ब्राह्मण, चोर और दानव : पंचतंत्र की कहानी ~ ककोलूकियम | The Brahmin The Thief And The Demon Panchatantra Story In Hindi

फ्रेंड्स, इस पोस्ट में हम पंचतंत्र की कहानी “ब्राह्मण, चोर और दानव” (The Brahmin The Thief And The Demon Panchatantra Story In Hindi) शेयर कर रहे है. पंचतंत्र के तंत्र (भाग) काकोलूकियम से ली गई यह कहानी एक चोर और एक दानव की है, जो एक ब्राह्मण के घर अपने-अपने प्रयोजन से जाते हैं. चूंकि दोनों का गंतव्य एक ही स्थान रहता है. इसलिए दोनों संधि कर एक साथ हो लेते हैं. किंतु, अपना प्रयोजन सिद्ध न होते देख उनमें फूट पड़ जाती है. परिणाम क्या होता है? जानने के लिए पढ़िए कहानी शत्रु का शत्रु मित्र  : 

The Brahmin The Thief And The Demon Story 

The Brahmin The Thief And The Demon Panchatantra Story In Hindi
The Brahmin The Thief And The Demon Panchatantra Story In Hindi

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बहुत समय पहले की बात है. एक गाँव में द्रोण नामक एक निर्धन ब्राह्मण रहता था. गाँव में भिक्षा याचना कर किसी तरह वह अपना जीवन यापन करता था.

एक बार उसने गाँव के एक सेठ के घर पूजा-पाठ और हवन किया. सेठ धनी होने के साथ ही उदार ह्रदय भी था. उसने ब्राह्मण को एक जोड़ी बैल दे दिए.

ब्राह्मण बैलों को प्राप्त कर अति प्रसन्न हुआ. वह पूरे मन से उनकी सेवा-सुश्रुषा करने लगा. उनके खान-पान में उसने कोई कमी नहीं होने दी. भिक्षा में उसे जो भी प्राप्त होता, वह पहले बैलों को खिलाता. उसके यतन के फलस्वरुप बैल हृष्ट-पुष्ट हो गए.

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एक दिन एक चोर की दृष्टि ब्राह्मण के बैलों पर पड़ी और उसके मन में लोभ आ गया. उसने रात में उन बैलों को चुरा ले जाने का विचार किया और अपने घर लौट आया.

रात होने पर उसने ब्राह्मण के घर की राह पकड़ ली. आधे रास्ते में उसकी भेंट एक विशालकाय और भयंकर काया के व्यक्ति से हुई. उसकी अग्नि अदृश्य लाल आँखें, जटा सदृश्य केश, पैने नुकीले दांत देख चोर भयभीत हो गया.

दानव ने चोर को रोककर पूछा, “कौन हो तुम? इतनी जल्दी में कहाँ जा रहे हो?”

डरते-डरते चोर ने बताया, “मैं एक चोर हूँ. गाँव में रहने वाले एक ब्राह्मण के घर बैल चुराने जा रहा हूँ.”

साथ ही उसने पूछा, “आप कौन हैं श्रीमान?”

“मैं ब्रह्म राक्षस हूँ.” भयंकर काया का व्यक्ति बोला, “मैं बहुत दिनों से भूखा हूँ. चलो, मैं तुम्हारे साथ ही चलता हूँ. तुम ब्राह्मण के बैल चुरा लेना. मैं ब्राह्मण को खाकर अपनी भूख मिटा लूंगा.”

दोनों ब्राह्मण के घर पहुँच गए. उस समय ब्राह्मण सो रहा था. ब्रह्म राक्षस उसे खाने के लिए आगे बढ़ा, तो चोर उसे टोक कर बोला, “श्रीमान! पहले मुझे बैल चुराने दो. फिर आप ब्राह्मण को अपना आहार बना लेना.”

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ब्रह्म राक्षस बोला, “यदि बैल चुराते समय हुई किसी प्रकार की आवाज़ से ब्राह्मण जाग गया, तो मैं भूखा रह जाऊँगा. इसलिए मुझे पहले ब्राह्मण को खाने दो. फिर तुम चोरी करना.”

चोर बोला, “किंतु, यदि ब्राह्मण की हत्या करते समय वह जाग गया और बैलों की रखवाली करने लगा, तो मैं चोरी नहीं कर पाऊँगा. इसलिए पहले मुझे चोरी करने दो.”

इस प्रकार दोनों में कहा-सुनी होने लगी. उनका शोर सुनकर ब्राह्मण की नींद खुल गई. ब्राह्मण को जगा देख चोर बोला, “ब्राह्मण! यह ब्रह्म राक्षस तेरे प्राण लेने आया है. मैं तो तुझे चेताकर तेरे प्राण बचाने आया हूँ.”

ब्रह्म राक्षस बोला, “ब्राह्मण! ये चोर है. तेरे हृष्ट-पुष्ट बैलों पर इसकी दृष्टि है. उन्हें ही चुराने ये यहाँ आया है. मैं तो तुझे सावधान करने आया हूँ.”

ब्राह्मण समझ गया कि वे दोनों अपने-अपने प्रयोजन से आये हैं. उसने रक्षा हेतु लाठी उठा ली. यह देख चोर और ब्रह्म राक्षस भाग गए.


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