सुंदरी और राक्षस की कहानी | Beauty & The Beast Fairy Tale Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम सुंदरी और राक्षस की कहानी  (Beauty & The Beast Fairy Tale Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. यह एक पारी कथा है, जो सर्वप्रथम फ्रेंच नॉवेलिस्ट गब्रिएला सुज़न्ने बरबोट दी विल्लेंयूववे (Gabrielle Suzanne Barbot de Villeneuve) द्वारा लिखी गई थी. देश-विदेश में यह कहानी बहुत लोकप्रिय है और इस पर कई फ़िल्में भी बन चुकी है. ये एक कहानी सच्चे प्रेम का महत्त्व बताती है. पढ़िए पूरी कहानी :

Beauty And The Beast Fairy Tale Story In Hindi 

Beauty And The Beast Fairy Tale Story In Hindi
Beauty And The Beast Fairy Tale Story | Beauty And The Beast Fairy Tale Story

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एक नगर में एक धनी व्यापारी अपनी तीन बेटियों के साथ रहता था. सबसे बड़ी बेटी का नाम ब्लिस था. मझली का ब्लॉसम और सबसे छोटी बेटी का नाम ब्यूटी (Beauty) था.

पत्नि की मृत्यु के बाद से बेटियों की देखभाल की सारी ज़िम्मेदारी उसने ख़ुद ही संभाली थी. समय के साथ उसकी तीनों बेटियाँ बड़ी हुई. तीनों में ब्यूटी की सुंदरता सबसे ज्यादा निखरी.

ब्यूटी की सुंदरता के कारण दोंनो बड़ी बहनें उससे जलने लगी. वे दोनों गुस्सैल, लालची और स्वार्थी स्वभाव की थी. लेकिन ब्यूटी का स्वभाव नम्र और दयालु था. अपनी बहनों के विपरीत वह उनसे प्रेम करती थी. 

एक बार भयंकर समुद्री तूफ़ान में व्यापारी के सामान से लदे जहाज फंस गए. कई जहाज समुद्र में डूब गए. कई लापता हो गए. व्यापारी की बहुत बड़ी राशि इन जहाजों और समानों पर लगी हुई थी. इस नुकसान से उसका पूरा व्यवसाय बर्बाद हो गया. नुकसान की भरपाई करते-करते उसका सब कुछ बिक गया. घर छोड़कर उसके पास कुछ न बचा.

ऐसे में वह अपनी बेटियों के साथ गरीबी का जीवन व्यतीत करने विवश था. धन-धान्य के भरपूर जीवन जीने की आदी दोनों बड़ी बेटियों को अभाव का ये जीवन रास नहीं आ रहा था. वे दिन-भर अपने पिता को कोसती रहती थीं. घर के काम से उन्हें कोई लेना-देना नहीं था. अपना अधिकांश समय वे आराम करने में बिताती थीं. इस कारण घर का सारा काम ब्यूटी के हिस्से आता. 

गरीबी के जीवन की आदी ब्यूटी भी नहीं थी. लेकिन वह अपने पिता का दुःख समझती थी. इसलिए उन हालातों में भी वह अपने पिता की ख़ुशी का ख्याल रखने की कोशिश किया करती थी. वह घर का सारा काम ख़ुशी-ख़ुशी करती और हर समय ख़ुश रहती थी.

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कई महिने बीत गये. एक दिन व्यापारी को कहीं से ख़बर मिली कि उसके लापता जहाजों में से एक जहाज बंदरगाह पहुँच गया है. इस  ख़बर को सुनकर व्यापारी ख़ुश हो गया और बंदरगाह जाने की तैयारी करने लगा. 

बंदरगाह रवाना होने के पहले व्यापारी ने अपनी बेटियों से पूछा कि वापसी में वह उनके लिए क्या लेकर आये? दोनों बड़ी बेटियों ने कपड़े, जूते, आभूषण और ऐसी ही अन्य चीज़ों की सूची बनाकर उसे दे दी. जब ब्यूटी की बारी आई, तो वह बोली, “पिताजी! आप मेरे लिए एक सुंदर लाल गुलाब का फूल लेकर आना.”

व्यापारी बंदरगाह जाने के लिए रवाना हो गया. लंबी यात्रा कर जब वह बंदरगाह पहुँचा, तो बहुत निराश हुआ. उसका जहाज टूट चुका था. उस पर लदा पूरा सामान नष्ट हो गया था. अब वह क्या करता? खाली हाथ घर लौटने लगा.

वापस लौटते-लौटते रात हो गई थी. रास्ते में एक घना जंगल पड़ता था. व्यापारी जल्दी से वह जंगल पार कर लेने की कोशिश में था. लेकिन वह अचानक शुरू हुए आंधी-तूफ़ान में फंस गया. आगे का सफ़र जारी रख पाना अब संभव नहीं था.

