Ek Chhota Sa Prerak Prasang Why Me Arthur Ashe Motivational Story In Hindi
आर्थर ऐश टेनिस के इतिहास में एकमात्र अश्वेत पुरुष खिलाड़ी हैं, जो तीन ग्रैंडस्लैम टूर्नामेंट – विम्बलडन, ऑस्ट्रेलियन ओपन और यू० एस० ओपन के विजेता बने। 10 जुलाई 1943 को जन्मे विश्व के पूर्व नंबर एक टेनिस प्लेयर आर्थर ऐश के जीवन का एक छोटा सा प्रेरक प्रसंग (Ek Chhota Sa Prerak Prasang) आपको प्रेरणा से ओत प्रोत कर देगा।
Ek Chhota Sa Prerak Prasang
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आर्थर ऐश का टेनिस करियर शानदार रहा। लेकिन उसके बाद जीवन की एक कठिन परीक्षा उनके सामने आई। एक सर्जरी के दौरान infected blood चढ़ाने के कारण वे AIDS जैसी गंभीर और जानलेवा बीमारी की चपेट में आ गए।
ये उनके जीवन बुरा दौर था। जब वे AIDS से जूझ रहे थे, तब विश्व के कोने-कोने से उनके फैन्स सहानुभूति जताने के लिए उन्हें पत्र भेजा करते थे। एक दिन एक पत्र आर्थर ऐश को मिला, जिसमें उनसे पूछा गया –
“क्या आप भगवान से कभी ये नहीं पूछते कि इस बुरी बीमारी के लिए मैं ही क्यों?”
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इस पत्र का उत्तर आर्थर ऐश ने कुछ इस तरह दिया –
“विश्व में 5 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे हैं, जो टेनिस खिलाड़ी बनने की उम्मीद में टेनिस खेलना शुरू करते हैं, लेकिन उनमें से 5 लाख ही प्रोफेशनल टेनिस सीख पाते हैं। उन 5 लाख में से मात्र 50 हजार ही टेनिस सर्किट में आ पाते हैं और उनमें से 5000 ही ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट में खेल पाते हैं। ग्रैंड स्लैम खेलने वाले उन खिलाड़ियों में से सिर्फ 50 खिलाड़ी ही विम्बलडन के लिए क्वालीफाई कर पाते हैं। उनमें से मात्र 4 खिलाड़ी विम्बलडन सेमी फाइनल और मात्र 2 खिलाड़ी फाइनल में पहुँचते हैं, जिनमें से 1 ही विम्बलडन जीत पाता है और उसकी ट्रॉफी उठा पाता है। जब विम्बलडन की ट्राफी थामे मैंने भगवान से कभी ये नहीं पूछा – मैं क्यों? तब आज सिर्फ इसलिए कि मैं तकलीफ में हूँ, मुझे भगवान से ये नहीं पूछना चाहिए – मैं क्यों? मुझे लगता है कि अपने जीवन की 98 प्रतिशत अच्छी चीजों के लिए हमें भगवान का धन्यवाद करना चाहिए।”
आर्थर ऐश ने Arthur Ashe Institute For Urban Health स्थापित लिया और मृत्यु तक समाज में AIDS के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य करते रहे।
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सीख (Moral Of The Story Why Me Arthur Ashe)
ये छोटा सा प्रेरक प्रसंग हमें भगवान के प्रति हर स्थिति में कृतज्ञ रहना सिखाता है।
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