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भूखी चिड़िया और बढ़ई की कहानी | Bhukhi Chidiya Aur Badhai Ki Kahani

bhukhi chidiya aur badhai ki kahani भूखी चिड़िया और बढ़ई की कहानी | Bhukhi Chidiya Aur Badhai Ki Kahani
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भूखी चिड़िया और बढ़ई की कहानी, Bhukhi Chidiya Aur Badhai Ki Kahani, Hungry Bird And Carpenter Story In Hindi इस पोस्ट में शेयर की जा रही है। 

Bhukhi Chidiya Aur Badhai Ki Kahani

Bhukhi Chidiya Aur Badhai Ki Kahani

एक दिन की बात है। जंगल में रहने वाली एक भूखी चिड़िया भोजन की तलाश में निकली। उड़ते-उड़ते वह एक खेत में पहुंची। वहां से चांवल का दाना चोंच में दबाकर वह अपने घोंसले में लौटने लगी। जंगल दूर था। रास्ते में आराम करने के लिए वह एक लकड़ी के खूंटे पर बैठ गई। अचानक उसके मुंह से चांवल का दाना गिरकर लकड़ी के खूंटे के छोटे से छेद में घुस गया। 

छेद से चांवल निकालना चिड़िया के बस की बात नहीं थी। वह परेशान हो गई और सोचने लगी कि क्या करे? कुछ देर सोचने के बाद उसने सोचा कि क्यों न बढ़ई से सहायता ली जाए। वह अपनी कुल्हाड़ी से लकड़ी के खूंटे को चीर देगा, तो उसका चांवल का दाना उसे मिल जायेगा।

वह उड़कर बढ़ई के पास गई और बोली, “बढ़ई बढ़ई…खूंटा चीर…खूंटा में हमार दाल बा…का खाई…का पी…का ले के परदेस जाईं।”

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बढ़ई ने चिड़िया को भगाते हुए कहा, “मेरे पास समय नहीं है। एक चांवल के दाने के लिए मैं खूंटा नहीं चीरूंगा। चल भाग यहां से…”

बढ़ई के द्वारा सहायता न करने के कारण चिड़िया उदास हो गई और राजा के पास पहुंची। राजा से बढ़ई की शिकायत करते हुए वह बोली, “ओ राजा राजा…बढ़ई के डंडा मार…बढ़ई खूंटा ना चीरे…खूंटा में हमार दाल बा…क्या खाऊं? क्या पीऊं? क्या लेकर परदेस जाऊं?”

चिड़िया की शिकायत सुनकर राजा बोला, “मैं राज्य का राजा हूं। मेरे पास राजपाट का बहुत काम है। तेरे एक दाने के लिए मैं बढ़ई को क्यों मारूं। भाग यहां से…”

राजा द्वारा भगा देने से दुखी चिड़िया सांप के पास पहुंची और बोली, “सांप सांप…राजा को डंस ले..राजा बढ़ई को डंडा न मारे…बढ़ई खूंटा ना चीरे…खूंटा में हमार दाल बा, क्या खाऊं? क्या पीऊं? क्या लेकर परदेस जाऊं?”

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सांप ने भी चिड़िया को मना कर दिया और कहा, “अभी मेरे सोने का समय है। मुझे परेशान मत कर। भाग यहां से…”

सांप की बात पर चिड़िया चिढ़ गई और लाठी के पास पहुंची। लाठी से वह बोली, “लाठी…लाठी…सांप मार…सांप ना राजा डंस…राजा ना बढ़ई डंडा मारे…बढ़ई ना खूंटा चीरे…खूंटा में हमार दाल बा…क्या खाऊं? क्या पीऊं? क्या लेकर परदेस जाऊं?”

लाठी ने भी चिड़िया को डांट कर भगा दिया। गुस्सा होकर चिड़िया आग के पास गई और बोली, “आग आग…लाठी जलाव..लाठी ना सांप मारे…सांप ना राजा डंस…राजा ना बढ़ई डंडा मारे…बढ़ई ना खूंटा चीरे…खूंटा में हमार दाल बा…का खाई…का पी…का ले के परदेस जाईं ।”

आग ने उसे भागकर कहा, “एक छोटे से दाने के लिए मैं लाठी को जलाऊं। मैं ऐसा नहीं करने वाला। चल भाग यहां से…”

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चिड़िया बहुत दुखी हो गई। भूख से उसका बुरा हाल होने लगा। उसे लगने लगा कि शायद आज वह भूखी ही रह जायेगी। उड़ते-उड़ते वह नदी के पास लगे पेड़ के पास पहुंची और एक डाली पर बैठकर रोने लगी। उसे रोता देखकर नदी को उस पर दया आ गई। उसने उससे रोने का कारण पूछा। चिड़िया ने उसे सारी बात बताई और कहा, “नदी…नदी…आग बुझाओ…आग डंडा ना जलावे…डंडा सांप ना मारे…सांप राजा को ना डंसे…राजा बढ़ई को डंडा न मारे…बढ़ई खूंटा ना चीरे…खूंटा में हमार दाल बा, का खाई…का पी, का ले के परदेस जाईं?”

नदी उसकी सहायता करने तैयार हो गई और आग को बुझाने के लिए बढ़ने लगी। चिड़िया के साथ नदी को पास आता देख आग भयभीत हो गई और चिड़िया से कहने लगी, “चिड़िया रानी।, मैं अभी लाठी को जलाने जाता हूं। तुम नदी से कहो कि मुझे न बुझाए।”

नदी वापस लौट गई। आग चिड़िया के साथ लाठी को जलाने आगे बढ़ी। आग को देखकर लाठी डर गया और चिड़िया से बोला, “आग को रोको चिड़िया रानी। मैं अभी सांप को मारने जा रहा हूं।”

आग वापस लौट गई। लाठी चिड़िया के साथ सांप को मारने आगे बढ़ी। लाठी को अपनी ओर आता देख डरकर सांप बोला, “चिड़िया रानी…रुको…मैं राजा को को डसने जाता हूँ।”

वह चिड़िया के साथ राजा के महल में पहुंचा। सांप को देखकर राजा भी डर गया और चिड़िया से बोला, “चिड़िया रानी, सांप से कहो कि मुझे ना डसे। मैं अभी बढ़ई को बुलाकर खूंटा चीरने को कहता हूं।”

सांप वापस चला गया। राजा ने बढ़ई को बुलवाया और लकड़ी का खूंटा चीरकर चावल का दाना निकलने को कहा। राजा का आदेश मानकर बढ़ई कुल्हाड़ी लेकर लकड़ी के खूंटे के पास पहुंचा और उसे चीरने के लिए कुल्हाड़ी उठाई। उसे कुल्हाड़ी उठाया देखकर खूंटे ने कहा, “बढ़ई भाई! मुझे मत चीरो। बस मुझे उल्टा कर दी। चांवल का दाना निकल जायेगा।”

बढ़ई ने लकड़ी के खूंटे को उल्टा कर दिया। चांवल का दाना छेद से बाहर निकल गया। चिड़िया दाना चोंच में दबाकर खुशी-खुशी अपने घोंसले में लौट गई।

सीख (Moral Of Hungry Bird And Carpenter Story In Hindi)

1. ज़िद्द पर अड़ जाएं, तो कोई काम मुश्किल नहीं। 

2. हिम्मत बिना हारे प्रयास करते रहने से सफलता अवश्य मिलती है।

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