वह कोई ठिकाना ढूंढने लगा, ताकि वहाँ रात बिता सके. जंगल में इधर-उधर भटकने के बाद उसे एक जगह रौशनी नज़र आई. वह रौशनी की दिशा में चलने लगा. पास पहुँचने पर उसने देखा कि वह रौशनी एक महल से आ रही है.  रात गुजारने के लिए आसरे की उम्मीद में वह महल के दरवाज़े पर पहुँचा. 

महल का दरवाज़ा खुला हुआ है. उसने दरवाज़े से ही आवाज़ लगाई, “कोई है? कोई है?” लेकिन महल के भीतर से कोई बाहर नहीं आया. कुछ देर इतंजार करने के बाद वह अंदर चला गया.

वह महल शानदार था. वहाँ सभी चीज़ें करीने से सजी हुई थी. व्यापारी ने फिर से आवाज़ लगाईं. लेकिन इस बार भी कोई नहीं आया. यह व्यापारी को कुछ विचित्र लगा. वह महल में घूमने लगा कि कहीं कोई उसे दिखाई पड़ जाये. लेकिन पूरा महल सूना पड़ा था.

एक कमरे में उसे खाने की मेज़ दिखाई पड़ी, जो लज़ीज़ पकवानों से सजी हुई थी. दिन भर की यात्रा के बाद अब व्यापारी को ज़ोरों की भूख लग आई थी. उसने मेज़ पर रखा खाना खाया और उसके बाद एक कमरे में जाकर सो गया.

रात में उसे गहरी नींद आई. सुबह सूरज की रौशनी आँखों में पड़ी, तब उसकी नींद खुली. नींद खुलने पर उसकी नज़र बिस्तर के किनारे पर पड़ी, जहाँ नए कपड़े रखे हुए थे. नहाकर तरो-ताज़ा होकर उसने वे कपड़े पहन लिए.

अब वह वापस घर के लिए रवाना होने तैयार था. मौसम भी साफ़ हो चुका था. इसलिए कोई परेशानी न थी. खाने की मेज़ पर उसे गर्मा-गर्म नाश्ता तैयार मिला. पेट भरकर नाश्ता करने के बाद वह महल के बाहर निकल आया.

महल के बाहर एक ख़ूबसूरत बगीचा था, जिसमें रंग-बिरंगे फूल खिले थी. उनमें गुलाब के फूल भी थे. गुलाब के फूल देख व्यापारी को अपनी बेटी ब्यूटी की याद आ गई, जिसने उससे लाल गुलाब का फूल लाने की गुज़ारिश की थी.

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उसने सोचा कि दोनों बड़ी बेटियों की इच्छा तो मैं पूरी नहीं कर सका, कम से कम ब्यूटी की इच्छा तो पूरी कर ही सकता हूँ. यह सोचकर उसने लाल रंग के गुलाब को तोड़ने के लिए अपना हाथ बढ़ाया. लेकिन तभी एक भयानक हँसी की आवाज़ ने उसे डरा दिया. वह हँसी एक राक्षस (Beast) की थी, जो बड़ा भयानक था. उसकी आँखें जलते अंगारों सी लाल थी. वह बहुत क्रोधित दिखाई पड़ रहा था.

व्यापारी पर चिल्लाते हुए वह बोला, “दुष्ट आदमी! मैंने तुम्हें अपने महल में आसरा दिया. स्वादिष्ट भोजन से तेरी भूख मिटाई. मुलायम और नरम बिस्तर पर तेरे सोने की व्यवस्था की. नए शानदार कपड़े पहनने को दिए. इस सबके बदले तूने क्या किया? मेरा एहसान मानने की जगह तू मेरे बगीचे से फूल चुरा रहा है. मैं तुझे मार डालूंगा.”

व्यापारी डर के मारे कांपने लगा. वह राक्षस से क्षमा याचना करते हुए बोला, “मुझे क्षमा कर दो! मैं यह गुलाब अपनी बेटी के लिए तोड़ रहा था. उसने मुझसे लाल गुलाब का फूल लाने को कहा था. मैं बस उसकी इच्छा पूरी करना चाहता था. मेरी जान मत लो. तुम जो चाहोगे, मैं करने को तैयार हूँ.”

व्यापारी की बात सुनकर राक्षस (Beast) बोला, “ठीक है! मैं तुम्हें नहीं मारूंगा. लेकिन मेरी एक शर्त है. अपनी जिस बेटी के लिए तुम मेरे बाग़ से गुलाब तोड़ रहे हो. तुम उसे मेरे पास लेकर आओगे.”

