर सकता है। इसलिए वह जंगल के अन्य प्राणियों से कभी सीधे मुंह बात नहीं करता है। 

एक दिन जंगल में कहीं से एक बूढ़ा हंस आया। उसे कौवे के व्यवहार के बारे में पता चला। वह कौवे के बारे में जान चुका था, इसलिए हमेशा अपनी राह चलता था। एक दिन उसकी मुलाकात कौवे से हो गई।

कौवा उसे देखकर बड़े घमंड से बोला, “और हंस दादा! सुना है, तुम बहुत ऊंचा उड़ते हो।”

हंस ने उत्तर दिया, “हां! मैं काफ़ी ऊंचा उड़ लेता हूं।”

“लेकिन मुझसे ऊंचा नहीं। चलो मुझसे प्रतियोगिता करो। देखना मैं तुम्हें यूं हरा दूंगा।

पढ़ें : हाथी और दर्जी की कहानी

हंस का मन कौवे से प्रतियोगिता करने का नहीं था। उसने उसे मना किया, तो कौवा उसे उकसाने लगा, “तुम तो बड़े डरपोक हो। पहले ही हार मान बैठे। सच है, अब तुम्हारी उम्र भी नहीं रही।”

हंस को कौवे की बात बहुत बुरी लगी। उसने प्रतियोगिता के लिए हामी भर दी। दोनों में प्रतियोगिता शुरू हुई। हंस ने जानबूझकर कौवे को जीतने दिया। जीतने के बाद कौवा घमंड से फूल गया और हंस का मज़ाक उड़ाने लगा।

तब हंस ने कहा कि हर कोई हर काम में काबिल हो जरूरी तो नहीं। मैं पानी पर चल सकता हूं। क्या तुम चल सकते हो?”

कौवा किसी भी सूरत में हंस के सामने नीचा नहीं देखना चाहता था। उसने हामी भर दी और कहा, “मैं दुनिया का हर काम कर सकता हूं। पानी पर चलना कौन सी बड़ी बात है।”

दोनों तलाब के किनारे पहुंचे। हंस पानी में उतर गया और चलने लगा। उसकी देखा देखी कौवा भी पानी में उतर गया। लेकिन जब उसने चलना शुरू किया, तो कुछ दूर जाने के बाद ही पानी में डूबने लगा। वह चीख पुकार मचाने लगा। तब दया करके हंस ने उसे बचाया और किनारे पर ले आया।

कौवे की अक्ल ठिकाने आ गई थी। हंस ने उसे समझाया कि दुनिया के सभी प्राणी भिन्न गुणों के साथ पैदा हुआ है। हर कोई हर काम नहीं कर सकता। इसलिए झूठी शान झाड़ने के लिए झूठ-मूठ का दिखावा नहीं करना चाहिए। एक दूसरे की काबिलियत का सम्मान करते हुए मिल जुलकर रहना चाहिए।

कौवा हंस की चाल चलने की कोशिश में था, लेकिन नाकाम रहा। यही से कहावत निकली है – कौवा चला हंस की चाल।

सीख (Kauwa Chala Hans Ki Chaal Kahani Ki Seekh)

हर कोई हर काम नहीं कर सकता। सबको अपनी काबिलियत के अनुसार काम करना चाहिए।

आशा है आपको Kauwa Chala Hans Ki Chaal Story In Hindi  अच्छी लगी होगी। कृपया इस कहानी को शेयर करें और ऐसी ही Hindi Stories पढ़ने के लिए हमें subscribe ज़रूर करें।

प्यासा कौवा की कहानी

अबाबील और कौवा की कहानी

शेर और मगर की कहानी

Leave a Comment