रॅपन्ज़ेल की कहानी | Rapunzel Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम  रॅपन्ज़ेल की कहानी  (Rapunzel Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. रॅपन्ज़ेल एक जर्मन परीकथा (German Fairy Tale) है. सुनहरे लंबे बालों वाली ख़ूबसूरत लड़की ‘रॅपन्ज़ेल’ (Rapunzel) की ये कहानी बच्चों के बीच हमेशा से लोकप्रिय रही है. पढ़िए : 

Rapunzel Story In Hindi

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Rapunzel Story In Hindi
Rapunzel Story In Hindi | Rapunzel Ki Kahani | Rapunzel Story In Hindi

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बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में जॉन नामक व्यक्ति अपनी पत्नि नैल के साथ रहता था. उनके घर के पास एक बहुत सुंदर बगीचा था, जिसकी मालकिन हेल्गा नामक जादूगरनी थी. नैल अक्सर अपने घर की खिड़की से उस सुंदर बगीचे को निहारा करती थी. 

जॉन और नैल की कोई संतान नहीं थी. इस कारण दोनों दु:खी थे और अपने इस दुःख को दूर करने के लिए रोज़ भगवान से प्रार्थना किया करते थे.

आखिरकार, भगवान ने उनकी सुन ली. नैल गर्भवती हो गई. ख़ुशी से झूमते हुए जब उसने यह बात जॉन को बताई, तो वह भी ख़ुशी से झूम उठा. दोनों ने भगवान को बहुत धन्यवाद दिया.

नैल के गर्भवती होने के बाद जॉन उसका बहुत ख्याल रखने लगा. वह उसे कोई काम करने नहीं देता था. उसके खाने-पीने का पूरा ख्याल रखता था. उसे ख़ुश रखने के लिए उसकी हर इच्छा पूरी करता था.

एक दिन नैल अपने घर की खिड़की से जादूगरनी हेल्गा के बगीचे को निहार रही थी. उस दिन बगीचे में हरे-भरे रॅपन्ज़ेल के पत्ते उगे हुए थे, जिन्हें देखकर नैल का मन उन्हें खाने के लिए ललचा गया.

उसने जॉन को पुकारा और उसके आने पर खिड़की से रॅपन्ज़ेल के पत्तों को दिखाते हुए बोली, “कहते हैं कि रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाने से स्वस्थ और ख़ूबसूरत संतान जन्म लेती है. तुम जादूगरनी के बगीचे से मेरे लिए रॅपन्ज़ेल के पत्ते ला दो.”

नैल की बात सुनकर जॉन डर गया. वह उसे समझाते हुये बोला, “वह जादूगरनी हेल्गा का बगीचा है. उसने मुझे देख लिया, तो बहुत क्रोधित होगी. अब तुम्हीं बताओ मैं भला वहाँ कैसे जाऊं? ”

लेकिन नैल ने ज़िद पकड़ ली, “मैं नहीं जानती. बस मुझे रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाने हैं. तुम किसी भी तरह मुझे रॅपन्ज़ेल के पत्ते लाकर दो.” 

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नैल की ज़िद के सामने जॉन ने हार मान ली और रॅपन्ज़ेल के पत्ते तोड़ने जादूगरनी हेल्गा के बगीचे में घुस गया. वह पत्ते तोड़ ही रहा था कि जादूगरनी हेल्गा आ गई.

अपने बगीचे में एक इंसान को चोरी करते देख वह बहुत क्रोधित हुई और चिल्लाई, “कौन हो तुम? तुमने मेरे बगीचे में घुसने की हिम्मत कैसे की?”

जॉन डर से कांपते हुए बोला, “मैं आपके पड़ोस में रहता हूँ. मेरी पत्नि नैल माँ बनने वाली है. वो रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाना चाहती है. उसकी इच्छा पूरी करने के लिए मैं यहाँ आया हूँ. मुझसे गलती हो गई. मुझे माफ़ कर दीजिये.”

जॉन की बात सुनकर जादूगरनी हेल्गा बोली, “यदि तुम अपनी गर्भवती पत्नि के लिए ये पत्ते ले जाना चाहते हो, तो ले जाओ. लेकिन एक शर्त पर.”

“शर्त? कैसी शर्त?” जॉन ने पूछा.

“शर्त ये है कि जिस दिन तुम्हारी पत्नि बच्चे को जन्म देगी, उसी दिन तुम मुझे वह बच्चा दे देगो.” जादूगरनी हेल्गा ने अपनी शर्त बताई.

जॉन बहुत डरा हुआ था. अपनी जान बचाने के लिए वह शर्त मान गया और रॅपन्ज़ेल के पत्ते तोड़कर अपने घर आ गया. नैल उन पत्तों को खाकर बहुत ख़ुश हुई. उस दिन के बाद से जॉन रोज़ नैल के लिए रॅपन्ज़ेल के पत्ते लाने लगा.

