गधा और धोबी की कहानी | Gadha Aur Dhobi Ki Kahani 

गधा और धोबी की कहानी, Gadha Aur Dhobi Ki Kahani, Gadha Aur Dhobi Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। ये कहानी एक ऐसे गधे की है, हो सुरीला गाना गाना चाहता है। इसके लिए वह झींगुरों से सलाह मांगता है। उसे क्या सलाह मिलती है? क्या वह सुरीला गाना गा पाता है? जानने के लिए पढ़िए :

Gadha Aur Dhobi Ki Kahani 

Gadha Aur Dhobi Ki Kahani 

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एक गांव में एक धोबी रहता था। उसके पास एक गधा था। गधा बहुत मेहनती था। इसलिए धोबी उसका बहुत खयाल रखा करता था।

धोबी के घर के पास ही एक संगीतकार का घर था। उसके घर से अक्सर गाने बजाने की आवाज़ें आया करती थी। गधा जब भी गाना सुनता, तो सोचता कि काश वह भी गाना गा पाता। 

एक रात वह अस्तबल में सो रहा था। तभी उसके कानों में झींगुरों की आवाज़ पड़ी और उसकी नींद टूट गई। उसने सुना कि झींगुर गाना गा रहे हैं। उनका गाना सुनकर गधा उदास हो गया।

उसे उदास देखकर एक झींगुर ने पूछा, “गधे भाई! क्या बात है? तुम उदास क्यों नज़र आ रहे हो?”

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गधे ने दुखी मन से कहा, “तुम सब कितना अच्छा गाते हो। काश मैं भी इसी तरह गा पाता।”

“तुम भी गा सकते हो गधे भाई। कोशिश करके देखो।” झींगुर ने कहा।

गधा गाना गाने लगा, लेकिन उसकी आवाज़ बेसुरी थी। वह फिर उदास हो गया और बोला, “मेरी आवाज़ बहुत बेसुरी है। मैं नहीं गा पाऊंगा।”

तब एक बूढ़े झींगुर ने सलाह दी, “तुम्हें अपनी आवाज मधुर करनी है, तो कल से ओस पिया करो। देखना, कुछ ही दिनों में तुम हमसे भी ज्यादा सुरीले हो जाओगे।”

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गधे को ये सलाह जंच गई। अगले दिन से उसने खाना पीना छोड़ दिया और ओस पीने लगा। एक दो दिन तक तो धोबी का ध्यान इस तरफ नहीं गया कि गधा खा पी नहीं रहा है। लेकिन कुछ दिनों बाद उसे गधे के अस्तबल में चारा जस का तस पड़ा मिलने लगा और गधा भी कमज़ोर दिखाई देने लगा, तो उसे चिंता हुई। उसे लगा कि गधा बीमार है। इसलिए खा पी नहीं रहा है। वह गधे को एक वैद्य के पास ले गया। वैद्य ने गधे के लिए दवाइयां दी।

धोबी गधे को दवाइयां खिलाने लगा। लेकिन गधे पर कोई असर नहीं हुई। उसने खाना पीना शुरू नहीं किया और वह वह दिन पर दिन और ज्यादा दुबला पतला और कमज़ोर होने लगा। धोबी चिंता में पड़ गया कि आखिर उसके गधे को हुआ क्या।

गधे का हाल एक मकड़ा देख रहा था। वह सारी स्थिति जानता था। एक दिन वह गधे के पास गया और बोला, “गधे भाई! तुम क्यों ओस के भरोसे खाना पीना छोड़ कर बैठे हो। इस तरह तुम सुरीले बनो या न बनो, बीमार जरूर हो जाओगे।”

गधे ने उत्तर दिया, “मैं झींगुरों की तरह सुरीला गाना गाना चाहता हूं मकड़े भाई। इसलिए भूखे प्यासे रहकर ये परेशानी सह रहा हूं।”

मकड़े ने उसे समझाते हुए कहा, “गधे भाई! मेरी बात ध्यान से सुनो। मैं बहुत अच्छा जाला बना सकता हूं। लेकिन यदि मैं तुम्हारी तरह बोझ उठाना चाहूं, तो नहीं उठा सकता। उसी तरह तुम बोझ उठा सकते हो, लेकिन जाला नहीं बना सकते, न ही झींगुर की तरह गा सकते हो। हर जीव में अलग गुण और प्रतिभा होती है। तुम्हें उसका सम्मान करना चाहिए। जो कार्य तुम कर नहीं सकते, उसके पीछे क्यों अपनी वह प्रतिभा नष्ट कर रहे हो, जिसमें तुम उत्तम हो। तुम्हारा मालिक भी तो तुम्हारी उसी प्रतिभा के कारण तुम्हें प्यार करता है। मेरी इस बात की समझो और कल से खाना पीना शुरू कर दो।”

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गधे को मकड़े की बात समझ में आ गई। उसने अगले दिन से चारा खाना शुरू कर दिया। उसे खाता पीता देख धोबी ने सोचा कि वैद्य की दवा काम कर गई। वह खुश था कि उसका गधा ठीक हो गया। वह गधे के लिए और चारा ले आया और उसके पीठ पर हाथ फेरकर दुलार करने लगा।

सीख (Gadha Aur Dhobi Story In Hindi Moral)

दूसरों की नकल करने के बजाय अपने गुणों का महत्व पहचानो और उसका सम्मान करो। 

 

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