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भेड़िया और मेमना की कहानी | The Wolf And The Lamb Story In Hindi 

भेड़िया और मेमना की कहानी, The Wolf And The Lamb Story In Hindi, Bhediya Aur Memna Ki Kahani इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। 

यह कहानी एक नन्हे मेमने की है, जो अपनी मासूम गलती के कारण एक भेड़िए के सामने फँस जाता है। लेकिन डरने की बजाय वह अपनी सूझबूझ और चतुराई से न केवल अपनी जान बचाता है, बल्कि हमें यह सिखा जाता है कि संकट चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो, बुद्धिमानी और धैर्य से हर मुश्किल का हल निकाला जा सकता है। यह कथा न केवल बच्चों के लिए मनोरंजक है, बल्कि बड़ों को भी एक गहरी सीख देती है।

The Wolf And The Lamb Story In Hindi 

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The Wolf And The Lamb Story In Hindi 

 

एक समय की बात है, एक घना जंगल था जिसके पार एक सुंदर हरे-भरे घास का मैदान फैला हुआ था। वहाँ एक भेड़ों का झुंड चर रहा था। उन भेड़ों के साथ एक छोटा सा मेमना भी था, जो पहली बार अपने झुंड के साथ जंगल के बाहर आया था।

दिन भर घास चरने के बाद, जब सूरज ढलने लगा, तो भेड़ों का झुंड धीरे-धीरे अपने बाड़े की ओर लौटने लगा। लेकिन वह छोटा मेमना, जो ताजा घास के स्वाद में मग्न था, वहीं रुक गया। उसने सोचा, “अब मैं बड़ा हो गया हूँ, अकेले घर जा सकता हूँ। थोड़ी और घास खा लूँ, फिर लौट जाऊँगा।”

मेमना अकेला ही घास चरता रहा। तभी, जंगल की ओर से एक भेड़िया वहाँ आ पहुँचा। वह भूखा था और शिकार की तलाश में था। उसकी नजर मेमने पर पड़ी, और उसके मुँह में पानी आ गया। उसने सोचा, “वाह! आज तो भाग्य ने मेरा साथ दिया है। यह छोटा सा मेमना मेरे लिए स्वादिष्ट भोजन होगा।”

भेड़िया धीरे-धीरे मेमने की ओर बढ़ा। मेमने ने जब भेड़िए को अपनी ओर आते देखा, तो उसके होश उड़ गए। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि उसे झुंड के साथ ही लौट जाना चाहिए था।

भेड़िया मेमने के पास आकर बोला, “आज तो मैं तुझे खाकर अपनी भूख मिटाऊँगा।”

मेमना डर के मारे काँपने लगा, लेकिन उसने हिम्मत जुटाई और नम्रता से बोला, “भेड़िए जी, मुझे खुशी है कि मैं आपकी भूख मिटा सकता हूँ। लेकिन मैंने अभी-अभी ढेर सारी घास खाई है। मेरे पेट में घास भरी हुई है। हो सकता है, आपको उसका स्वाद अच्छा न लगे। ऐसा करता हूँ, मैं थोड़ा नाच लेता हूँ। इससे घास पच जाएगी, फिर आप मुझे खा लेना।”

भेड़िए को मेमने की बात जंच गई। उसने सोचा, “थोड़ा इंतजार करने में क्या हर्ज है? इससे मेरा भोजन और स्वादिष्ट हो जाएगा।”

मेमना नाचने लगा। भेड़िया चुपचाप खड़ा उसका नाच देखने लगा। फिर मेमना बोला, “बिना संगीत के नाचने में मज़ा नहीं आ रहा है। क्यों न आप मेरे गले में बंधी घंटी उतार लें और उसे बजाएं? घंटी की सुरीली धुन पर नाचने में बड़ा मज़ा आएगा।”

भेड़िए ने मेमने की बात मान ली और उसके गले से घंटी उतारकर बजाने लगा। घंटी की आवाज जंगल में गूंजने लगी।

घंटी की आवाज जब मेमने के मालिक तक पहुँची, तो उसने सोचा कि कुछ अनहोनी हो सकती है। उसने अपने जंगली कुत्तों को मेमने को खोजने के लिए छोड़ दिया और स्वयं भी उनके पीछे-पीछे चल पड़ा।

घंटी की आवाज का पीछा करते-करते जंगली कुत्ते कुछ ही देर में भेड़िए और मेमने के पास पहुँच गए। जब भेड़िए ने जंगली कुत्तों को देखा, तो डर के मारे वहाँ से भाग गया।

मेमना अपने मालिक के पास लौट आया। उसने अपनी सूझबूझ और चतुराई से अपनी जान बचा ली। उसने सीखा कि संकट के समय धैर्य और बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।

सीख (Moral Of The Story)

सूझबूझ और धैर्य से किसी भी समस्या से बाहर निकला जा सकता है।

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