कुछ महिनों बाद नैल ने एक बहुत सुंदर बच्ची को जन्म दिया. जादूगरनी हेल्गा को जैसे ही यह पता चला, वह उनके घर पहुँच गई. जॉन को शर्त याद दिलाते हुए वह बच्ची को अपने साथ ले जाने लगी.

जॉन और नैल दोनों रोने लगे और उससे मिन्नतें करने लगे. लेकिन जादूगरनी ने एक न सुनी. वह बच्ची को ले गई. उसने उसका नाम ‘रॅपन्ज़ेल’ (Rapunzel) रखा. रॅपन्ज़ेल जादूगरनी के घर पर ही पलने लगी.

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वह जैसे-जैसे बड़ी होती जा रही थी, उसकी सुंदरता बढ़ती जा रही थी. जब वह १२ वर्ष की हुई, तो जादूगरनी हेल्गा उसे जंगल में ले गई. वहाँ एक ऊँची मीनार में उसने उसे कैद कर दिया.

उस मीनार में न दरवाज़े थे, न ही सीढ़ी. बस एक खिड़की थी. रॅपन्ज़ेल के बाल बहुत लंबे थे. जब भी जादूगरनी को रॅपन्ज़ेल के पास जाना होता, वह मीनार के नीचे से चिल्लाती, “रॅपन्ज़ेल रॅपन्ज़ेल अपने बाल छोड़ो.”

रॅपन्ज़ेल खिड़की से अपने बाल नीचे लटका देती और जादूगरनी उन बालों के सहारे ऊपर चढ़ती और खिड़की के रास्ते मीनार के अंदर चली जाती.

जादूगरनी का रॅपन्ज़ेल के पास आने का समय निश्चित था. वह रोज़ दोपहर रॅपन्ज़ेल के पास आती और उसे खाना देकर चली जाती. बाकी पूरे समय रॅपन्ज़ेल मीनार में अकेली रहती थी.

धीरे-धीरे समय बीतने लगा. कई वर्ष बीत गए. रॅपन्ज़ेल १८ वर्ष की हो गई थी. इतने वर्षों में वह एक बार भी मीनार से बाहर नहीं निकली. उसकी ज़िंदगी कैदी के समान थी.

रॅपन्ज़ेल (Rapunzel) बाहर जाना चाहती थी. दुनिया देखना चाहती थी. लोगों से मिलना चाहती थी. दोस्त बनाना चाहती थी. लेकिन जादूगरनी के डर से वह घुट-घुट कर जी रही थी.

जब वह बहुत दु:खी होती, तो मीनार की खिड़की पर बैठकर गाना गाने लगती. उसकी आवाज़ बहुत सुरीली थी. उसकी आवाज़ सुनकर पेड़-पौधे झूमने लगते, चिड़िया चहचहाने लगती.

एक दिन एक राजकुमार जंगल में शिकार करने आया. मीनार के पास से गुजरते समय उसे किसी के गाने की आवाज़ सुनाई पड़ी. वह रॅपन्ज़ेल थी, जो मीनार की खिड़की पर बैठकर अपनी मधुर आवाज़ में गा रही थी.

रॅपन्ज़ेल का गाना सुनकर राजकुमार मंत्रमुग्ध हो गया. वह एक पेड़ के पीछे खड़ा होकर गाना सुनने लगा. लेकिन कुछ ही देर में गाने की आवाज़ बंद हो गई और एक कर्कश आवाज़ उसे सुनाई दी ‘“रॅपन्ज़ेल! रॅपन्ज़ेल! अपने बाल छोड़ो”.

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राजकुमार ने देखा कि एक बूढ़ी बदसूरत औरत मीनार के नीचे से चिल्ला रही है. उसके चिल्लाते ही सुनहरे बाल नीचे आये और वह उसे पकड़कर ऊपर चढ़ने लगी. थोड़ी देर बाद वह बूढ़ी बालों के सहारे ही नीचे उतर आई और चली गई.

वह बूढ़ी औरत जादूगरनी हेल्गा थी, जो रॅपन्ज़ेल को खाना देने आई थी.

राजकुमार सुरीली आवाज़ वाली लड़की से मिलना चाहता था. इसलिए वह भी मीनार के नीचे जाकर चिल्लाने लगा, “रॅपन्ज़ेल! रॅपन्ज़ेल! अपने बाल छोडो.”

और देखते ही देखते सुनहरे बाल नीचे गिरे और राजकुमार उन्हें पकड़कर मीनार के ऊपर पहुँच गया. खिड़की से अंदर जाकर जब उसने सुनहरे बालों वाली लकड़ी रॅपन्ज़ेल को देखा, तो देखता ही रह गया. पहली नज़र में ही उसे रॅपन्ज़ेल से प्यार हो गया.

