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भेड़िये और सारस की कहानी | The Wolf And The Crane Story In Hindi

The Wolf And The Crane Story In Hindi

The Wolf And The Crane Story In Hindi

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The Wolf And The Crane Story For Kids In Hindi : एक जंगल में एक दुष्ट और लालची भेड़िया रहता था. एक दिन उसने एक हिरण का शिकार किया. शिकार के बाद पर वह अपने लालच पर नियंत्रण नहीं रख पाया और जल्दी-जल्दी उसे खाने लगा. इस जल्दीबाज़ी में एक हड्डी उसके गले में अटक गई.

हड्डी अटक जाने पर वह बहुत परेशान हो गया. अब उससे न कुछ खाते बन रहा था, न ही पीते. उसने बहुत कोशिश की कि किसी तरह हड्डी उसके गले से निकल जाए. लेकिन सारी कोशिश बेकार गई.

अंत में उसने किसी से सहायता लेने का विचार किया. वह सोचने लगा कि ऐसा कौन हैं, जो उसके गले से हड्डी का टुकड़ा निकाल सकता है. कुछ देर सोचने पर उसे सारस का ध्यान आया. सारस की लंबी गर्दन और चोंच थी. वह उसके मुँह में अपनी चोंच घुसाकर आसानी से हड्डी निकाल सकता था.

बिना देर किये भेड़िया सारस के पास पहुँचा और बोला, “सारस भाई! मेरे गले में एक हड्डी अटक गई है. क्या तुम अपनी चोंच से वो हड्डी निकाल दोगे? मैं तुम्हारा बहुत अहसानमंद रहूंगा और तुम्हें उचित ईनाम भी दूंगा.”

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सारस पहले तो भेड़िये के मुँह में अपनी चोंच डालने से डरा. लेकिन बाद वे उसे भेड़िये पर दया आ गया और वह तैयार हो गया.

भेड़िये मुँह खोलकर खड़ा हो गया और सारस ने उसमें अपनी चोंच डाल दी. लेकिन उसकी चोंच हड्डी तक नहीं पहुँच पाई. तब उसे अपनी आधी गर्दन भी भेड़िये के मुँह में घुसानी पड़ी. सारस की गर्दन मुँह में जाते ही लालची भेड़िये के मन में लालच जागने लगा. उस सोचने लगा कि यदि मैं इसकी लज़ीज़ गर्दन को चबा पाता, तो मज़ा आ जाता. लेकिन उस समय उसे अपने गले में फंसी हड्डी निकलवानी थी. इसलिए वह मन मारकर रह गया.

कुछ ही देर में सारस ने उसके गले से हड्डी निकाल दी. हड्डी निकलते ही भेड़िया जाने लगा. न उसने सारस को धन्यवाद दिया न ही ईनाम. सारस ने उसे रोककर कहा, “मेरा ईनाम कहाँ है? तुमने कहा था कि तुम इस काम के बदले मुझे ईनाम दोगे.”

भेड़िया बोला, “एक भेड़िये के मुँह में अपनी गर्दन डालकर भी तुम सही-सलामत हो, क्या यह तुम्हारा ईनाम नहीं हैं?”

इतना कहकर भेड़िया चला गया और सारस मुँह लटकाकर खड़ा रह गया.

सीख – लालची और दुष्ट व्यक्ति से कभी कृतज्ञता या पुरूस्कार की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए. 

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