फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का प्रेरक प्रसंग (Dr APJ Abdul Kalam Motivational Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं। Dr APJ Abdul Kalam Ki Prerak Kahaniyan, Swami Vivekananda Ke Prerek Kisse उनके जीवन में घटी घटनाओं का संकलन है.
Dr APJ Abdul Kalam Motivational Story In Hindi
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Dr APJ Abdul Kalam Prerak Prasang : जली हुई रोटियाँ
बात उस समय की है, जब डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम छोटे बच्चे थे. एक रात वे अपने माता-पिता के साथ भोजन कर रहे थे.
भोजन करते हुए उनकी दृष्टि अपने पिता की प्लेट पर गई. उन्होंने देखा कि उनकी माँ ने उन्हें जो रोटियाँ परोसी हैं, वे जली हुई हैं. लेकिन वे बिना कुछ कहे शांति से उन जली हुई रोटियों को खा रहे हैं.
जब उनकी माँ ने जली हुई रोटियों के लिए उनके पिता से क्षमा मांगी, तो वे हँसते हुए बोले, “कोई बात नहीं, मुझे तो जली हुई रोटियाँ पसंद है.”
यह सुनकर डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम आश्चर्य में पड़ गये. बाद में उन्होंने अपने पिता से पूछा कि क्या वाकई उन्हें जली हुई रोटियाँ पसंद है, तो उनके पिता ने उत्तर दिया, “एक जली हुई रोटी किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकती, लेकिन जले हुए शब्द बहुत कुछ बिगाड़ सकते हैं.”
दोस्तों! शब्दों में अद्भुत शक्ति होती है. इस शक्ति का उपयोग हमें संभलकर करना चाहिए. हमारे द्वारा कहे गए गलत शब्द किसी को आहत कर सकते है और संबंधों में दरार डाल सकते है. इसलिए जहाँ तक संभव हो, छोटी-छोटी गलतियों को नज़रअंदाज़ कर देना चाहिए और जहाँ आवश्यक हो, वहाँ अपनी बात प्रेमपूर्वक रीति से ही समझाना चाहिए.
Dr APJ Abdul Kalam Inspirational Story In Hindi : लीडर कैसा हो?
: सन् १९७३ में डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को भारत के Satellite Launch Program SLV-3 का प्रमुख बनाया गया. इस Program का Mission १९८० तक ‘सैटेलाइट रोहिणी’ का प्रक्षेपण करना था.
Mission के लिए सारी मूलभूत सुविधायें प्रदान की गई, एक बड़ा बजट स्वीकृत किया गया, मानव संसाधन उपलब्ध करवाया गया. डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम अपनी टीम के साथ लक्ष्य प्राप्ति में जुट गए.
आखिरकार कड़ी मेहनत के बाद १९७९ में वे सैटेलाइट launch करने की स्थिति में पहुँच गए. अगस्त १९७९ में ‘सैटेलाइट रोहिणी’ को launch करने की तैयारी कर ली गई.
प्रोजेक्ट प्रमुख होने के कारण जब डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम control room में बटन दबाकर सैटेलाइट launch करने के लिए आगे बढ़े, तब computer ने launch के लिए आवश्यक समस्त चीज़ों को check करने के बाद instruction दिया कि प्रोजेक्ट में कुछ कमियाँ है, जिन्हें सही करना आवश्यक है.
जब डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अन्य experts से सलाह की, तो सबने उन्हें यकीन दिलाया कि सब कुछ सही है और computer के निर्देश के बाद भी डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने ‘सैटेलाइट रोहिणी’ launch कर दी. प्रथम चरण में तो सब कुछ ठीक रहा. किंतु दूसरे चरण में गड़बड़ी हो गई और सैटेलाइट बंगाल की खाड़ी में जा गिरा.
इस असफलता पर डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम दु:खी थे. आखिर computer के निर्देश को bypass कर देना उनकी गलती थी. लेकिन Indian Space Research Organisation (I.S.R.O.) के chairman प्रोफेसर सतीश धवन ने प्रेस कांफ्रेंस बुलवाई और प्रोज़ेक्ट की असफलता की सारी ज़िम्मेदारी स्वयं के कंधों पर ले ली.
उन्होंने कहा की तकनीकी खामियों के चलते यह प्रोज़ेक्ट असफल हो गया, किंतु सभी खामियों में सुधार कर यह प्रोजेक्ट अगले वर्ष तक पूर्ण कर लिया जायेगा.
अगले वर्ष जुलाई १९८० में ‘सैटेलाइट रोहिणी’ सफलता पूर्वक प्रक्षेपित कर लिया गया. पूरा देश इस सफलता पर गौरवान्वित था. इस बार जब प्रेस कांफ्रेस बुलवाई गई, तो प्रोफेसर सतीश धवन ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम को आगे कर दिया और उन्हें प्रेस कांफ्रेंस कंडक्ट करने को कहा.
इस घटना से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने सीखा कि असफ़लता के समय लीडर पूरी ज़िम्मेदारी ले लेता है और सफ़लता के समय उसे अपनी टीम के साथ बांट लेता है.
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