तीन बकरों की कहानी | The Three Billy Goats Gruff Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम तीन बकरों की कहानी (The Three Billy Goats Gruff Story In Hindi) शेयर कर रहे हैं. ये एक हिंदी शिक्षाप्रद कहानी (Hindi Moral Story) है. इस कहानी में तीन बकरों का सामना एक भयानक राक्षस से होता है. वे उसका  सामना कैसे  करते हैं? जानने के लिए पढ़िए पूरी कहानी :

The Three Billy Goats Gruff Story In Hindi

The Three Billy Goats Gruff Story In Hindi
The Three Billy Goats Gruff Story In Hindi

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बहुत समय पहले की बात है। जंगल में नदी किनारे तीन बकरे रहा करते थे। नदी किनारे हरा-भरा घास का मैदान था, जहाँ वे दिन भर घास चरते रहते थे। वे तीनों हट्ठे-कट्ठे हो गए थे और मज़े से अपना दिन गुज़ार रहे थे।

लेकिन समय बीतने के साथ वहाँ की घास खत्म होने लगी। अब उन बकरों को नई जगह की तलाश थी। एक दिन छोटे बकरे ने दोनों बड़े बकरों को बताया कि नदी के पार एक बहुत बड़ा घास का मैदान है, जहाँ की घास सालों तक ख़त्म नहीं होगी।

तीनों ने सोचा कि अब अपना यह जगह छोड़कर नदी के पार जाने का वक्त आ गया है। नदी के पार जाने के लिए उस पर एक पुराना पुल बना हुआ था। लेकिन समस्या यह थी कि उस पुल पर एक भयानक राक्षस रहता था, जो हर आने जाने वालों को मारकर खा जाता था। उस राक्षस के कारण नदी पार करना नामुमकिन था।

तीनों नदी पार जाने का उपाय सोचने लगे। सोचते-सोचते बड़े बकरे के दिमाग में एक उपाय आ गया और उसने वह उपाय अन्य दोनों बकरों को बताया। जिसे सुनकर वे दोनों बहुत ख़ुश हुये। उसके बाद तीनों पुल की ओर चल दिये।

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पुल के पास पहुँचकर दो बड़े बकरे एक पेड़ के पीछे छुप गये। सबसे छोटा बकरा पुल पार करने लगा। जैसे ही वह पुल के बीचों-बीच पहुँचा, पुल पर रहने वाला राक्षस उसके सामने प्रकट हुआ और बोला, “तेरी ये ज़ुर्रत कि मेरे इलाके में आये। अब तू नहीं बचेगा, मैं तुझे मारकर खा जाऊंगा।“

छोटा बकरा घबराया नहीं, बल्कि उपाय अनुसार बोला, “राक्षस महाराज! आपको मुझे खाकर क्या मिलेगा? मैं तो कितना छोटा हूँ। मेरे पीछे मेरा बड़ा भाई आ रहा है। आप उसे खा लीजिएगा।”

राक्षस ने मुड़कर देखा कि एक बकरा पुल की तरफ़ चला आ रहा है, जो उसके सामने खड़े बकरे से काफ़ी बड़ा है। उसने छोटे बकरे को जाने दिया और दूसरे बकरे का इंतज़ार करने लगा। जैसे ही दूसरा बकरा पुल के बीचों-बीच पहुँचा, वह उसे पकड़ कर बोला, “आज तेरी मौत तुझे यहाँ ले आई है। अब मैं तुझे खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा।”

मंझला बकरा बोला, “राक्षस महाराज! मुझे छोड़ दीजिये। मेरे पीछे मेरे बड़ा भाई आ रहा है। वह इतना मोटा ताजा है कि आपको कई दिनों तक खाने की आवश्कता ही नहीं पड़ेगी।”

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राक्षस ने मुड़कर देखा कि एक मोटा ताजा बड़ा सा बकरा पुल की तरफ़ चला आ रहा है। उसने मंझले बकरे को जाने दिया। इस तरह दो बकरे पुल के पार पहुँच गये।

सबसे बड़ा बकरा जब पुल के बीचों बीच पहुँचा, तो उसने सामने राक्षस प्रकट हुआ. उस बकरे को देखकर खुश होते हुए उसने अट्टहास किया और बोला, “अब तू मेरा शिकार है। मुझे मारकर जी भरकर खाऊंगा और कई दिन आराम से गुजारूंगा।”

बड़ा बकरा डरा नहीं, बल्कि तीन-चार कदम पीछे हटकर तेजी से राक्षस की ओर दौड़ा और अपने सींगों से उसके पेट पर वार किया। अचानक हुए हमले से राक्षस संभल नहीं पाया. वह पुल के नीचे नदी में जा गिरा और पानी की तेज धार में बह गया।

बड़ा बकरा पुल पार करके दोनों बकरों से मिला। उसके बाद वे नदी पार के हरे-भरे घास के मैदान में ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।

सीख (Moral of the story)

समस्या चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो, सूझबूझ और हिम्मत से काम लिया जाये, तो समाधान अवश्य निकलता है।

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