उस समय राक्षस से पीछा छुड़ाने व्यापारी ने वह बात मान ली. राक्षस से उसे अपने बाग़ से गुलाब तोड़ने की इज़ाज़त दे दी. एक लाल गुलाब का फूल लेकर व्यापारी वहाँ से अपने घर के लिए रवाना हो गया.

जब वह घर पहुँचा, तब भी बहुत घबराया और डरा हुआ था. उसने ब्यूटी को महल और राक्षस की बात बता दी. पूरी बात जानने के बाद ब्यूटी बोली, “पिताजी! आपकी जान बचाने के लिए मैं अपनी जान भी कुर्बान करने को तैयार हूँ. आप मुझे उस राक्षस के पास छोड़ दीजिये.”

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व्यापारी अपनी प्यारी बेटी को कैसे एक राक्षस के हवाले कर देता? वह रोने लगा. वह ब्यूटी को समझाने लगा कि वह इतना स्वार्थी नहीं कि अपनी जान बचाने के लिए अपनी बेटी को एक राक्षस के हवाले कर दे.

ब्यूटी (Beauty) जानती थी कि उसकी दोनों बड़ी बहनों के लिए उसके पिता का जीवित रहना आवश्यक है. वह ज़िद पर अड़ गई. आखिरकार व्यापारी को उसकी इस ज़िद के सामने झुकना पड़ा.

वह दु:खी मन से ब्यूटी को राक्षस के महल में छोड़ आया. जब ब्यूटी का राक्षस से सामना हुआ, तो वह उसके भयानक रूप को देखकर डर गई. लेकिन कुछ ही दिनों में उसका ये डर ख़त्म हो गया क्योंकि  राक्षस का व्यवहार बहुत अच्छा था.

राक्षस ने ब्यूटी को बहुत ही सुंदर कमरे में रखा. उसे सुंदर-सुंदर कपड़े और गहने दिये और उसका हर तरह से ख्याल रखा. वह उससे बहुत प्यार से बातें किया करता था. जिससे ब्यूटी को राक्षस का साथ अच्छा लगने लगा. दिन बीतने के साथ ब्यूटी और राक्षस बहुत अच्छे दोस्त बन गए.

राक्षस ब्यूटी से मन ही मन प्यार करने लगा था. लेकिन अपने भयानक और बदसूरत चेहरे के कारण ब्यूटी से अपने प्यार का इज़हार करने से डरता था. लेकिन एक दिन उसने हिम्मत कर ब्यूटी के सामने विवाह का प्रस्ताव रख ही दिया.

यह प्रस्ताव पाकर ब्यूटी हैरान रह गई. वह राक्षस को अच्छा दोस्त मानती थी. लेकिन उससे शादी कैसे कर सकती थी? वह बहुत बदसूरत था और वह उसे प्यार नहीं करती थी. लेकिन डर के मारे वह कुछ बोल नहीं पाई. राक्षस ब्यूटी की ख़ामोशी समझ गया. उसने उस दिन के बाद कभी भी इस बारे में ब्यूटी से बात नहीं की.

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ब्यूटी को महल में किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं थी. लेकिन उसे अपने पिता और बहनों की बहुत याद आती थी. एक दिन वह बाग़ में उदास बैठी हुई थी. राक्षस वहाँ आया और उससे उसकी उदासी का कारण पूछा. तब ब्यूटी बोली कि उसे अपने पिता और बहनों की याद आ रही है.

ब्यूटी की उदासी दूर करने राक्षस ने उसे एक जादुई आईना दिया. उस आईने में ब्यूटी जब चाहे अपने पिता और बहनों को देख सकती थी. आईना पाकर ब्यूटी बहुत ख़ुश हुई. उसके बाद से जब भी मन करता, वह आईने में अपने पिता और बहनों को देख लेती थी.

एक दिन आईने में ब्यूटी ने देखा कि उसका पिता बहुत बीमार हैं. पिता की यह हालत देख ब्यूटी बहुत दु:खी गई. वह राक्षस के पास गई और बोली, “मेरे पिता बहुत बीमार हैं. मैं उनसे आखिरी बार मिलना चाहती हूँ. मुझे जाने दो.”

पहले तो राक्षस ने मना कर दिया, लेकिन लेकिन जब ब्यूटी रोने लगी, तो उसने इस शर्त पर उसे जाने की इज़ाज़त दे दी कि सात दिन के अंदर उसे वापस लौटना होगा. अन्यथा, वह उसकी याद में मर जायेगा.

ब्यूटी ने वादा किया कि वह सात दिन के भीतर वापस आ जाएगी. तब राक्षस ने उसे एक अंगूठी दी और बोला, “इस अंगूठी को जब भी अपनी उंगली से उतारोगी, ख़ुद को इस महल में पाओगी.”

