मातंग जातक कथा | Maatang Jataka Katha

मातंग जातक कथा, Maatang Jataka Katha, Maatang Jataka Tale In Hindi 

Maatang Jataka Katha

Table of Contents

Maatang Jataka Katha

>

मातंग जातक कथा (Maatang Jataka Katha) बोधिसत्व मातंग की कथा का वर्णन करती है। यह वह समय था, जब समाज में अस्पृश्यता का बोलबाला था। लोग निचली जाति के लोगों से दूर रहते थे और उन्हें छूना हेय समझते थे। उस समय चांडाल जाति में बोधिसत्व जन्मे। उनका जन्म में उनका नाम मातंग था। उनकी जाति उन जातियों की श्रेणी में आती थी, जिन्हें लोग अस्पृश्य मानते थे।

एक दिन मातंग रास्ते से कहीं जा रहा था। उसी रास्ते से नगर के एक धनी सेठ की कन्या भी अपनी सहेलियों के साथ जा रही थी। जब उसने मातंग को देखा, तो अपने घर लौट गई। इस बात से उसकी सहेलियों को क्रोध आ गया। उन सबने मातंग को भला बुरा कहा और उसकी पिटाई कर दी। मातंग को बहुत चोट आई। बहुत देर तक वह रास्ते पर बेहोश पड़ा रहा, किंतु आते जाते लोगों ने उसकी कोई सहायता नहीं की।

जब मातंग को होश आया, तो अपनी स्थिति पर बहुत दुखी हुआ। वह वहीं बैठा सोच विचार करने लगा अंततः उसने निर्णय लिया कि वह अस्पृश्यता का विरोध करेगा। वह उठकर इस सेठ की कन्या के घर के सामने पहुंचा और दरवाजे पर बैठ गया।

सेठ ने उससे वहां बैठने का कारण पूछा, तो मातंग ने बताया कि तुम्हारी कन्या ने मेरा अपमान किया है। अब मैं उससे विवाह करके ही यहां से जाऊंगा, अन्यथा अपने प्राण त्याग दूंगा। सेठ ने उसकी मांग मानने से इंकार कर दिया और उसे वहां से भगाने की कोशिश। किंतु मातंग वहीं डटकर बैठा रहा। 

पढ़ें : चांद पर खरगोश जातक कथा

सात दिन तक वह सेठ के घर के सामने भूखा प्यासा बैठा रहा। वह कमजोर होने लगा और मरणासन्न स्थिति तक पहुंच गया। यह देख सेठ को भय हुआ कि कहीं उसके दरवाजे पर ही मातंग की मृत्यु ना हो जाए। ऐसे में उसका मृत शरीर को वहां से कौन हटवाएगा, क्योंकि कोई उसे हाथ नहीं लगाएगा। यह सोचकर उसने अपनी कन्या को घर से बाहर मातंग के पास ढकेल दिया और घर का दरवाजा बंद कर दिया। कन्या को अपने पास देखकर मातंग ने अपनी भूख हड़ताल तोड़ दी। उसने उस कन्या से विवाह किया और उसके साथ रहने लगा।

कन्या को उसके साथ रहते रहते उसके गुणों का पता चला। मातंग एक गुणवान व्यक्ति था। वह किसी भी सूरत में अन्य जाति के व्यक्तियों से कम नहीं था। कन्या अब उसके साथ आनंद से रहने लगी। धीरे-धीरे नगरवासियों का भी मातंग पर विश्वास बढ़ा कि वह एक गुणवान व्यक्ति है और वे उसका सम्मान करने लगे।

मातंग की प्रसिद्धि जब नगर के एक ब्राह्मण के कानों में पहुंची, तो उसने उसका बहुत अपमान किया। यह देख लोगों को बहुत क्रोध आया और उन्होंने ब्राह्मण को मातंग के पैर पड़कर क्षमा मांगने को विवश कर दिया। ब्राह्मण ने क्षमा तो मांग ली, लेकिन वह प्रतिशोध की आग में जलने लगा। 

पढ़ें : रूरू मृग की कथा जातक कथा

कुछ दिनों बाद ब्राह्मण वह नगर छोड़कर दूसरे नगर चला गया। एक बार किसी काम से मातंग को उस नगर जाना पड़ा। जब ब्राह्मण ने मातम को अपने नगर में देखा, तो प्रतिशोध की भावना फिर से उसके हृदय में धधकने लगी। उसने नगर के मातंग के विरुद्ध नगर के राजा के कान भर दिए। राजा ने अपने सैनिकों को मातंग का वध करने का आदेश दे दिया।

मातंग ब्राह्मण के षड्यंत्र से अनभिज्ञ था। एक दिन जब भोजन कर रहा था, तब राजा के सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया और उसका वध कर दिया। मातंग के वध से प्रकृति का क्रोध उस नगर पर बरसा। वहां आसमान से अंगारों की बरसात हुई और पूरा नगर जलकर राख हो गया।

इस प्रकार बोधिसत्व मातंग की हत्या का प्रतिशोध प्रकृति द्वारा लिया गया।

Friends, आपको “Matang Jatak Tales In Hindi कैसी लगी? आप अपने comments के द्वारा हमें अवश्य बतायें. “Matang Jatak Katha” पसंद आने पर Like और Share करें. ऐसी ही अन्य “Jatak Tale Stories In Hindi” पढ़ने के लिए हमें Subscribe कर लें. Thanks.

Read More Story In Hindi

देश विदेश की लोकप्रिय और रोचक लोक कथाएं

संपूर्ण पंचतंत्र की कथाएं    

पौराणिक कथाएं

Leave a Comment