पारस पत्थर : समय का महत्व बतलाती कहानी | Story On Value Of Time In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम समय का महत्व बतलाती कहानी (Story On Value Of Time In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ‘समय अमूल्य है’, क्योंकि एक बार गया समय कभी वापस नहीं आता. इसलिए हमेशा समय का सदुपयोग करना चाहिए. समय का सदुपयोग करने वाला जीवन में हमेशा तरक्की की ओर अग्रसर होता है. ये कहानी एक आलसी छात्र की है. अपने आलस के कारण वह कभी समय की क़द्र नहीं करता था और समय बर्बाद किया करता था. फिर उसके साथ क्या हुआ, यही इस कहानी में बताया गया है. पढ़िए समय के सदुपयोग की ये शिक्षाप्रद कहानी :

Story On Value Of Time In Hindi

Story On Value Of Time In Hindi
Story On Value Of Time In Hindi | Story On Value Of Time In Hindi

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वन में स्थित एक आश्रम में एक ज्ञानी साधु रहते थे. ज्ञान प्राप्ति की लालसा में दूर-दूर से छात्र उनके पास आया करते थे और उनके सानिध्य में आश्रम में ही रहकर शिक्षा प्राप्त किया करते थे.

आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों में से एक छात्र बहुत आलसी था. उसे समय व्यर्थ गंवाने और आज का काम कल पर टालने की बुरी आदत थी. साधु को इस बात का ज्ञान था. इसलिए वे चाहते थे कि शिक्षा पूर्ण कर आश्रम से प्रस्थान करने के पूर्व वह छात्र आलस्य छोड़कर समय का महत्व समझ जाए.  

इसी उद्देश्य से एक दिन संध्याकाल में उन्होंने उस आलसी छात्र को अपने पास बुलाया और उसे एक पत्थर देते हुए कहा, “पुत्र! यह कोई सामान्य पत्थर नहीं, बल्कि पारस पत्थर है. लोहे की जिस भी वस्तु को यह छू ले, वह सोना बन जाती है. मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ. इसलिए दो दिनों के लिए ये पारस पत्थर तुम्हें दे रहा हूँ. इन दो दिनों में मैं आश्रम में नहीं रहूंगा. मैं पड़ोस के गाँव में रहने वाले अपने एक मित्र के घर जा रहा हूँ. जब वापस आऊंगा, तब तुमसे ये पारस पत्थर ले लूंगा. उसके पहले जितना चाहो, उतना सोना बना लो.”

छात्र को पारस पत्थर देकर साधु अपने मित्र के गाँव चले गए. इधर छात्र अपने हाथ में पारस पत्थर देख बड़ा प्रसन्न हुआ. उसने सोचा कि इसके द्वारा मैं इतना सोना बना लूंगा कि मुझे जीवन भर काम करने की आवश्यकता नहीं रहेगी और मैं आनंदपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर पाऊँगा.     

उसके पास दो दिन थे. उसने सोचा कि अभी तो पूरे दो दिन शेष हैं. ऐसा करता हूँ कि एक दिन आराम करता हूँ. अगला पूरा दिन सोना बनाता रहूंगा. इस तरह एक दिन उसने आराम करने में बिता दिया.

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जब दूसरा दिन आया, तो उसने सोचा कि आज बाज़ार जाकर ढेर सारा लोहा ले आऊंगा और पारस पत्थर से छूकर उसे सोना बना दूंगा. लेकिन इस काम में अधिक समय लगेगा नहीं. इसलिए पहले भरपेट भोजन करता हूँ. फिर सोना बनाने में जुट जाऊंगा.

भरपेट भोजन करते ही उसे नींद आने लगी. ऐसे में उसने सोचा कि अभी मेरे पास शाम तक का समय है. कुछ देर सो लेता हूँ. जागने के बाद सोना बनाने का काम कर लूंगा. फिर क्या? वह गहरी नींद में सो गया. जब उसकी नींद खुली, तो सूर्य अस्त हो चुका था और दो दिन का समय पूरा हो चुका था. साधु आश्रम लौट आये थे और उसके सामने खड़े थे.

साधु ने कहा, “पुत्र! सूर्यास्त के साथ ही दो दिन पूरे हो चुके हैं. तुम मुझे वह पारस पत्थर वापस कर दो.”

छात्र क्या करता? आलस के कारण उसने अमूल्य समय व्यर्थ गंवा दिया था और साथ ही धन कमाने का एक सुअवसर भी. उसे अपनी गलती का अहसास हो चुका था और समय का महत्व भी समझ आ गया. वह पछताने लगा. उसने उसी क्षण निश्चिय किया कि अब से वह कभी आलस नहीं करेगा.

सीख (Moral Of The Story On Value Of Time In Hindi)

  • जीवन में उन्नति करना चाहते हैं, तो आज का काम कल पर टालने की आदत छोड़ दें.
  • समय अमूल्य है, इसे व्यर्थ ना गंवायें, क्योंकि एक बार हाथ से निकल जाने के बाद समय कभी दोबारा वापस नहीं आता.

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