मूर्ख मित्र : पंचतंत्र की कहानी ~ मित्रभेद | The King And The Foolish Monkey Panchatantra Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम पंचतंत्र की कहानी “मूर्ख मित्र” (Panchatantra Story King And Monkey In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये राजा और मूर्ख बंदर की कहानी पंचतंत्र के तंत्र (भाग) मित्रभेद से ली गई है. इस कहानी में बताया गया है कि मूर्ख मित्र से मित्रता करने और उस पर अति-विश्वास करने का क्या परिणाम होता है. पढ़िए “The King And The Foolish Monkey Story In Hindi” :

Panchatantra Story King And Monkey In Hindi 

Panchatantra Story King And Monkey In Hindi
Panchatantra Story King And Monkey | Image Source : storieo.com

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बहुत समय पहले की बात है. एक राज्य में एक राजा का राज था. एक दिन उसके दरबार में एक मदारी एक बंदर लेकर आया. उसने राजा और सभी दरबारियों को बंदर का करतब दिखाकर प्रसन्न कर दिया. बंदर मदारी का हर हुक्म मनाता था. जैसा मदारी बोलता, बंदर वैसा ही करता था.

वह आज्ञाकारी बंदर राजा को भा गया. उसने अच्छी कीमत देकर मदारी से वह बंदर ख़रीद लिया. कुछ दिन राजा के साथ रहने के बाद बंदर उससे अच्छी तरह हिल-मिल गया. वह राजा की हर बात मानता. वह राजा के कक्ष में ही रहता और उसकी सेवा करता था. राजा भी बंदर की स्वामिभक्ति देख बड़ा ख़ुश था.

वह अपनी सैनिकों और संतरियों से भी अधिक बंदर पर विश्वास करने लगा और उसे महत्व देने लगा. सैनिकों को यह बात बुरी लगती थी, किंतु वे राजा के समक्ष कुछ कह नहीं पाते थे.

एक दोपहर की बात है. राजा अपने शयनकक्ष में आराम कर रहा था. बंदर पास ही खड़ा पंखा झल रहा था. कुछ देर में राजा गहरी नींद में सो गया. बंदर वहीं खड़े-खड़े पंखा झलता रहा.

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तभी कहीं से एक मक्खी आई और राजा की छाती पर बैठ गई. बंदर की दृष्टि जब मक्खी पर पड़ी, तो उसने पंखा हिलाकर उसे हटाने का प्रयास किया. मक्खी उड़ गई. किंतु कुछ देर पश्चात पुनः वापस आकर राजा की छाती पर बैठ गई.

पुनः मक्खी को आया देख बंदर अत्यंत क्रोधित हो गया. उसने आव देखा न ताव और पास ही पड़ी राजा की तलवार उठाकर पूरी शक्ति से मक्खी पर प्रहार कर दिया. मक्खी तो उड़ गई. किंतु तलवार के जोरदार प्रहार से राजा की छाती दो टुकड़े हो गई और राजा के प्राण-पखेरू उड़ गए.

सीख (Moral of The Story)

मूर्ख मित्र से अधिक बुद्धिमान शत्रु को तरजीह दी जानी चाहिए.


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