उसने रॅपन्ज़ेल (Rapunzel) को अपना परिचय दिया और उससे ढेर सारी बातें की. उसने रॅपन्ज़ेल का गाना भी सुना. इतने सालों से मीनार में अकेली रह रही रॅपन्ज़ेल को राजकुमार से मिलकर और बातें कर बहुत अच्छा लगा.

राजकुमार ने कहा कि वह उससे रोज़ मिलने आया करेगा. उस दिन के बाद से वह रोज़ रॅपन्ज़ेल से मिलने आने लगा. धीरे-धीरे रॅपन्ज़ेल को भी राजकुमार से प्यार हो गया. एक दिन राजकुमार ने रॅपन्ज़ेल के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, तो वह मान गई.

राजकुमार रॅपन्ज़ेल को मीनार की कैद से बाहर निकालना चाहता था. उसने उससे पूछा, “क्या तुम्हें यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता मालूम है.”

“मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता. जादूगरनी हेल्गा मेरे बालों के सहारे ही ऊपर आती है.” रॅपन्ज़ेल बोली.

“ऐसे में मैं तुम्हें यहाँ से कैसे बाहर निकलूंगा?” राजकुमार सोचने लगा.

तब रॅपन्ज़ेल बोली, “तुम अब से रोज़ थोड़ा-थोड़ा रेशम का धागा लेकर आना. उससे मैं यहाँ से नीचे उतरने के लिए सीढ़ी बुन लूंगी.”

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उस दिन के बाद से राजकुमार जब भी रॅपन्ज़ेल (Rapunzel) से मिलने आता, साथ में रेशम का धागा भी लाता. राजकुमार के जाने के बाद रॅपन्ज़ेल रेशम के धागों से सीढ़ियाँ बुनने में जुट जाती.

जिस दिन सीढ़ियाँ बनकर तैयार हुई, रॅपन्ज़ेल बहुत ख़ुश थी. वह दिन उसकी आज़ादी का दिन था. वह बेसब्री से राजकुमार के आने का इंतज़ार कर रही थी. इस बीच जादूगरनी हेल्गा उसे खाना देने आई.

वापस जाते समय उसे रेशम की सीढ़ियाँ दिख गई और उसे शक हो गया. मीनार से उतरकर वह अपने घर नहीं गई, बल्कि छुपकर मीनार पर नज़र रखने लगी. कुछ ही देर में उसने देखा कि एक राजकुमार रॅपन्ज़ेल के बालों के सहारे मीनार पर चढ़ रहा है. वह सारा माज़रा समझ गई.

राजकुमार के वापस जाने के बाद वह फिर से मीनार में गई और रॅपन्ज़ेल के बाल कट दिए. फिर उसे रेगिस्तान में जाकर छोड़ दिया. राजकुमार इस सबसे अनजान था. अगले दिन वह फिर रॅपन्ज़ेल से मिलने आया और मीनार के नीचे से चिल्लाया, “रॅपन्ज़ेल रॅपन्ज़ेल बाल छोड़ो.”

जादूगरनी ने रॅपन्ज़ेल (Rapunzel) के बाल नीचे लटका था. राजकुमार उन बालों को पकड़कर मीनार पर पहुँचा, तो रॅपन्ज़ेल की जगह जादूगरनी को देखकर डर गया. इससे पहले की वह कुछ कर पाता, जादूगरनी ने उसे मीनार से धक्का दे दिया.

राजकुमार कांटों की झाड़ियों पर गिरा, जो उसकी आँखों में चुभ गए और उसे दिखाई देना बंद हो गया. वह दर-दर भटकने लगा. ऐसे ही कई वर्ष बीत गये.

वर्षों तक भटकने के बाद एक दिन वह उसी रेगिस्तान में पहुँच गया, जहाँ जादूगरनी ने रॅपन्ज़ेल को छोड़ा था. वहाँ उसे किसी के गाने की आवाज़ सुनाई दी. वह फ़ौरन पहचान गया कि वह रॅपन्ज़ेल की आवाज़ है.

रॅपन्ज़ेल (Rapunzel) को पुकारता हुआ वह आवाज़ की दिशा में दौड़ने लगा. रॅपन्ज़ेल ने जब उसकी आवाज़ सुनी, तो वह भी उसकी ओर भागने लगी. वर्षों बाद दोनों की मुलाक़ात हुई. राजकुमार की जो दशा था, उसे देख रॅपन्ज़ेल की आँसू बह आये. वे आँसू राजकुमार की आँखों में गिरे और उसकी आँखें ठीक हो गई.

दोनों ने एक-दूसरे को अपनी-अपनी आप-बीती बताई. रॅपन्ज़ेल ने जब राजकुमार को बताया कि वह जुड़वा लड़के और लड़की का पिता बन गया है, तो वह बहुत ख़ुश हुए. रॅपन्ज़ेल और बच्चों सहित राजकुमार अपने महल आ गया. वहाँ सब ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे.


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