शेर और चूहा की कहानी | The Lion And Mouse Story In Hindi Written With Moral | Sher Aur Chuha Ki Kahani For Kids
फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम शेर और चूहा की कहानी (The Lion And The Mouse Story In Hindi Written With Moral) शेयर कर रहे हैं. Sher Aur Chuha Ki Kahani ईसप की एक लोकप्रिय दंतकथा है. नन्हा सा नटखट चूहा जब शेर को परेशान करता है और शेर उसे अपने पंजे में दबोच लेता है. तब क्या नटखट चूहे की जान बच पाती है? कहानी में आगे क्या होता है और कहानी क्या सीख देती है? ये जानने के लिए पढ़ें :
The Lion And The Mouse Story In Hindi
Table of Contents
जंगल का राजा शेर खा-पीकर आराम से एक पेड़ की छाँव में सो रहा था. तभी कहीं से एक नटखट चूहा वहाँ आ पहुँचा और खेलने लगा. खेलते-खेलते वह शेर के ऊपर चढ़ गया.
कभी वह शेर की पीठ पर दौड़ता, तो कभी सिर पर चढ़ जाता. कभी वह उसके कान पर झूलता, तो कभी पूंछ से खेलता. उसे बड़ा मज़ा आ रहा है और उसकी उछल-कूद बढ़ती जा रही थी.
नटखट चूहे की धमा-चौकड़ी से शेर की नींद टूट गई. आँख खोलकर उसने देखा कि एक छोटा सा चूहा उसके ऊपर खेल रहा है. उसे बहुत गुस्सा आया और उसने चूहे को अपने पंजे में दबोच लिया.
शेर के पंजे में आते ही चूहे डर गया और थर-थर कांपने लगा. शेर बोला, “बदमाश चूहे, तेरी इतनी हिम्मत की तू जंगल के राजा शेर की नींद में खलल डाले. अब तेरी खैर नहीं. मरने के लिए तैयार हो जा. अब मैं तुझे मारकर खा जाऊंगा.”
मौत सामने देख चूहा गिड़गिड़ाने लगा, “वनराज, मुझे क्षमा कर दें. मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई. मुझ जैसे छोटे से प्राणी को खाकर आपको क्या मिलेगा? आपका पेट तो भर नहीं पायेगा. कृपा कर मुझे छोड़ दीजिये. अवसर आने पर मैं अवश्य आपके काम आऊंगा.”
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चूहे की बात सुनकर शेर हँसने लगा और बोला, “मैं जंगल का राजा हूँ. मुझसे बलशाली इस पूरे जंगल में कोई नहीं. तू छोटा सा चूहा मेरे क्या काम आएगा? लेकिन फिर भी मैं दया करके तुझे प्राणदान देता हूँ. मेरी नज़रों से दूर हो जा और आइंदा कभी मेरी नींद में खलल मत डालना.”
चूहा धन्यवाद कहकर वहाँ से चला गया.
कुछ दिन बीते. एक दिन शेर जंगल में शिकार के लिए घूम रहा था कि वह शिकारी द्वारा बिछाए जाल में फंस गया. उसने बहुत प्रयत्न किया, किंतु जाल से बाहर नहीं आ पाया. वह मदद के लिए दहाड़ने लगा.
शेर की दहाड़ वहाँ से गुज़र रहे एक चूहे के कानों में पड़ी. यह वही चूहा था, जिसे शेर ने दया कर प्राणदान दिया था. चूहे दहाड़ की दिशा में गया, तो शेर को जाल में फंसा हुआ पाया. उसने फ़ौरन अपने नुकीले दांतों से जाल काट दिया. शेर आज़ाद हो गया.
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उसने चूहे को धन्यवाद दिया, तो चूहा बोला, “वनराज, आप शायद मुझे भूल गए हैं. मैं वही चूहा हूँ, जिसे अपने प्राणदान दिया था. मैंने आपको कहा था कि किसी दिन मैं अवश्य आपके काम आऊंगा. देखिये आज मैं आपके काम आ ही गया.”
शेर को वह दिन याद आ गया और उस दिन की अपनी सोच पर बहुत पछतावा हुआ कि जिस चूहे को उसने तुच्छ समझा था, उसी की सहायता से वह शिकारी से बच पाया है.
सीख (Sher Aur Chuha Ki Kahani Ki Seekh)
१. बाहरी स्वरुप देखकर किसी की योग्यता का आंकलन नहीं करना चाहिए.
२. उपकार कभी व्यर्थ नहीं जाता. किसी न किसी रूप में उसका फ़ल अवश्य प्राप्त होता है।
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