फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम बाइबिल की कहानी ‘इसहाक और इब्राहीम का बलिदान’ (Isaac And Abraham Sacrifice Story In Hindi Bible) शेयर कर रहे हैं. Isaac Aur Abraham Ki Kahani इब्राहीम और उसके पुत्र इसहाक की कहानी है. इब्राहीम ईश्वर का अनुयायी और आज्ञापालक था. वह ईश्वर पर विश्वास करता था और उसकी हर आज्ञा का पालन करता था. इस कहानी में ईश्वर इब्राहीम के विश्वास की परीक्षा लेते हैं. क्या वह इस परीक्षा में सफ़ल हो पाता है? जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी :
Isaac And Abraham Sacrifice Story In Hindi
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नब्बे वर्ष की आयु में इब्राहीम की पत्नी ‘सारा’ ने पुत्र को जन्म दिया. उसका नाम ‘इसहाक’ रखा गया. ‘इसहाक’ के जन्म के पूर्व इब्राहीम ने मिस्र से साथ आई दासी ‘हागार’ को उपपत्नी बना लिया था. उससे उसे ‘इस्माएल’ नामक पुत्र हुआ था.
‘इसहाक’ के जन्म के बाद सारा ने इब्राहीम से कहा कि वो हागार और उसके पुत्र को घर से निकाल दे. वह नहीं चाहती थी कि एक दासी पुत्र उसके पुत्र के साथ इब्राहीम की विरासत का अधिकारी बने.
इब्राहीम इस बात से दु:खी था. किंतु, उससे ईश्वर ने कहा, “इब्राहीम. जैसा सारा ने कहा है. वैसा ही करो. हागार और इस्माएल को घर से निकाल दो. तुम्हारा वंश इसहाक के द्वारा बना रहेगा. इस्माएल की भी तुम चिंता मत करो. वह भी तुम्हारा पुत्र है. इसलिए मैं उसके द्वारा भी एक महान राष्ट्र उत्पन्न करूंगा.”
ईश्वर की आज्ञा मानकर इब्राहीम ने हागार को रोटी और पानी से भरा मशक दिया. फ़िर इस्माएल को उसकी गोद में डालकर घर से निकाल दिया.
अब इब्राहीम सारा और अपने पुत्र इसहाक के साथ रहने लगा.
एक दिन ईश्वर ने इब्राहीम की परीक्षा ली. उसने उसका नाम पुकारा, “इब्राहीम इब्राहीम.”
इब्राहीम ने उत्तर दिया, “प्रस्तुत हूँ.”
ईश्वर ने उससे कहा, “इब्राहीम मेरी आज्ञा है कि तुम अपने परम प्रिय पुत्र को लेकर मोरिया देश जाओ. वहाँ मैं तुम्हें जो पहाड़ बताऊं, उस पर उसे बलि चढ़ा देना.”
इब्राहीम ने सवेरे उठकर अपने गधे पर जीन बाँधी. फ़िर होम-बलि के लिए लकड़ी तैयार की और अपने पुत्र इसहाक को लेकर मोरिया देश की ओर रवाना हो गया. उसके साथ दो नौकर भी थे.
वह तीन दिनों तक चलता रहा. तीसरे दिन वह मोरिया देश पहुँच गया. वहाँ उसने सिर उठाकर देखा, तो उसे मोरिया पहाड़ दिखाई पड़ा. उसने अपने नौकरों से कहा, “तुम लोग यहीं रूककर गधे का ध्यान रखो. मैं अपने पुत्र के साथ आगे जा रहा हूँ. कुछ देर में आराधना कर वापस लौट आऊंगा.”
दोनों नौकर वहीं रुक गए. इब्राहीम ने होम बलि की लकड़ी पुत्र इसहाक की पीठ पर लाद दी. हाथ में आग और छुरा लेकर वह इसहाक के साथ आगे बढ़ने लगा.
इसहाक समझ गया था कि वे लोग बलि के लिए जा रहे हैं. किंतु, वह ये समझ नहीं पा रहा था कि बलि का मेमना कहाँ है. उसने इब्राहीम से पूछा, “पिताजी! हमारे पास आग और लकड़ी तो है. किंतु, होम का मेमना कहाँ है? हम बलि कैसे देंगे?”
इब्राहीम ने उत्तर दिया, “पुत्र! ईश्वर पर विश्वास रखो. वो हमारे लिए होम के मेमने की व्यवस्था कर देगा.”
कुछ देर में दोनों ईश्वर द्वारा बताये स्थान पर पहुँच गए. इब्राहीम ने वहाँ एक वेदी का निर्माण किया और उस पर लकड़ी सजा ली. फिर उसने अपने पुत्र इसहाक को बांधकर वेदी पर लिटा दिया.
अब वह ईश्वर की आज्ञा के अनुसार अपने एकलौते पुत्र की बलि के लिए तैयार था. उसने छुरा उठा लिया और इसहाक की ओर बढ़ाया. तभी उसे प्रभु के दूत की वाणी सुनाई पड़ी, “इब्राहीम, इब्राहीम,”
इब्राहीम ने उत्तर दिया, “प्रस्तुत हूँ.”
दूत ने कहा, “बालक पर हाथ नहीं उठाना; उसे किसी प्रकार की कोई हानि मत पहुँचाना. मैं जान चुका हूँ कि तुम ईश्वर पर कितनी श्रद्धा रखते हो. तुमने मुझे अपने एकलौते पुत्र को भी देने से इंकार नहीं किया.”
इब्राहीम ने आँखें ऊपर उठाई, तो उसे झाड़ी में फंसा हुआ एक मेढ़ा दिखाई दिया. इब्राहीम ने मेढ़े को झाड़ी से निकाला और अपने पुत्र के स्थान पर उसकी बलि दे दी. उसने उस स्थान का नाम ‘प्रभु का प्रबंध ‘ रखा.
प्रभु के दूत ने इब्राहीम को फ़िर से पुकारा, “यह प्रभु की वाणी है. तुमने मुझे अपने एकलौते पुत्र को भी देने से इंकार नहीं किया. मैं तुम पर सदा आशीष बरसाता रहूँगा. मैं आकाश के तारों और समुद्र के बालू की तरह तुम्हारे वंशजों को असंख्य बना दूंगा और वे अपने शत्रुओं के नगरों पर अधिकार कर लेने. तुमने मेरी आज्ञा का पालन किया है; इसलिए तुम्हारे वंश के द्वारा पृथ्वी के सभी राष्ट्रों का कल्याण होगा.”
इब्राहीम पहाड़ी से उतरकर अपने नौकरों के पास आ गया. उसके बाद वह ‘बएर-शेबा’ चला गया और वहाँ रहने लगा.
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इसहाक और इब्राहीम का बलिदान की कहानी बाइबिल