शिवजी का वाहन असम की लोक कथा

शिवजी का वाहन असम की लोक कथा (Shivji Ka Vahan Assam Ki Lok Katha) इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। 

असम की लोककथाओं में देवी-देवताओं से जुड़ी कई रोचक और शिक्षाप्रद कहानियाँ समाहित हैं। ऐसी ही एक असमिया लोक  कथा है “शिवजी का वाहन”, जो भगवान शिव और उनके प्रिय वाहन नंदी से संबंधित है। इस कथा में हमें समर्पण, भक्ति और साहस का अद्भुत उदाहरण मिलता है। पढ़िए Shivji Ka Vahan Assam Folk Tale Story In Hindi 

Shivji Ka Vahan Assam Ki Lok Katha

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shivji ka wahan assam ki lok katha शिवजी का वाहन असम की लोक कथा

बहुत समय पहले की बात है, असम के एक घने जंगल में एक छोटा सा गाँव बसा हुआ था। इस गाँव में हेमराज नामक एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ रहता था। हेमराज भगवान शिव का परम भक्त था और प्रतिदिन शिवलिंग की पूजा करता था। उसकी भक्ति इतनी प्रबल थी कि वह हर सोमवार को उपवास रखता और शिवजी के मंदिर में जाकर घंटों प्रार्थना करता।

हेमराज की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसके सामने प्रकट होने का निश्चय किया। एक दिन जब हेमराज अपने खेत में काम कर रहा था, भगवान शिव ने एक साधु का रूप धारण कर उससे मुलाकात की। साधु ने हेमराज से कहा, “हे भक्त, तुम्हारी भक्ति से मैं बहुत प्रसन्न हूँ। तुम मुझसे जो भी चाहो, वरदान मांग सकते हो।”

हेमराज ने साधु को प्रणाम किया और कहा, “हे प्रभु! आपकी कृपा से ही मेरा जीवन सुखमय है। मुझे किसी वरदान की आवश्यकता नहीं है। बस मुझे आपकी भक्ति में अडिग रहने का आशीर्वाद दें।”

साधु, जो वास्तव में भगवान शिव थे, हेमराज की विनम्रता से और भी प्रसन्न हो गए। उन्होंने कहा, “हेमराज, मैं तुम्हें एक विशेष वरदान दूंगा। तुम्हारे गाँव की सुरक्षा के लिए मैं अपने प्रिय वाहन नंदी को भेजूंगा। वह तुम्हारे गाँव की रक्षा करेगा और हर संकट से बचाएगा।”

अगले दिन गाँव में एक विशाल और शक्तिशाली बैल प्रकट हुआ। यह नंदी था, जो भगवान शिव का वाहन था। हेमराज और गाँव के लोग नंदी को देखकर हैरान रह गए, लेकिन हेमराज ने सबको समझाया कि यह भगवान शिव का आशीर्वाद है।

नंदी गाँव के प्रवेश द्वार पर बैठ गया और किसी भी विपत्ति को गाँव में प्रवेश करने से रोकने लगा। उसकी उपस्थिति से गाँव के लोग सुरक्षित महसूस करने लगे और सभी ने नंदी की सेवा और पूजा करना शुरू कर दिया।

कुछ महीनों बाद गाँव पर एक बड़ा संकट आया। आस-पास के जंगलों से एक दुष्ट राक्षस ने गाँव पर हमला करने का निश्चय किया। राक्षस ने गाँव में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन नंदी ने उसे रोक दिया। नंदी और राक्षस के बीच भयंकर युद्ध हुआ। नंदी ने अपनी अद्भुत शक्ति से राक्षस को पराजित किया और गाँव को सुरक्षित रखा।

नंदी की सुरक्षा के कारण गाँव में शांति और समृद्धि का माहौल बन गया। हेमराज और गाँव के लोग नंदी के प्रति अत्यंत कृतज्ञ थे और उन्होंने उसकी पूजा को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना लिया। हेमराज की भक्ति और नंदी की उपस्थिति से गाँव में हर दिन उत्सव जैसा माहौल रहता था।

सीख

इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि सच्ची भक्ति और विनम्रता से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। हेमराज की निस्वार्थ भक्ति ने उसे भगवान शिव का आशीर्वाद दिलाया और नंदी की सुरक्षा ने गाँव को हर संकट से बचाया। यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि भगवान अपने भक्तों की हर हाल में रक्षा करते हैं, चाहे कितनी भी बड़ी विपत्ति क्यों न आ जाए।

असम की यह लोककथा “शिवजी का वाहन” हमारे जीवन में भक्ति, समर्पण और साहस का महत्व बताती है। हेमराज की कहानी हमें यह सिखाती है कि जब हम भगवान की सच्चे दिल से भक्ति करते हैं, तो वह हमारी रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। नंदी का गाँव की सुरक्षा के लिए आना और राक्षस को पराजित करना एक प्रतीक है कि भगवान अपने भक्तों के साथ हमेशा खड़े रहते हैं।

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