निन्यानबे का चक्कर असम की लोक कथा

निन्यानबे का चक्कर असम की लोक कथा (Ninyanabe Ka Chakkar Assam Ki Lok Katha) इस पोस्ट में शेयर कर रहे हैं। पढ़ें -: NinyanabeKa Chakkar Assam Folk Tale Story In Hindi।

असम अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और विविध लोककथाओं के लिए प्रसिद्ध है। इन लोककथाओं में गहरे नैतिक और दार्शनिक संदेश छिपे होते हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी लोगों को जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं। ऐसी ही एक प्रसिद्ध असमिया लोककथा है “निन्यानबे का चक्कर”। यह कथा हमें सिखाती है कि लालच और असंतोष से जीवन में सुख-शांति नहीं मिल सकती।

Ninyanabe Ka Chakkar Assam Ki Lok Katha

>

Ninyanabe Ka Chakkar Assam Ki Lok Katha

बहुत समय पहले असम के एक छोटे से गाँव में माधव नामक एक किसान रहता था। माधव मेहनती, ईमानदार और संतोषी व्यक्ति था। वह अपनी छोटी सी जमीन पर खेती करके अपनी पत्नी और दो बच्चों का पालन-पोषण करता था। उसकी जिंदगी साधारण थी, परंतु वह खुश और संतुष्ट था।

एक दिन गाँव में एक साधु आया और उसने गाँव वालों को उपदेश दिया। उसने कहा, “सच्ची खुशी संतोष में है, लेकिन अगर कोई व्यक्ति सौ रुपये कमाने की कोशिश करता है, तो उसे असली धन की प्राप्ति होती है।” यह सुनकर माधव के मन में लालच आ गया। वह सोचने लगा, “मुझे केवल सौ रुपये कमाने हैं, फिर मैं बहुत खुश रहूँगा।”

अगले दिन माधव ने सोचा कि वह अधिक मेहनत करेगा और पैसे बचाएगा। उसने अतिरिक्त काम करना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे अपने मेहनत से पैसे जमा करने लगा। कई महीने बीत गए और अंततः माधव ने निन्यानबे रुपये जमा कर लिए। वह बहुत खुश हुआ और सोचा कि अब केवल एक रुपया और कमाना बाकी है।

माधव ने सोचा कि अब वह और भी ज्यादा मेहनत करेगा, ताकि जल्दी से सौ रुपये पूरे कर सके। लेकिन जितना वह मेहनत करता, उतना ही उसके जीवन से शांति और खुशी गायब होने लगी। वह अपने परिवार और दोस्तों से दूर हो गया, और हमेशा चिंतित और थका हुआ रहता था। निन्यानबे रुपये होने के बावजूद, वह एक रुपये के लिए बेचैन रहता।

एक दिन वही साधु फिर से गाँव आया। माधव ने साधु को देखा और उसकी स्थिति के बारे में बताया। साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, यह निन्यानबे का चक्कर है। जितना तुम कमाओगे, उतना ही अधिक पाने की इच्छा होगी। सच्ची खुशी संतोष में है, लालच में नहीं।” यह सुनकर माधव को अपनी गलती का एहसास हुआ।

माधव ने निन्यानबे रुपये को अच्छे कार्यों में दान कर दिया और फिर से अपनी साधारण जिंदगी में लौट आया। उसने महसूस किया कि सच्चा सुख परिवार, मित्रों और संतोष में है। उसने फिर से मेहनत करना शुरू किया, लेकिन अब वह संतोषी और खुश था।

सीख

“निन्यानबे का चक्कर” की यह असमिया लोककथा हमें यह सिखाती है कि लालच और असंतोष से जीवन में शांति और सुख नहीं मिल सकता। संतोष और साधारण जीवन ही सच्चे सुख का स्रोत है। माधव की कहानी यह दर्शाती है कि हमें अपनी सीमाओं को स्वीकार करना चाहिए और जो हमारे पास है, उसमें खुश रहना चाहिए। यही जीवन का असली सार है।

Friends, आशा है आपको “Ninyanabe Ka Chakkar Assam Ki Lok Katha” अच्छी लगीं होगी। कहानी पसंद आने पर Share करें. ऐसी ही अन्य “Folk Tales In Hindi” पढ़ने के लिए हमें Subscribe कर लें. Thanks.

एक थी सरूमा असम की लोक कथा 

चतुर बहू हिमाचल प्रदेश की लोक कथा

चालाक चंदू केरल की लोक कथा 

अबोतीनी और तारो अरुणाचल की लोक कथा

Leave a Comment