ऊंट और जेब्रा की कहानी | The Camel And The Zebra Story In Hindi

ऊंट और जेब्रा की कहानी, The Camel And The Zebra Story In Hindi, Oont Aur Zebra Ki Kahani 

इस पोस्ट में ऊंट और जेब्रा की कहानी (The Camel And The Zebra Story In Hindi) शेयर की जा रही है। जेब्रा ने बदसूरत ऊंट से दोस्ती करने से इंकार कर दिया। क्या ऊंट से दोस्ती हो पाई? जानने के लिए पढ़िए Zebra And Camel Story In Hindi 

The Camel And The Zebra Story In Hindi

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The Camel And The Zebra Story In Hindi

एक जंगल में एक ऊंट रहता था। वह बहुत मिलनसार और दयालु स्वभाव का था। उसकी सभी जानवरों से अच्छी दोस्ती थी। वह सबसे हिल मिलकर प्रेमपूर्वक रहता था।

एक दिन उस जंगल में एक जेब्रा आया। ऊंट जेब्रा से दोस्ती करने उसके पास गया। 

“तुम्हारा जंगल में स्वागत है मित्र! मैं ऊंट हूं। तुम्हारी तरफ मित्रता का हाथ बंटाता हूं।”

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जेब्रा सफेद खाल पर काली धारियों वाला एक खूबसूरत जानवर था। उसे अपनी खूबसूरती पर बड़ा घमंड था। उसने ऊंट को देखा। मोटी चमड़ी, लंबी गर्दन, पीठ में कूबड़, आंखों पर बड़ी बड़ी पलकें, भद्दे खुर वाले ऊंट को देखकर जेब्रा ने सोचा कि ये कितना बदसूरत है। मुझ जैसे खूबसूरत जानवर का दोस्त भी खूबसूरत होना चाहिए। उसने ऊंट से दोस्ती करने से इंकार कर दिया।

“मैं इतना खूबसूरत जानवर हूं। तुम जैसे बदसूरत जानवर से मैं मित्रता नहीं कर सकता।”

ऊंट को जेब्रा के व्यवहार पर बहुत दुख हुआ। वह चुपचाप चला गया।

कुछ समय बीते और गर्मियों का मौसम आ गया। उस साल भीषण गर्मी पड़ी। नदी तालाबों का पानी सूखने लगा। जानवरों में पानी के लिए त्राहि त्राहि मच गई और सभी पानी की तलाश में जंगल छोड़कर जाने लगे।

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जंगल के सारे जानवर परेशान थे। पानी की कमी से जेब्रा के सामने भी जीने मरने की नौबत आ गई थी। लेकिन वह जब भी ऊंट को देखता, वह उसे बड़ा सामान्य नज़र आता। एक दिन उसने ऊंट से पूछा, “इतनी भीषण गर्मी में सब पानी को लेकर चिंतित हैं। किंतु तुम चिंतित नजर नहीं आते।”

“वो इसलिए क्योंकि मैं बदसूरत हूं।” ऊंट ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया।

जेब्रा उसकी बात समझ नहीं पाया। तब ऊंट ने कहा –

“मेरी पीठ पर ये कूबड़ देख रहे हो। दिखने में अजीब लगती है। लेकिन इसमें मैं पानी जमा करके रख सकता हूं। इसके कारण मुझे कई कई दिनों तक पानी की कमी नहीं होती और मैं बड़े आराम से बिना पानी के लंबे समय तक रह सकता हूं। मैं मरुद्यान को भी बड़ी आसानी से सूंघकर खोज सकता हूं। चलो तुम्हें वहां ले चलूं। वहां तुम्हें प्यासा नहीं मरना पड़ेगा।”

जेब्रा ऊंट के साथ जाने लगा। कड़ी धूप थी। जेब्रा का हाल बेहाल होने लगा। तब ऊंट ने उसे अपने विशाल शरीर की ओट में चलने को कहा। जेब्रा को धूप से कुछ राहत मिली।

दोनों आगे बढ़े, तो एक रेतीला मरुस्थल पड़ा। वहां रेत की आंधियां चलने लगी। ऊंट ने बताया, “अपनी बड़ी बड़ी पलकों के कारण मैं ऐसे रेतीले आंधी तूफानों को आसानी से झेल सकता हूं। मेरी चमड़ी भी मोटी है, जो मुझे धूप और आंधी तूफान से बचाती है।”

वे कुछ दूर और आगे बढ़े, तो गर्म रेत के कारण जेब्रा के पैर जलने लगे। ऊंट को बड़े आराम से गर्म तपती रेत पर चलते हुए देखकर उसने पूछा, “तुम गर्म रेत पर कैसे चल पा रहे हो?”

ऊंट ने कहा, “ये भद्दे खुर देख रहे हो। ये मुझे गर्म रेत पर चलने में सहायता करते हैं। तुम्हारे पैर जल रहे होंगे। आओ तुम्हें अपनी पीठ पर बिठा लूं।”

ऊंट ने जेब्रा को अपनी पीठ पर बिठा लिया और मरुद्यान की ओर चल पड़ा। वहां पहुंचकर ऊंट ने जेब्रा को पीठ से उतारा और कहा, “ये जगह पानी से भरपूर है। तुम यहां आराम से रह सकते हो।”

जेब्रा ने मदद के लिए ऊंट का धन्यवाद किया और अपने व्यवहार पर माफी मांगते हुए कहा, “मुझे माफ कर दो। मैंने तुम्हें बदसूरत समझकर तुमसे दोस्ती नहीं की थी। मुझे ये नहीं पता था कि जिन अंगों को मैं बदसूरत समझ रहा था, वे तुम्हारी शारीरिक विशेषता है और उसी की बदौलत तुम रेगिस्तान में बड़े आराम से रह पाते हो और रेगिस्तान का जहाज कहलाते हो।”

ऊंट ने जेब्रा को माफ कर दिया। दोनों उस दिन से अच्छे दोस्त बन गए।

सीख (Oont Aur Zebra Ki Kahani Moral)

खूबसूरती और दिखावे पर न जाएं। कई बार बदसूरत चीज़ें भी काम की हो सकती है।

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