ब्यूटी ने वह अंगूठी पहन ली. अगले दिन सोकर उठने पर उसने खुद को अपने पिता के घर पर पाया. वह अपने पिता से मिली, तो वह बहुत ख़ुश हुआ. ब्यूटी को राक्षस के पास छोड़ देने के दुःख में वह बीमार पड़ गया था.

ब्यूटी ने उसे बताया कि राक्षस उससे बहुत अच्छा बर्ताव करता है और उसका बहुत ख्याल रखता है. यह सुनकर व्यापारी को तसल्ली हुई और धीरे-धीरे वह ठीक होने लगा.

कुछ दिनों बाद ब्यूटी को राक्षस की याद आने लगी. उसे भी राक्षस की आदत पड़ गई थी. उसके अच्छे और दयालु व्यवहार के कारण वह भी उससे प्यार करने लगी थी. लेकिन ख़ुद इस बात से अनजान थी.

ब्यूटी की दोनों बहनें ब्लिस और ब्लॉसम का विवाह हो चुका था. एक दिन दोनों उससे मिलने आई. जब उन्होंने ब्यूटी के मुँह से राक्षस के महल और वहाँ के शानदार जीवन के बारे में सुना, तो जल उठी.

ब्यूटी ने उन्हें यह भी बता दिया था कि उसे सात दिन के भीतर राक्षस के पास वापस जाना है. तब झूठ-मूठ रोते हुए दोनों ब्यूटी से कुछ और दिन रुकने का अनुनय करने लगीं. वे चाहती थीं कि राक्षस ब्यूटी से नाराज़ हो जाये और उसे मार डाले. ब्यूटी अपनी बहनों को इंकार न कर सकी और कुछ दिन और रुक गई.

उधर महल में राक्षस ब्यूटी का बेसब्री से इंतजार कर रहा था. लेकिन जब सात दिनों में ब्यूटी वापस नहीं लौटी, तो वह उदास हो गया. उदासी में उसने खाना-पीना छोड़ दिया, जिससे वह बीमार रहने लगा.

इधर अपने घर पर ब्यूटी भी राक्षस को याद कर रही थी. एक रात उसने सपना देखा कि राक्षस मर रहा है. इस सपने ने ब्यूटी की नींद तोड़ दी. अपना वादा न निभाने के कारण ब्यूटी पछताने लगी. उसने बिना समय गंवाए अपनी उंगली में से अंगूठी निकाल दी. दूसरे दिन सोकर उठने पर उसने ख़ुद को राक्षस के महल में पाया.

ब्यूटी ने दिन भर महल में राक्षस का इंतजार किया, लेकिन वह उससे मिलने नहीं पहुँचा. पूरे महल में ढूंढने पर भी उसे राक्षस नहीं दिखा. वह परेशान हो गई. शाम को वह महल से बाहर निकली और बगीचे में राक्षस को खोजने लगी. लेकिन वह उसे वहाँ भी नहीं मिला.

जब वह महल के पीछे वाले हिस्से में गई, तो वहाँ एक कोने में उसे राक्षस नीचे पड़ा हुआ दिखा. वह बहुत कमजोर नज़र आ रहा था और  ऐसा लग रहा था मानो वह बस मरने ही वाला है.

ब्यूटी उसके पास गई और बोली, “तुम्हें क्या हो गया है?”

राक्षस बोला, “मैंने कहा था कि तुम्हारी याद में मैं मर जाऊंगा. देखो मैं मर रहा हूँ.”

राक्षस की वह हालत देख ब्यूटी रो पड़ी और बोली, “मुझे माफ़ कर दो. मैं समय पर नहीं आ पाई. लेकिन मैं भी तुम्हें बहुत याद कर रही थी. मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ. तुम्हारे बिना मैं भी मर जाऊंगी. मुझे छोड़ कर मत जाओ. मुझसे विवाह कर लो.”

ब्यूटी के ये कहते ही एक चमत्कार हुआ और राक्षस एक सुंदर नौजवान राजकुमार में बदल गया. ब्यूटी यह देखकर हैरान रह गई. राजकुमार ने उसे बताया, “एक दुष्ट जादूगरनी के श्राप के कारण मैं राक्षस बन गया था. उस श्राप का प्रभाव तभी समाप्त होता, जब कोई मुझसे सच्चा प्यार करता. लेकिन मेरी बदसूरती के कारण कभी किसी ने मुझसे प्यार नहीं किया और मैं वर्षों तक राक्षस बना रहा. आज तुम्हारे सच्चे प्यार के कारण वह श्राप समाप्त हो सका है और मैं वापस अपने असली रूप में आ सका हूँ.”

राक्षस और ब्यूटी ने विवाह कर लिया और खुशी-खुशी रहने लगे.    

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